महाराष्ट्र के नासिक में भगवान विष्णु का सुंदरनारायण मंदिर स्थित है. इसे 1756 में गंगाधर यशवंत चंद्रचूड़ ने बनवाया था. मंदिर में भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती की मूर्ती भी है. मंदिर की दीवारों पर भगवान हनुमान, इंद्र देव और भगवान नारायण की तस्वीरें बनी हुई हैं.
मंदिर की वास्तुकला भारत की सभ्यता का शानदार नमूना है. इसके कुछ अंग, जैसे गुंबद में मुगलशैली की वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है. मंदिर का मुख पूरब की ओर है. मंदिर के वास्तुकला की सबसे ख़ास बात इसका कोण है. 21 मार्च को उगते सूरज की सबसे पहली किरण भगवान सुंदर नारायण की मूर्ती पर पड़ती है.
मंदिर से एक दंत कथा जुड़ी है. आज जिस जगह पर मंदिर है, एक समय में वो स्थान जलंदर नामक राक्षस का गढ़ हुआ करता था. वो बुरे काम करता था और लोगों के परेशान करता था. इसके बावजूद जलंदर भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. जलंदर की पत्नी बहुत शालीन और सभ्य थी. पति-पत्नी की श्रद्धा से प्रसन्न हो भगवान शिव ने जलंदर को अमरत्व का वरदान दिया. इससे जलंदर का अत्याचार और भी बढ़ गया. अहंकार में डूबा हुआ जलंदर भगवान शिव के विरुद्ध भी खड़ा हो गया. मदद के लिए भगवान शिव, भगवान विष्णु के समक्ष गए.
भगवान विष्णु ने पता लगाया कि जलंदर की जान उसके पत्नी के मर्यादित व्यवहार में बसी हुई है. भगवान विष्णु जलंदर का रूप धर उसकी पत्नी के पास चले गए. इससे जलंदर की मृत्यु हो गई. जलंदर की पत्नी को जब भगवान विष्णु की इस हरकत का पता चला, तब उसने गुस्से में भगवान विष्णु को श्राप दिया कि उनके चेहरे की खूबसूरती चली जाएगी और वो कुरूप हो जाएंगे. भगवान विष्णु ने इस श्राप से मुक्ती पाने के लिए पवित्र गोदावरी नदी में स्नान किया और वो फिर से पहले जैसे हो गये. सुंदर नारायण मंदिर का नाम इस कहानी से जुड़ा हुआ है.