आज World Population Day है. आज दुनिया की आबादी 7.8 अरब से ज़्यादा है. सन् 1900 में जहां दुनिया की जनसंख्या 1.6 अरब थी वहीं सन् 2000 आते-आते ये बढ़कर 6 अरब के पार चली गयी.
लगभग 12,000 सालों के मानव इतिहास में ये सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जाती है. और सिर्फ़ हालिया 20 सालों में 2.8 अरब लोगों का विश्व जनसंख्या में जुड़ जाना भविष्य के लिए ख़तरे की घंटी है.
UN Population Division की एक स्टडी के मुताबिक़ अगर जनसंख्या वृद्धि दर में लगातार गिरावट ज़ारी रही फिर भी इस सदी के अंत तक विश्व की जनसंख्या 10 अरब का आंकड़ा पार कर जायेगी. इस आसन्न संकट को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने और परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली ने 1989 में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस घोषित किया था.
बात जब भी जनसंख्या की होती है तो दुनिया की नज़रे सबसे पहले भारत और चीन की तरफ़ उठती है.1900 में भारत की जनसंख्या 23.8 करोड़ थी, जो 1998 आते-आते 1 अरब का आंकड़ा पार कर गई. वहीं चीन की जनसंख्या 1982 में ही 1 अरब के पार चली गई.
जनसंख्या नियंत्रण के लिए भारत में सरकारों ने फ़ैमिली प्लानिंग पर जोर देना शुरू किया. यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में जनसंख्या पर रिसर्च कर रहे जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. श्रीनिवास गोली की रिसर्च के अनुसार, अगर फ़ैमिली प्लानिंग नहीं होती तो 1990 से 2016 तक भारत में 169 करोड़ बच्चों का जन्म होता. इसका मतलब ये हुआ कि हमारी जनसंख्या 138 करोड़ के बजाय लगभग 307 करोड़ होती. इसके मुताबिक़ 2016 से 2061 तक, अगले 45 सालों में, फ़ैमिली प्लानिंग देश में 1.90 अरब लोगों को जनसंख्या में जुड़ने से रोकेगी.
जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1979 में Deng Xiaoping ने चीन में One Child Policy को लागू किया. इसके तहत सिर्फ़ कुछ ख़ास अपवादों को छोड़कर नागरिक सिर्फ़ एक बच्चा पैदा कर सकते थे. इस पॉलिसी का असर ये हुआ कि चीन की जनसंख्या में वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ती चली गयी और जवान लोगों की घटती चली गई. इसके चलते Labour Workforce में शामिल होने वाले युवाओं की कमी हो गयी. चीन की लगभग 30% आबादी 50 वर्ष से अधिक है.
इसके अलावा लैंगिक असमानता भी काफ़ी बढ़ गयी. One Child Policy के चलते चीन में लोगों ने लड़के को ज़्यादा तरजीह दी. कुछ शोधकर्ताओं का अनुमान है कि चीन में महिलाओं की तुलना में लगभग 3 करोड़ ज़्यादा पुरुष हैं. इसका मतलब ये है कि लाखों चीनी पुरुष अपने लिए पत्नियां खोजने में सक्षम नहीं हैं. अक्टूबर 29, 2015 को इस पॉलिसी को समाप्त कर दिया गया. अब चीन में Two Child Policy लागू है.
इस पॉलिसी का क्या असर होगा ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा, मगर भारत में भी कुछ लोग Two Child Policy लागू करने की मांग कर रहें हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे वक़्त के लिए फ़ैमिली प्लानिंग Two Child Policy से कहीं बेहतर तरीका है जनसंख्या नियंत्रण का. अभी तक ऐसा देखा गया है कि जहां लोगों में शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है, लोगों की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है और फ़ैमिली प्लानिंग को लेकर जागरूकता होती है, वहां अमूमन जनसंख्या वृद्धि दर काफ़ी कम होती है.
तो अगली बार जब आप अपना परिवार बढ़ाने का सोचे फ़ैमिली प्लानिंग को न भूले.