‘तेरे शहर का निज़ाम बड़ा मौत पसंद है
साल 2020 अब ख़त्म हो जाएगा. रह जाएंगी तो महज़ तारीख़ें, जो इतिहास के पन्नों में लोगों के आंसुओं और ख़ून से दर्ज होंगी. आने वाली पीढ़ी को कुछ भी समझाया जाए, लेकिन हम जानते हैं कि ये साल कोरोना महामारी से नहीं बल्कि इंसानी संवेदनहीनता के वायरस से संक्रमित था.
यूं तो ज़िम्मेदारों के लिए पहले भी इंसानी ज़िंदगियां कुछ ख़ास महत्व नहीं रखती थीं, लेकिन साल 2020 में लोगों की मौत भी महज़ एक आंकड़ा रह जाएगी, ये किसने सोचा था?
भारत के विभिन्न हिस्सों में जैसे-जैसे वायरस फैलता गया, इंसानी संवेदनहीनता का स्तर भी बढ़ता गया. एक तरफ़ जहां देशभर के स्वास्थ्यकर्मी इंसानी ज़िंदगियों को बचाने में दिन-रात लगे थे. वहीं, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने मानवता को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस दौरान ऐसी कई चौंकाने वाली घटनाएं सामने आईं, जिन्हें देखकर रूह तक कांप उठी.
1.लाशों के बग़ल में सोने को मजबूर हुए कोरोना मरीज़
In Sion hospital..patients r sleeping next to dead bodies!!!
— nitesh rane (@NiteshNRane) May 6, 2020
This is the extreme..what kind of administration is this!
Very very shameful!! @mybmc pic.twitter.com/NZmuiUMfSW
मुंबई के एक अस्पताल का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें शवों के बगल में कोरोना मरीज़ सोते नज़र आए थे. वीडियो सायन अस्पताल का था, जो बीएमसी द्वारा संचालित एक मेडिकल फ़ैसिलिटी है. अस्पताल के वार्ड में कोरोना वायरस के मरीजों को बॉडी बैग में लिपटी क़रीब आधा दर्जन लाशों के बगल में देखना चौंकाने वाला था. इस मामले के बाहर आने के बाद काफ़ी हंगामा हुआ था, जिसके बाद अस्पताल के डीन प्रमोद इंगले को उनको पद से हटा दिया गया था. डॉ. प्रमोद ने बयान दिया था कि, कोविड-19 से जान गंवाने वालों के शव उनके परिजन लेने से हिचक रहे थे.
2. एक ही गड्ढे में दफ़न कर दिए कई कोरोना मरीज़ों के शव
It’s disturbing to see bodies of COVID patients who have died being dumped inhumanly into a pit in Ballari.
— DK Shivakumar (@DKShivakumar) June 30, 2020
Is this civility? This is a reflection of how the govt has handled this Corona crisis.
I urge the govt to take immediate action and ensure that this doesn’t happen again. pic.twitter.com/lsbv5ZUNCR
कर्नाटक के बल्लारी में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले लोगों के शव को एक गड्ढे में फेंक कर दफ़नाने का वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया था. ये वीडियो जून में सामन आया था, जिसमें पीपीई किट पहने कुछ लोग एक गाड़ी में रखे 8 शवों को एक गड्ढे में फेंक रहे हैं. सभी शव फेंकने के बाद इस गड्ढे को ढक दिया गया. इस दौरान न तो उनका अंतिम संस्कार किया गया और न ही शवों के पास कोई परिजन ही नज़र आया.
3. स्ट्रेचर पर बच्ची के शव को नोचता दिखा कुत्ता
संभल में स्वास्थ्य सेवाओं की रोंगटे खड़े कर देने वाली खौफनाक तस्वीर आई सामने।जिला अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही की वजह से स्ट्रेचर पर रखे बच्ची के शव को कुत्तों ने नोच कर खाया। जांच करा लापवाही बरतने वालों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई। शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना! pic.twitter.com/3tgEHCTQpb
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 26, 2020
उत्तर प्रदेश के संभल से मानवता को शर्मसार करने वाला एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अस्पताल परिसर में स्ट्रेचर पर रखे बच्ची के शव को कुत्ता नोंच-नोंचकर खाता दिखाई दे रहा था. इस बच्ची की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. 20 सेकेंड के इस वीडियो में कुत्ता स्ट्रेचर पर बच्ची के शव को नोंच-नोंचकर खाता दिख रहा था. मृतक लड़की के पिता ने दावा किया कि बच्ची के शव को क़रीब 1.5-2 घंटे तक किसी ने देखने की ज़हमत नहीं उठाई. वहीं, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. सुशील वर्मा ने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने लड़की के शव को बमुश्किल एक मिनट के लिए अकेला छोड़ा था.
