’26 जुलाई 1999′, यही वो दिन था जब भारतीय जवानों ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को धूल चटाकर तिरंगा लहराया था, उस समय कारगिल में पाकिस्तानी सेना घुसपैठ करने में कामयाब हो गई थी. वहीं जब भारतीय सेना को इस बात की जानकारी मिली, तो सेना ‘ऑपरेशन विजय’ का प्लान तैयार कर घुसपैठियों को भगाने की कोशिश में लग गई. 1999 में मई महीने में शुरु हुआ ये युद्ध करीब दो महीने तक चला और इस दौरान कई सिपाहियों ने देश के ख़ातिर अपनी जान दांव पर लगा दी.
ऐसे ही एक वीरों में शहीद मनजीत सिंह भी है, जो कारगिल में शहीद होने वाले सबसे कम उम्र के जवान थे. मनजीत का जन्म फरीदाबाद के बराड़ा गांव में हुआ था और बचपन ही मनजीत सिंह ने सेना में भर्ती होने का मन बना लिया था, ताकि बड़े होकर उसकी ज़िंदगी देश की सेवा में गुज़रे. शहीद जवान के पिता गुरचरण सिंह पेशे से किसान थे. इसके अलावा मनजीत सिंह के दो भाई हरजीत सिंह और दलजीत सिंह भी थे. बेटे की इच्छा देखते हुए गुरचरण सिंह ने मनजीत को 1998 में रेजिमेंट अल्फ़ा कम्पनी में भर्ती करवा दिया.
मनजीत को सेना जॉइन किये हुए सिर्फ़ डेढ़ साल ही हुआ था कि इधर कारगिल युद्ध छिड़ गया. वहीं 7 जून 1999 में टाइगर हिल में दुश्मनों का सामना करते हुए मनजीत सिंह कारगिल युद्ध में शहीद हो गये. मनजीत सिंह जिस वक़्त सेना में भर्ती हुए, उस समय उनकी आयु सिर्फ़ 17 वर्ष थी और 18 साल की उम्र में वो देश के लिये कुर्बान हो गये.
1999 में हुए ऑपरेशन विजय के तहत 18000 फ़ीट की ऊचांई पर कारगिल में पाकिस्तान के साथ जंग करते वक़्त करीब 527 जवान शहीद हुए थे. हमारी तरफ़ से सभी शहीद जवानों को सलाम!