जब से फ़ोन स्मार्ट हुए हैं, तब से एक पेशे की जो सबसे ज़्यादा बेइज़्ज़ती हुए है, वो हैं फ़ोटोग्राफ़र. स्मार्टफ़ोन में ‘पिक्सल’ बे लगाम बढ़ रहे हैं. 3 साल पहले तक 2 मेगा पिक्सल कैमरा वाला फ़ोन रखना रुतबे की बात होती थी, आज 24 वाले को भी कोई भाव नहीं देता. अच्छी बात है, लोग तस्वीरे ख़ींच रहे हैं. बुरी बात ये है कि वो ख़ुद को फ़ोटोग्राफ़र कहने लग रहे हैं. जैसे आपके पास महंगी कलम होने से आप राइटर नहीं कहलाने लगते, वैसे ही अच्छा कैमरा होने से आप फ़ोटोग्राफ़र नहीं कहलाएंगे.
यहां कुछ तस्वीरे हैं, जो एक Raw फ़ोटो से अच्छी फ़ोटो बनने के सफ़र के बड़े अच्छे से समझा ये सीरीज़ ये भी बताएंगी कि फ़ोटो क्लिक करना क्या होता है और फ़ोटोग्राफी क्या कहलाती है.
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अच्छे फ्रेम में, अच्छी लाइट में फ़ोटो हर कोई खींच लेता है, लेकिन एक Raw फ़्रेम को बेहतरीन बनाने का काम एक फ़ोटोग्राफ़र ही कर सकता है.
अगर आपके किसी दोस्त को फ़ोटोग्राफ़र होने का भ्रम है, तो उसे यहां टैग करना मत भूलिएगा.