First Medallist Of India In Commonwealth Games: भारतीय खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना दमखम दिखाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. भारत का प्रदर्शन राष्ट्रमंडल खेलों में बेहतर रहा है. भारतीय पहलवान भी काफ़ी मेडल जीतते हैं. अभी तक भारत ने रेसलिंग में कुल 114 मेडल जीते हैं. इसमें 49 गोल्ड, 39 सिल्वर और 26 ब्रॉन्ज़ हैं. लेकिन क्या आप उस धाकड़ पहलवान को जानते हैं, जिसने कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार भारत को मेडल दिलाया था. इस पहलवान का नाम था राशिद अनवर (Rashid Anwar). जिन्होंने वेल्टरवेड में तीसरा स्थान हासिल करते हुए भारत को कांस्य पदक दिलवाया था. (Inspirational Story Of Indian Wrestler)
आइए जानते हैं कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला मेडल दिलवाने वाले पहलवान राशिद अनवर की कहानी-
लंदन में जीता पहला मेडल
कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत साल 1930 में हुई. उस वक़्त इसे ‘ब्रिटिश इम्पायर गेम्स’ (British Empire Games) के नाम से जाना जाता था. पहली बार कनाडा में इसका आयोजन हुआ. लेकिन भारत ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया था. भारत ने पहली बार साल 1934 में लंदन में हुए ब्रिटिश इम्पायर गेम्स में हिस्सा लिया, तब पहली बार भारत को मेडल भी मिला. ये मेडल रेसलर राशिद अनवर ने दिलवाया था. उन्होंने इंडिया के लिए पहलवानी में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था.
एंबुलेंस चलाने से लेकर रेलवे में नौकरी तक की
पहलवान राशिद अनवर का जन्म 12 अप्रैल 1910 में हुआ. वो भारतीय रेलवे में नौकरी करते थे. उनकी पोस्टिंग लखनऊ में थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 8 बार से अधिक वेल्टरवेट कैटेगरी में राष्ट्रीय चैंपियन रहे. साल 1936 में बर्लिन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उस प्रतियोगिता के दूसरे राउंड तक पहुंचे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
इतना ही नहीं, माना जाता है कि अगर 1940 में ओलंपिक्स हुए होते, तो अनवर निश्चित रूप से मेडल जीत लेते. उस दौर में वो अपनी बेस्ट फॉर्म में थे और ओलंपिक्स मेडल के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन दूसरे विश्व युद्ध की वजह से इसका आयोजन नहीं हो सका. इस युद्ध के दौरान अनवर ने एंबुलेंस ड्राइवर के रूप में घायलों की मदद की थी.
कुछ सालों के ब्रेक के बाद साल 1959 में एक बार फिर रेसलिंग की दुनिया में उन्होंने वापसी की. उस दौरान भी कई बड़े रेसलर को हराया. हालांकि, इसके बाद उन्होंने कुश्ती को अलविदा कह दिया. बाद में 1973 में लंदन में राशिद अनवर का निधन हो गया.
ये दुखद है कि इतने बड़े पहलवान को जिसने भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रौशन किया, उसे लोग आज जानते भी नहीं हैं. हालांकि, राशिद अनवर के योगदान को कोई चाह कर कभी भुला नहीं सकता.
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