6 साल पहले रेहाना को उसके पति ने फ़ोन पर ट्रिपल तलाक दे दिया. रेहाना इस थोपे हुए तलाक को मानने को तैयार नहीं थी, इसलिए उसने कोर्ट की शरण की. वो अपने हक़ के लिए लड़ना चाहती थी. उसने इस तलाक को नहीं माना, तो उसके ऊपर एसिड फेंक दिया गया. एसिड फेंकने वाले उसके ससुराल वाले थे. रेहाना अब अपना धर्म बदलना चाहती है, ताकि वो इसके ख़िलाफ़ लड़ सके.
उसके हिसाब से हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए कम से कम ऐसे नियम हैं कि वो तलाक़ जिअसे मसले पर अपनी रज़ामन्दी दे सकती है. रेहाना इस वक़्त अपने ऊपर हुए एसिड अटैक और अपने पति के द्वारा थोपे गए ट्रिपल तलाक से जूझ रही रही है. अपना धर्म बदलने की सबसे बड़ी वजह भी वो यही बताना चाहती है.
ट्रिपल तलाक के ऊपर 1 मिलियन से ज़्यादा मुस्लमान पेटिशन Sign कर चुके हैं. इसके ख़त्म करने की सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के बाद भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे धार्मिक मामला कह कर इसे ख़ुद निपटाने की बात कह रहा है.
क्या ये सही है कि एक औरत, जिसे जबरन तलाक दे दिया गया है, वो कोर्ट के पास भी नहीं जा सकती? ट्रिपल तलाक तब तक अमानवीय है, जब तक इसमें महिला की रज़ामंदी न हो.
रेहाना की लड़ाई जारी है…