जैसे ही 8 नवम्बर को PM मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, पूरा देश चौकन्ना हो गया था. अगले एक महीने में वो लोग भी समाचार पढ़ने और देखने लगे, जिन्होंने कभी कोई न्यूज़ नहीं देखी. कारण था, हर दिन बदल रहे रूल्स और नियम, कोई इनसे अनजान नहीं रहना चाहता था. लोग Facebook, Whatsapp और सोशल मीडिया के हर टूल को जानकारी के लिए इस्तेमाल कर रहे थे.
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लेकिन केरल के गांव में एक ऐसी भी महिला थी, जिसे नोटबैन और विमुद्रीकरण के बारे में हवा तक नहीं लगी. केरल के एर्नाकुलम के एक गांव में रहने वाली साथी बाई को 500 और 1000 के नोट बैन होने का महीनों बाद तब पता चला, जब वो पास के मार्केट में परचून की दुकान पर पहुंची. उसने जैसे ही दुकानदार को 500 का नोट पकड़ाया, दुकानदार ने बताया कि ये तो चलने बंद हो चुके हैं. ऐसे करके उसने मार्किट की सारी शॉप्स में अपना नोट चलाना चाहा, पर अफ़सोस सबको नोटबंदी की ख़बर थी.
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साथी बाई 20 साल पहले रिटायर हो चुकी है, उसके गांव में न बिजली है और न ही उसके घर में कोई टीवी, अख़बार या फ़ोन जैसी चीज़. वो घर में अकेली रहती है और बाहर भी कभी-कभी अपनी पेंशन लेने जाती है. इस बैंक में उसका अकाउंट है, उसी में उसकी पेंशन अपने आप आ जाती है और वहीं से वो ज़रूरत के हिसाब से पैसे लेने जाती है. लेकिन जब साथी को नोटबैन के बारे में पता चला, वो अगले ही दिन बैंक पहुंची.
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बैंक अधिकारी से वो एक थैला दिखाते हुए उन नोटों को बदलने के लिए कहने लगी, लेकिन बैंक अधिकारी ने भी उसे बताया कि इसकी लिमिट ख़त्म हो चुकी है, अब सिर्फ़ NRI लोगों के अकाउंट के ही नोट बदले जा सकते हैं. इस बात को सुन कर साथी बाई बहुत गुस हो गयी. बैंक वालों ने उसकी मदद करने की कोशिश भी की, लेकिन वो उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थी, उसे बस ये लग रहा था कि उसके साथ ग़लत हुआ है.
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साथी बाई अपने पति और बेटी की मौत के बाद से काफ़ी बदल गयी थी, वो आस-पास के लोगों से भी इसलिए नहीं बात करती थी क्योंकि उसको लगती था कि वो उसे बेवक़ूफ़ बना देंगे. इसलिए उसके पड़ोसियों से भी उसे नोटबंदी के बारे में पता नहीं चला.
बैंक अधिकारी का कहना है कि साथी उस दिन बैंक खुलने से पहले ही वहां पहुंच गयी थी और उसके पास जो थैला था, उसमें तकरीबन 5 लाख रुपये तक अमाउंट था. उन्होंने उसे RBI से मदद लेने को भी कहा, पर उसने साफ़ इनकार कर दिया.
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उसके पति और बेटी की मौत के बाद से ही वो कटी-कटी रहने लगी और उसके पड़ोसियों के धोखे की वजह से वो अब किसी पर भरोसा नहीं करती, न बात करती है.