NEET Success Story : NEET 2023 के रिज़ल्ट्स हाल ही में घोषित किए गए हैं. इसके बाद से ही देश के कोने-कोने से कई सारी प्रेरणादायक कहानियां सामने आ रही हैं, जिन्होंने इस परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के अंदर ढेर सारी पॉजिटिविटी ला दी है. ऐसी ही एक कहानी है, राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहने वाले रामलाल भोई (Ramlal Bhoi) की, जिन्होंने अपने इरादों की मज़बूती की अलग मिसाल पेश की है. उनका बाल विवाह हुआ, यहां तक पढ़ाई करने के लिए उनके पिता ने उनकी पिटाई भी की, पर फिर भी रामलाल मन में डॉक्टर बनने का सपना लिए अपने हौसलों पर अडिग रहे और आखिरकार NEET क्रैक कर दिखाया.

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आइए आज हम आपको राजस्थान के रामलाल की इंस्पायरिंग स्टोरी के बारे में बताएंगे, जिन्होंने समाज की पिछड़ी सोच को चुनौती देते हुए अपनी मेहनत से ख़ुद के लिए डॉक्टर बनने की ओर राह बनाई. (NEET Success Story)

11 साल में हो गया था बाल विवाह

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िले के घोसुन्दा गांव के रामलाल भोई ने NEET UG परीक्षा 632 नंबरों के साथ क्रैक की है. उन्‍हें कैटेगरी रैंक 5137 तथा ऑल इंडिया रैंक 12901 मिली है. उन्होंने एलन कोटा से पढ़ाई कर पांचवे प्रयास में नीट क्रैक किया है और अब वो परिवार के पहले डॉक्टर बनने जा रहे हैं. हालांकि, उनके लिए ये बिल्कुल भी आसान नहीं था. जब वो कक्षा 6 में 11 वर्ष के थे, तब उनका बाल विवाह करा दिया गया था. रामलाल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि ‘मेरी शादी आज की उम्र में कराई जाती तो मैं विरोध भी करता, लेकिन तब मुझे क्या पता था क्या हो रहा है?’ उनकी पत्नी भी हम उम्र ही है और क़रीब छह साल पहले उसने ससुराल में रहना शुरू किया है. उनकी पत्नी भी 10वीं के बाद पढ़ना चाहती थीं, लेकिन उसका भी बाल विवाह कराकर पढ़ाई छुड़वा दी गई थी.

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पिता से खाई मार

शादी होने के बाद भी रामलाल ने पढ़ना जारी रखा. उनके पिता चाहते थे कि वो 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दें. समाज के बहकावे में आकर उन्होंने रामलाल की पिटाई भी की, लेकिन उनके संकल्प का स्तर ही अलग था. वो घर से भागकर उदयपुर आ गए और वहां एडमिशन लिया. उनके दोस्त ने पिता को जब आकर समझाया, तब उनके पिता ने पढ़ाई में आगे सहयोग किया. उन्होंने बाद में कर्ज़ा लेकर रामलाल को पढ़ाया.

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कमज़ोर है परिवार की आर्थिक स्थिति

उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफ़ी कमज़ोर है. गांव में उनका कच्चा घर बना हुआ है. बिजली आधे समय गुल रहती है. पिता गणेश दूसरों के खेत जोतते हैं, वहीं मां कमला देवी खेत से मिलने वाले चारे को चित्तौड़गढ़ ले जाकर रोज़ाना बेचती है. इसके अलावा उनके मां-बाप दोनों का मज़दूर कार्ड बना हुआ है. उनके घर में मां-बाप के अलावा पांच भाई-बहन हैं, जिसमें दो बहनों की शादी हो चुकी है.

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पांचवे प्रयास में क्रैक किया NEET

रामलाल ने 12वीं कक्षा में NEET का पहला पेपर दिया था, जिसमें सेल्फ़ स्टडी की मदद से उन्हें 350 मार्क्स हासिल हुए. इसके बाद दूसरे अटेम्प्ट में उनका थोड़े कम 320 मार्क्स आए. मन में डॉक्टर बनने का जुनून था, इसलिए तीसरा प्रयास दिया जिसमें 362 मार्क्स आए. इसके बाद स्कूल के टीचर्स ने उन्हें कोटा के एलेन इंस्टीट्यूट में जाने की सलाह दी. यहां पढ़ने के बाद उनकी मार्किंग में सुधार आया और 2022 में 490 मार्क्स आए. इसके बाद उन्होंने ख़ुद को एक आख़िरी मौका दिया और 2023 में 632 नंबरों के साथ NEET क्रैक कर लिया. रामलाल के इस अचीवमेंट से पूरे गांव में ख़ुशी की लहर है और इसने उनकी शिक्षा के प्रति सोच में जागरूकता लाने का काम किया है.

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