Sachin Tendulkar International Cricket Debut Story: वर्ल्ड क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का नाम ही काफ़ी है. क्रिकेट के सभी बड़े रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले सचिन आज भी दुनिया के बेस्ट क्रिकेटर माने जाते हैं. आज भी उनके रिकॉर्ड के आस-पास कोई दूसरा क्रिकेटर पहुंच नहीं पाया है. टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन और शतक, वनडे क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन और शतक, इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन और शतक लगाने का रिकॉर्ड आज भी सचिन के नाम ही हैं. सचिन के ऐसे ही अनगिनत रिकॉर्ड उन्हें दुनिया का बेस्ट क्रिकेटर बनाते हैं.

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सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट की ABCD सिखाने का श्रेय उनके बड़े अजीत तेंदुलकर जाता है. वहीं क्रिकेटर बनाने का श्रेय उनके कोच रमाकांत आचरेकर को जाता है, लेकिन सचिन तेंदुलकर को इंटरनेशनल क्रिकेटर बनाने का श्रेय एक ऐसे क्रिकेटर को जाता है जो भारत के लिए फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट तो खेला, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेल सका. इसी क्रिकेटर की वजह से सचिन को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली थी.

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पूर्व बीसीसीआई अधिकारी और पूर्व क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर ही वो शख़्श थे जिन्होंने वर्ल्ड क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर जैसा क्रिकेटर दिया था. सचिन को मात्र 16 साल की उम्र में वर्ल्ड क्रिकेट से परिचित कराने का श्रेय राज सिंह डूंगरपुर को ही जाता है. डूंगरपुर ने ही साल 1989 में पाकिस्तान दौरे के लिए सचिन तेंदुलकर को टीम इंडिया टीम में चुना था. तब उन्हें सचिन को बेहद कम उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में मौका देने के लिए आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था.

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दरअसल, क्रिकेट की दुनिया में राजभाई के नाम से मशहूर राज सिंह डूंगरपुर 1989-90 में टीम इंडिया के चयनकर्ता थे. इस दौरान उन्होंने महज 16 साल की उम्र में सचिन तेंदुलकर को नेशनल टीम में खेलने का मौका दिया था. राज सिंह डूंगरपुर ने 14 साल की उम्र में सचिन को क्रिकेट क्लब ऑफ़ इंडिया (CCI) के ड्रेसिंग रूम में एंट्री दिलाने के लिए नियम तक बदल दिए थे. इतना ही नहीं उन्होंने ही इंग्लैंड में सचिन की ट्रेनिंग के लिए प्रायोजकों की व्यवस्था भी की थी.

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सचिन तेंदुलकर के सेलेक्शन की कहानी

बात साल 1989-90 रणजी की है. 16 साल के सचिन तेंदुलकर अपना पहला रणजी सीज़न खेल रहे थे. इस दौरान सचिन ने रिकॉर्ड तोड़ रनों की बौछार कर चयनकर्ताओं को हैरत में डाल दिया था. ऐसे में वेस्टइंडीज़ दौरे के लिए सचिन के नाम पर चर्चा ज़ोरों पर चल रही थी. सचिन को भी अपने सेलेक्शन की पूरी उम्मीद थी. इस बीच मुख्य चयनकर्ता राज सिंह डूंगरपुर ख़ुद सचिन के पास गए और कहा कि उनका वेस्टइंडीज़ दौरे के लिए सेलेक्शन नहीं जा रहा है.

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सचिन तेंदुलकर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि, ‘राज सिंह डूंगरपुर मेरे पास आए और मुझे रणजी ट्रॉफ़ी के सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल में अच्छी परफ़ॉर्मेंस देने की सलाह दी. रणजी सीज़न के बाद मेरी 10वीं की परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को भी कहा और जल्द ही भारत के लिए खेलने की बात भी कही. इसके कुछ ही महीने बाद नवंबर 1989 में मुझे पाकिस्तान दौरे के लिए टीम इंडिया में शामिल कर लिया गया’.

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असल ज़िंदगी में कौन थे राज सिंह डूंगरपुर

राज सिंह डूंगरपुर का जन्म 19 दिसंबर, 1935 को राजस्थान के एक शाही परिवार में हुआ था. उन्होंने 16 साल राजस्थान के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेली. डूंगरपुर दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ थे. उन्होंने राजस्थान के लिए 86 प्रथम श्रेणी मैचों में 206 विकेट लिए. राजस्थान के लिए लगातार रणजी ट्रॉफ़ी के 3 सीज़न में 21 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी बनाया.

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राज सिंह डूंगरपुर भले ही भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेल सके, लेकिन क्रिकेट प्रशासक के तौर पर उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत कुछ किया. राज सिंह डूंगरपुर 20 साल तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से जुड़े रहे. वो 2 बार टीम इंडिया के चयनकर्ता रहे. भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, नवजोत सिंह सिद्धू, अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ, अजय जडेजा जैसे तमाम क्रिकेटर्स देने का श्रेय राज सिंह डूंगरपुर को ही जाता है. 12 सितंबर, 2009 को उनका निधन हो गया था.

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