हर स्वतंत्रता दिवस के दिन जब लाल किले पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराता है तो हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. आपको कैसा लगेगा अगर हमारी राष्ट्रीय धरोहर, लाल किले से ‘डालमिया लाल किला’ हो जाए?

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दरअसल ‘लाल किले’ की देखरेख का ज़िम्मा अब डालमिया ग्रुप के हाथों में होगा. केंद्र सरकार की ‘Adopt A Heritage’ स्कीम के तहत, डालमिया ग्रुप ने 5 साल के लिए दिल्ली का ‘लाल किला’ गोद लिया है. इसके साथ ही वो देश के ऐतिहासिक स्थल को कॉन्ट्रेक्ट पर गोद लेने वाला पहला कॉरपोरेट हाउस भी बन गया.

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इंडिगो एयरलाइंस और जीएमआर को हराकर, डालमिया ग्रुप सबसे प्रतिष्ठित अनुबंधों में से एक ‘लाल किले’ को हासिल में करने में सफ़ल रहा है. इस ऐतिहासिक इमारत को नये सिरे से संवारने के लिए, कंपनी ने सरकार को 25 करोड़ रुपये भी अदा किये हैं.

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बीते मंगलवार कंपनी ने इस संबंध में भारत सरकार के पर्यटन और पुरातत्व सर्वेक्षण मंत्रालय के साथ MoU पर हस्ताक्षर किये. यही नहीं, लाल किले के अलावा डालमिया ग्रुप ने आंध्र प्रदेश स्थित ‘Gandikota Fort’ को भी गोद लिया है. वहीं इस मामले पर बात करते हुए पुनीत डालमिया ने कहा कि ‘हम भारत की इस विरासत को अधिक मूल्यवान बनाने की हर संभव कोशिश करेंगे’.

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MoU के नियमों के अनुसार, डालमिया सूमह लाल किले के आस-पास बड़े बदलाव कर सकता है. इसके साथ ही वो वहां आने वाले पर्यटकों से फ़ीस चार्ज करके पैसा भी कमा सकता है.

बीते साल सितंबर में मोदी सरकार ने ‘Adopt A Heritage’ स्कीम लॉन्च की थी, जिसमें पूरे देश की 100 ऐतिहासिक इमारतों को चिन्हित किया गया था. इनमें ताजमहल, कांगड़ा फ़ोर्ट और कोणार्क का सूर्य मंदिर, समेत कई स्थल शामिल हैं.

17वीं शताब्‍दी में मुगल बादशाह, शाहजहां ने लाल किले का निर्माण करवाया था. वहीं अंग्रज़ों के बंधन से मुक्त होने के बाद से हर साल 15 अगस्‍त को प्रधानमंत्री तिरंगा फ़हरा कर, पूरे देश को संबोधित करते हैं. देश का हर नागरिक आज़ादी के इस जश्न का गवाह बनता है. इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया पर ‘मिक्स्ड रिएक्शंस’ आ रहे हैं. कई लोग हैं जो इस बात से खुश नहीं हैं कि देश की ऐसी अप्रतिम धरोहर को एक कॉरपोरेट हाउस के हाथों सौंपना कहां तक जायज़ है. खैर, निर्णय लिया जा चुका है. आप अपनी प्रतिक्रिया कमेंट सेक्शन में दे सकते हैं.

Source : News18