पंजाब से एक दिल दहलाने वाली खबर आ रही है. बीते रविवार की रात सात महीने की गर्भवती महिला का उसके परिवार जिसमें उसके पति और देवर भी शामिल थे, सबने मिलकर जबरन गर्भपात कराया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

कथित तौर पर परिवार वालों का मानना था कि उस महिला के गर्भ में कन्या भ्रूण था. घटना के बाद, परिवार के सदस्यों ने उस महिला और उसकी अजन्मी बच्ची को एक रजाई में लपेटकर खेत में फेंक दिया. महिला की पहचान सिधवां बेट के जंदी कलन गांव में रहने वाली 32 वर्षीय मंजीत कौर के रूप में की गई.
मंजीत के पिता ने सिधवां बेट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की है. सूत्रों के अनुसार पुलिस ने मंजीत के पति इरविंदर सिंह और देवर निर्मल सिंह को गिरफ़्तार कर लिया है. इसके अलावा पुलिस उस डॉक्टर की तलाश में जुट गई है, जिसने ये गर्भपात कराया था.
पांच साल पहले मंजीत की शादी इरविंदर सिंह, जो एक किसान है, के साथ हुई थी. पांच साल पहले दोनों की लव मैरिज हुई थी. दोनों को पहले ही ढाई साल की एक बेटी है. मंजीत के भाई, चरनजीत सिंह का कहना है कि उनको इस हादसे की जानकारी रविवार की रात को मिली थी और खबर मिलते ही वो लोग मंजीत के ससुराल के लिए निकल गए और वहां जाकर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की.
चरनजीत ने बताया, ‘जब तक हम उनके घर पहुंचते, उन्होंने अपराध के सभी सबूत मिटा दिए और मनजीत के बारे में उल्टा-सीधा बोलने के साथ उसके बारे में बहस करना शुरू कर दिया. हालांकि, जांच के दौरान पुलिस को कमरे के कोनों में खून के धब्बे दिखाई दिए.’ इसके बार चरनजीत ने बताया कि जांच-पड़ताल के बाद पुलिस को पास के खेत में मंजीत और उसकी अजन्मी बच्ची की लाश मिली.’

वहीं मंजीत के पिता रविंदर ने बताया कि उसके ससुराल वाले घर में एक और बेटी नहीं चाहते थे और जब उनको पता चला कि मंजीत के गर्भ में लड़की का भ्रूण है, तो उन्होंने उस पर बच्चा गिराने के लिए दवाब डाला.
इस मामले में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 313 (स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात होने के कारण) और 315 के तहत केस दर्ज किया गया है.
अगर इस तरह की दरिंदगी ऐसे ही चलती रही तो एक दिन औरतों को मर्द जात से घृणा हो जाएगी। सवाल ये है कि क्या इस स्थिति में बेटी ‘बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान’ इस दरिंदगी के बीच सफ़ल हो पायेगा?