



ये है दुनिया की असल हक़ीक़त. एक तरफ़ कई लोग रोज़-रोज़, कभी-कभी तो तीनों टाइम के खाने में कुछ न कुछ ज़रूर फेंक देते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ दुनिया का एक बहुत बड़ा वर्ग भूखे पेट ही सोने को मजबूर है.

रिपोर्ट के मुताबिक, यमन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो, अफ़ग़ानिस्तान और सिरिया के लोगों पर सूखे और भूखमरी का सबसे ज़्यादा ख़तरा है.

UN की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि जिन देशों ने रिफ़्यूजीज़ का स्वागत किया है(बांग्लादेश) या जहां युद्ध चल रहा है(सीरिया), उन पर भी काफ़ी दबाव पड़ा है.

इस रिपोर्ट में भारत से जुड़ी कोई बात हमें नज़र नहीं आई. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि हमारे देश ने कुपोषण पर जीत हासिल कर ली है. कुछ लोग खाना फेंकने के आदी होते हैं. वो चाहे तो पहली बार कम लेकर दूसरी बार खाना ले सकते हैं पर अधिक लेकर फेंकना उन्हें ज़्यादा सही लगता है. रेस्त्रां, दफ़्तर में ऐसा कई बार होते दिखता है. घर पर तो मां डांट-डपट कर सही आदत डलवाती है.