देश की अर्थव्यवस्था के खराब हालातों से मोदी सरकार उबर भी नहीं पाई है कि सरकार के अपने ही अब उन्हें आईना दिखाने लगे हैं. बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व वित्तमंत्री ने गिरती जीडीपी और चरमराती अर्थव्यवस्था के लिए अरुण जेटली पर निशाना साधा है.
उन्होंने कहा कि ‘अरुण जेटली अभी तक इस सरकार में सबसे बड़ा चेहरा हैं. कैबिनेट में नाम तय होने से पहले ही उनका नाम तय था कि जेटली वित्तमंत्रालय संभालेंगे. हालांकि, वो अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार गए थे लेकिन हारने के बावजूद उन्हें मंत्री बनने से कोई नहीं रोक पाया. अटल बिहारी वाजपेयी ने इन्हीं हालात में अपने करीबी सहयोगी जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को कैबिनेट में जगह नहीं दी थी लेकिन जेटली को वित्त मंत्रालय ही नहीं, बल्कि रक्षा मंत्रालय भी मिला.’

उन्होंने लिखा है, ‘आज अर्थव्यवस्था की हालत खराब है. कंस्ट्रक्शन और दूसरे सर्विस सेक्टर धीमे पड़ रहे हैं, निजी निवेश गिर रहा है. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन सिकुड़ रहा है. कृषि संकट में है, निर्यात मुश्किल में है, नोटबंदी नाकाम साबित हुई और अफ़रा-तफ़री में लाए गए जीएसटी ने कइयों को डुबो दिया, रोज़गार छीन लिए. नए मौके नहीं दिख रहे. तिमाही दर तिमाही ग्रोथ रेट धीमी है. सरकार के लोग कह रहे हैं कि इसकी वजह नोटबंदी नहीं है. वो सच कह रहे हैं. ये तो पहले से शुरू हो गया था. नोटबंदी ने आग में घी का काम किया है.”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि उन्होंने गरीबी को काफ़ी नज़दीक से देखा है. उनके वित्तमंत्री इस बात को सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा मेहनत कर रहे हैं कि सभी भारतीय भी गरीबी को उतना ही नज़दीक से देख सकें.
यशवंत सिन्हा के मुताबिक, सरकार ने जीएसटी को जिस तरह लागू किया उसका भी नकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. जीडीपी अभी 5.7 फीसदी है, जबकि सरकार ने 2015 में जीडीपी तय करने का तरीका बदला था. अगर पुराने नियमों के हिसाब से देखा जाए तो आज जीडीपी महज 3.7 फीसदी है.
उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने गिरती जीडीपी को और कमजोर करने में अहम भूमिका अदा की. तंज कसते हुए सिन्हा ने कहा कि आज के समय में न ही नौकरी मिल रही है और न ही विकास तेज़ हो रहा है, जिसका सीधा असर इन्वेस्टमेंट और जीडीपी पर पड़ा है.
यशवंत ने लिखा है, ”मुझे इस बात का भी भरोसा है कि मैं जो कुछ कह रहा हूं, यही भाजपा के और दूसरे लोग मानते हैं लेकिन डर की वजह से ऐसा कहेंगे नहीं.”

गौरतलब है कि जेटली को चार मंत्रालय दिए गए थे, जिनमें से तीन अब भी उनके पास हैं. पूर्व वित्त मंत्री ने लिखा है कि अरुण जेटली कई मायनों में खुशकिस्मत वित्त मंत्री थे क्योंकि उन्हें माकूल हालात मिले. लेकिन सब बेकार कर दिया गया. सिन्हा ने लिखा है, ‘मैं वित्त मंत्री रहा हूं इसलिए जानता हूं कि अकेले वित्त मंत्रालय में कितना काम होता है. कितनी चुनौतियां होती हैं. हमें ऐसे शख़्स की ज़रूरत होती है, जो सिर्फ़ वित्त मंत्रालय का काम देखे. ऐसे में जेटली जैसे सुपरमैन भी इस काम को नहीं कर सकते थे.’
वहीं कांग्रेस नेता चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा, ”यशवंत सिन्हा ने सत्ता को सच बता दिया है. क्या अब सत्ता ये सच स्वीकार करेगी कि अर्थव्यवस्था डूब रही है? सिन्हा ने कहा, पहला सच: 5.7% का ग्रोथ रेट दरअसल 3.7% या उससे कम है. दूसरा सच: लोगों के दिमाग में डर भरना नए खेल का नाम है.”
हालांकि, यशवंत सिन्हा के बयान के बाद केंद्र सरकार में राज्यमंत्री उन्ही के बेटे जयंत सिन्हा ने अपने पिता के दावे को नकारते हुए कहा है कि देश की इकोनॉमी सही हालातों में है लेकिन यशवंत सिन्हा के लेख ने बीजेपी में खलबली ज़रूर पैदा कर दी है.