23 अगस्त 2023 को ISRO वैज्ञानिकों ने वो करिश्मा कर दिखाया, जिसे दुनिया का कोई देश अब तक नहीं कर सका. भारत चांद के साउथ पोल पर सफल साफ़्ट लैडिंग करने वाला पहला देश बन गया. जिस टीम ने ऐतिहासिक चंद्रयान 3 मिशन को कामयाब किया, उसका हिस्सा झारखंड के खूंटी जिले के रहने वाले साइंटिस्ट सोहन यादव भी हैं. (Jharkhand Scientist Sohan Yadav Played Important Role In Chandrayaan 3)
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-24-144044.png)
आइए आपको बताते हैं कि कैसे झारखंड के एक ट्रक ड्राइवर का बेटा चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा बना और पूरे देश के लिए मिसाल बन गया.
कौन हैं साइंटिस्ट सोहन यादव?
Who Is Chandrayaan 3 Scientist Sohan Yadav: झारखंड के खूंटी जिले के रहने वाले साइंटिस्ट सोहन यादव बेहद ग़रीब परिवार से आते हैं. उनके पिता एक ट्रक ड्राइवर थे और मां गृहिणी. 4 भाई बहनों में तीसरे नंबर के सोहन को शुरू से ही कुछ बड़ा करना था. वो हमेशा से ही पढ़ाई में दिलचस्पी रखते थे.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/08/14_07_2023-image_-_2023-07-14t142552.414_23470758_142510303.jpg?w=1024)
सोहन ने गांव के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में पांचवीं क्लास तक पढ़ाई की. इसके बाद नवोदय विद्यालय से 10वीं पास की. फिर बरियातू के DAV में 12वीं की. उनकी आर्थिक स्थित भले ही ठीक न हो, मगर कुछ बड़ा करने का जुनून हमेशा से था. ऐसे में उन्होंने IIT में दाखिला ले लिया.
ये सोहन की मेहनत ही थी कि महज़ 21 साल में वो ISRO से जुड़ गए. यही नहीं, उन्हें चंद्रयान 2 की टीम का हिस्सा भी बनाया गया. मिशन फ़ेल होने के बाद उन्हें चंद्रयान 3 मिशन में भी जगह मिली.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-24-144800.png)
पिता ने लगा दी सारी कमाई, भूखे पेट मां ने की प्रार्थना
सोहन के पिता शिवशंकर की बहुत ज़्यादा कमाई नहीं थी. वो ट्रक चलाते थे, जिसके लिए उन्हें 3,000 रुपये मिलते थे. इसके बावजूद वो 2500 रुपये सोहन की पढ़ाई खर्च कर देते थे. पूरे परिवार ने बेहद कम पैसों में जीवन चलाया, ताकि सोहन को अच्छी एजुकेशन मिल सके.
मां देवकी देवी ने बताया कि सोहन को बहुत मुश्किलों के साथ पढ़ाया. मगर आज हर त्याग सफल हुआ. यहां तक कि उन्होंने चंद्रयान 3 के चांद पर लैंड होने तक कुछ खाया नहीं. लैंडिंग के बाद ही उन्होंने उपवास खोला और रामचरितमानस का पाठ किया. साथ ही, चंद्रयान के लॉन्च होने के बाद वो कई तीर्थस्थल पर जाकर प्रार्थना भी करती थीं.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2023/08/sohan_1.webp?w=1024)
उन्होंने कहा, सोहन बचपन से बोलता था कि आज जितना तकलीफ है, कल उनको दुनिया जानेगी. वाक़ई सोहन ने ऐसा कर दिखाया और आज उनके माता-पिता दोनों का ही सिर गर्व से ऊंचा हो गया है.
ये भी पढ़ें: P Veeramuthuvel: जानिए कैसे रेलवे कर्मचारी का बेटा बना Chandrayaan-3 मिशन का प्रोजेक्ट डायरेक्टर