4. 18 अस्पतालों ने शख़्स को भर्ती करने से किया इनकार, गेट पर ही हो गई मौत
‘वो जो मुर्दों के शहर में ज़िंदगी तलाश रहे थे
बेंगलुरु में नागरथपेट निवासी एक 52 वर्षीय शख़्स बीमार थे, उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी. उन्होंने अपने भतीजे के साथ 18 अस्पतालों के चक्कर लगाए. लेकिन किसी एक ने भी उन्हें एडमिट नहीं किया. हर जगह से बस एक ही बात सुनने को मिली कि बेड खाली नही हैं. आख़िरकार, तमाम कोशिशों के बाद जाकर एक अस्पताल उन्हें एडमिट करने को राज़ा हुआ, लेकिन वहां भर्ती होने से पहले ही गेट पर ही उनकी मौत हो गई.
5. परिवार बिल नहीं चुका पाया, तो अस्पताल ने शव देने किया इनकार
महाराष्ट्र में ठाणे स्थित एक निजी अस्पताल ने कथित तौर पर कोरोना संक्रमित एक 40 वर्षीय महिला का शव देने से इनकार कर दिया, क्योंकि परिवार हॉस्पिटल का 24 लाख का बिल नहीं जमा कर पाया. हालांकि, बाद में जब सोशल मीडिया पर लोगों ने अपना गुस्सा ज़ाहिर किया, तब जाकर हॉस्पिटल ने परिजनों को शव सौंपा.
6. कैंसर रोगी महिला के पैर के अंगूठे को चूहों ने कुतर दिया
उत्तर प्रदेश के आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में एक 40 वर्षीय कैंसर रोगी के पैर के अंगूठे को चूहे ने कुतर दिया. उसके पति ने उसका कंबल खींचा, तो उसका एक पैर खून से सना हुआ मिला.
अस्पताल के डॉक्टरों ने कथित रूप से कोरोनो वायरस भय के कारण चार दिनों तक मरीज़ को देखा तक नहीं. जब उनके पति ने ख़ून से सना अंगूठा देखा, तो उसने अस्पताल के कर्मचारियों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए कहा, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की. बाद में, जब सोशल मीडिया पर महिला के ख़ून से सने पैर को दिखाने वाला एक वीडियो सामने आया, तो कथित तौर पर अस्पताल ने महिला को ‘जबरन’ उसे छुट्टी दे दी.
7. अस्पताल में 5 दिन तक नवजात का शव बिना पोस्टमार्टम के फ़्रीजर में पड़ा रहा
मध्य प्रदेश के इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में तीन महीने के नवजात का शव मर्चुरी रूम में बक्से में बंद मिला. 5 दिन से बच्चे का शव मर्चुरी रूम के फ्रीजर में रखा था. कथित तौर पर अस्पताल का स्टाफ़ शव को फ़्रीज़र में रखकर भूल गया था.
जब ये घटना सामने आई तो अस्पताल ने पुलिस को कानूनी औपचारिकताएं पूरी न करने के लिए दोषी ठहराया, जिससे शिशु के पोस्टमार्टम में देरी हुई. वहीं, पुलिस ने अस्पताल पर झूठ बोलने का आरोप लगाया.
8. घायल मां के लिए अस्पताल का दरवाज़ा पीटता रहा, इलाज न मिलने से हुई मौत
उत्तर प्रदेश के हरदोई में डॉक्टरों की संवेदनहीनता का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया. यहां एक बेटा अपनी घायल मां को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के दरवाज़े और खिड़कियां पीटता रहा. उसका रो-रो कर बुरा हाल हो गया, लेकिन उसकी मां को देखने को कोई नहीं आया. आखिर उसकी मां ने दम तोड़ दिया. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा, तो हॉस्पिटल पूरी घटना से अपना पल्ला झाड़ता नज़र आया.
9. महिला ने अस्पताल के बाहर दिया मृत बच्ची को जन्म
उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक सरकारी अस्पताल ने 26 साल की गर्भवती महिला को एडमिट करने से इनकार कर दिया. महिला बाहर ही तड़पती रही और उसने वहीं एक मृत बच्ची को जन्म दिया. महिला के पति के मुताबिक, बच्ची बच सकती थी, अगर समय रहते उसकी पत्नी को इलाज मिल जाता.
10. एंबुलेंस नहीं आई तो मदद मांगने मुख्यमंत्री आवास पहुंचा कोरोना संक्रमित
कर्नाटक में एक 32 वर्षीय बस ड्राइवर को 5 किमी पैदल चलकर मुख्यमंत्री आवास जाना पड़ा. वो कोरोना संक्रमित था, लेकिन कोई भी एंबुलेंस उसे लेने नहीं आई. ऐसे में मदद की गुहार लगाने और ख़ुद को कोविड फ़ैसिलिटी में एडमिट कराने के लिए शख़्स को मुख्यमंत्री आवास जाने पर मजबूर होना पड़ा.