Success Story Of Fevicol Owner Balvant Parekh: इस दुनिया में हर कोई अमीर बनना चाहता है, लेकिन कड़ी मेहनत के बावजूद सफ़लता किसी-किसी को ही मिल पाती है. अगर सच्ची लगन से अपने सपनों का पीछा किया जाए तो मेहनत का फ़ल मिलना तय है. आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी चपरासी हुआ करते थे, लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने आज 3000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी है. हम Fevicol कंपनी के मालिक बलवंत पारेख (Balvant Parekh) की बात कर रहे हैं जो आज पूरी दुनिया में मशहूर हैं.
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चलिए जानते हैं फ़ेविकॉल के मालिक बलवंत पारेख ने फ़र्श से अर्श तक का ये सफ़र कैसे तय किया–
बलवंत पारेख (Balvant Parekh) ने सन 1959 में Pidilite Industries की नींव रखी थी. 64 साल पुरानी इस कंपनी के Fevicol, FeviKwik, Dr. Fixit ब्रांड आज भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, थाईलैंड, बांग्लादेश, इजिप्ट समेत कई देशों में मशहूर हैं. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब बलवंत पारेख को ऑफ़िस बॉय की नौकरी तक करनी पड़ी थी. वो एक लकड़ी व्यापारी के यहां ऑफ़िस बॉय का काम किया करते थे. यहीं से उन्हें बिज़नेस का आइडिया आया था.
बलवंत पारेख का जन्म गुजरात में हुआ था. माता-पिता चाहते थे कि बेटा वकील बने. इसलिए वो वक़ालत पढ़ने के लिए मुंबई आ गए. बलवंत पारेख ने वक़ालत तो कर ली, लेकिन वक़ील नहीं बन पाए. इस दौरान गांधी जी से प्रभावित होकर उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा ले लिया. इसके कुछ समय बाद बलवंत ने घरवालों की मर्जी से शादी कर ली और परिस्थितयों के देखते हुए एक प्रिंटिग प्रेस में नौकरी करने लगे.
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बलवंत पारेख को हमेशा से ख़ुद का कारोबार करना था, इसलिए उन्होंने मोहन नाम के एक निवेशक की मदद से साइकिल, एरेका नट, पेपर डाई आदि को पश्चिमी देशों से भारत इंपोर्ट करने का बिज़नेस शुरू किया. इस दौरान जर्मनी की एक कंपनी होचेस्ट उनके संपर्क में आई और उन्हें जर्मनी जाने का मौका मिला. इस जर्मन कंपनी में उन्हें काफ़ी कुछ सीखने को मिला. जर्मनी से लौटकर उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर डाइकेम इंडस्ट्रीज नाम से कंपनी शुरू की.
ऐसे हुई ‘Fevicol’ की शुरुआत
बलवंत पारेख और उनके भाई की ये कंपनी मुंबई के जैकब सर्किल में डाई, इंडस्ट्रियल केमिकल्स, पिगमेंट एमल्शंस यूनिट की मैन्युफ़ैक्चरिंग और ट्रेडिंग का काम करती थी. लकड़ियों (Wood) के बीच उनका लंबा वक़्त गुजरा. इस दौरान उन्होंने देखा था कि लकड़ियों को चिपकाने के लिए कितनी मेहनत लगती है. इसलिए उन्होंने ग्लू (Glue) बनाने का काम शुरू किया, जिसका नाम फ़ेविकॉल (Fevicol) रखा. ऐसे में सन 1963 में उन्होंने Pidilite Industries की नींव रखी.
आज 3000 करोड़ रुपये की इस कंपनी के Fevicol, FeviKwik, Dr. Fixit ब्रांड भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, थाईलैंड, बांग्लादेश, इजिप्ट समेत कई देशों में मशहूर हैं.
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