ISRO Sun Mission Aditya-L1: इसरो के मिशन चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला दुनिया का इकलौता देश बन गया. ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) के रोवर प्रज्ञान ने वहां पर अपना काम करना शुरू कर दिया है. ये 14 दिनों तक रोवर चांद की सतह का डाटा संग्रह कर ISRO को भेजेगा.

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इसे स्टडी करने के साथ ही इसरो अपने दूसरे मिशन पर भी दिन-रात काम कर रहा है. ISRO चांद के बाद अब सूर्य पर अपना यान भेजने की तैयारी में जुटा है. ये भारत का पहला सौर मिशन होगा. इसे ‘आदित्य L-1’ (Aditya-L1) नाम दिया गया है. आईए जानते हैं इसरो के इस नए मिशन से जुड़ी सब बातें…

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क्या है ‘आदित्य L-1’ मिशन का उद्देश्य?

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आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है. सैटेलाइट Aditya-L1 को सूर्य की कक्षा में भेजा जाएगा. ये उपग्रह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा.

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कब लॉन्च होगा ‘आदित्य L-1′(Aditya-L1 Launch Date)

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इसरो का सूर्य मिशन 2 सितंबर को लॉन्च होगा और इसे पूरा होने में क़रीब 120 दिन लगेंगे. इसे ऐसी जगह पर स्थापित किया जाएगा जहां से ग्रहण आदि का इसपर कोई असर न पड़े. ‘आदित्य-एल1’ को इस तरह से डिज़ाइन किया गया कि वो सूर्य की गर्मी का सामना कर सके. सूर्य की कक्षा में पहुंचने के बाद सूर्य यान उसकी गतिशीलता और वहां के वातावरण का अध्ययन करेगा.

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ये सूर्य के तापमान, सौर तूफ़ान और पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी किरणों का भी अध्ययन करेगा. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य ISRO वैज्ञानिकों को बिना किसी विलंब के वास्तविक समय में सूर्य की गतिविधियों और सौर मंडल पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने की क्षमता प्रदान करना है. (ISRO Sun Mission Aditya-L1)

कितनी लागत है ‘आदित्य L-1’ की?

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THE FORTUNE

इस मिशन को चंद्रयान-3 (600 करोड़ रुपये) की लगभग आधी लागत पर तैयार किया गया है. सरकार ने 2019 में इसके लिए 378 करोड़ रुपये मंजूर किए थे. इसमें कुल 7 Payloads होंगे. ये सभी सूर्य की विभिन्न परतों का अध्ययन करने में सक्षम हैं. इनमें से 4 सूर्य पर नज़र रखेंगे और 3 मैग्नेटिक फ़ील्ड की जांच करेंगे.