दुनियाभर में इन दिनों भारत का Chandrayaan-3 मिशन चर्चा में है. 23 अगस्त, 2023 को ISRO के ‘चंद्रयान-3‘ ने इतिहास रचते हुए चंद्रमा की धरती पर सफ़लतापूर्वक सॉफ़्ट लैंडिंग की थी. इन दिनों इस मिशन के लैंडर ‘प्रज्ञान रोवर’ चांद की धरती को एक्सप्लोर कर रहा है. इसरो लगातार ‘प्रज्ञान’ पर नज़र रख रहा है. Pragyan Rover का मकसद 14 दिनों तक चांद की सतह का अध्ययन करना है. पृथ्वी पर 14 दिन एक चंद्र दिवस के बराबर होते हैं, जिसके बाद चंद्रमा पर रात हो जाएगी और मौसम बेहद ठंडा हो जाएगा. इस दौरान सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर और रोवर की गति धीमी होने की संभावना है.
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आज हम बात ‘अंतरिक्ष मिशन’ पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की करने जा रहे हैं–
भारत समेत दुनियाभर के कई देश ‘अंतरिक्ष मिशन’ पर जा चुके हैं. इस दौरान कई मिशन पर एस्ट्रोनॉट्स को भी स्पेस में भेजा जाता है. स्पेस मिशन पर जा रहे अंतरिक्ष यात्रियों को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. इनमें खान-पान सबसे अहम होता है. स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स के पास खाने-पीने के कम ही ऑप्शन होते हैं. वो केवल पृथ्वी से लाए हुए ख़ास तरह के फ़ूड आइटम्स ही खाते हैं.
हमारे मन में अक्सर ये सवाल उठता है कि स्पेस मिशन से पृथ्वी पर लौटते ही एस्ट्रोनॉट्स अपनी क्रेविंग मिटाने के लिए खाने पर टूट पड़ते होंगे, लेकिन ऐसा कतई नहीं है. स्पेस से उतरते ही एस्ट्रोनॉट्स की सेहत का बेहद ख्याल रखा जाता है. स्पेस मिशन से लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट्स को शुरूआती दौर में कड़ी डाइट फ़ॉलो करनी पड़ती है, ताकि उनका पेट स्टेबल हो सके.
दरअसल, स्पेस क्राफ़्ट से उतरते ही सबसे पहले एस्ट्रोनॉट्स का मेडिकल टेस्ट होता है. इसके बाद उनसे नींबू पानी पिलाया जाता है. इसके बाद उन्हें खाने के लिए सेब (Apple) दिए जाते हैं. सेब के बाद उन्हें अच्छी तरह से भुना हुआ गोस्त भी दिया जाता है. इसके बाद एस्ट्रोनॉट्स अन्य तरह के फ़ल भी खा सकते हैं.
इस दौरान एस्ट्रोनॉट्स को केवल वही फ़ूड दिया जाता है जो आसानी से पच सके और हेल्दी भी हो. इस प्रक्रिया में एस्ट्रोनॉट्स को ज़्यादातर फ़्रीज़ किया हुआ फ़ूड ही खाने को दिया जाता है. इस स्ट्रिक्ट डाइट के बाद उन्हें कुछ हर्बल या ग्रीन टी जैसी चीज़ें भी पीने की इजाज़त मिल जाती हैं. ये पूरी प्रक्रिया क़रीब 1 महीने तक चलती है.
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