Gaganyaan Spacecraft: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पहले पहले ह्यूमन स्पेसफ़्लाइट मिशन (First Human Spaceflight Mission) के लिए गगनयान अंतरिक्षयान (Gaganyaan Spacecraft) की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं. इस अंतरिक्ष यान के ज़रिए 4 भारतीय अंतरिक्षयात्री 3 दिन के लिए धरती के चारों तरफ़ चक्कर लगाने के लिए इन दिनों बेंगलुरु स्थित ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (HSFC) में ट्रेनिंग ले रहे हैं.
इसरो (ISRO के जिस गगनयान (Gaganyaan) में बैठकर भारतीय अंतरिक्षयात्री धरती के चारों तरफ़ चक्कर लगाने वाले हैं, उसके अंदर का नज़ारा कैसा है. बैठने की क्या होगी व्यवस्था व अन्य सुविधाएं कैसी होंगी? मॉनिटर या पायलट कंट्रोल कैसा और कहां होंगे, जिससे गगनयान को नियंत्रित किया जाएगा? आज हम हम आपको गगनयान अंतरिक्षयान (Gaganyaan Spacecraft) के अंदर की एक्सक्लूसिव तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं.
1- यही है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का Gaganyaan Spacecraft.
Gaganyaan Spacecraft
2- गगनयान अंतरिक्षयान (Gaganyaan Spacecraft) के साथ इसरो के साइंटिस्ट.
3- गगनयान अंतरिक्षयान (Gaganyaan Spacecraft) पूरी तरह से भारत में निर्मित है.
4- ये क्रू मॉड्यूल (Crew Module) है. इसके अंदर ही अंतरिक्षयात्री बैठकर धरती के चारों तरफ़ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे.
5- क्रू मॉड्यूल डबल दीवार वाला अत्याधुनिक केबिन है, जिसमें कई प्रकार के नेविगेशन सिस्टम, हेल्थ सिस्टम, फ़ूड हीटर, फूड स्टोरेज, टॉयलेट आदि सब होंगे.
6- ये गगनयान की ‘हीट शील्ड’ है जो वायुमंडल के घर्षण से पैदा गर्मी से बचाएगा. इसके अलावा समुद्र में लैंडिंग के समय पानी की टकराहट से लगने वाली चोट से भी बचाएगी.
7- गगनयान के इस ‘क्रू मॉड्यूल’ को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल जाएंगे. ताकि इसकी लैंडिंग सुरक्षित हो सके. इसके उतरते ही भारतीय तट रक्षक बल (Indian Coast Guard) या भारतीय नौसेना (Indian Navy) के पोत इसे संभालकर उठा लेंगे.
8- गगनयान के अंतरिक्षयात्रियों के लिए खाना गर्म करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की लैब डिफ़ेंस फ़ूड रिसर्च लेबोरेटरी (DFRL) ने एक फ़ूड हीटर (Food Heater) का डिज़ाइन भी बनाया है. इसके आधार पर बेंगलुरु स्थित अनंत टेक्नोलॉजीस (Anantah Technologies) ने इस ‘फ़ूड हीटर’ को विकसित है.
9- ये ‘फ़ूड हीटर’ धरती पर स्थित ‘मास्टर कंट्रोल सेंटर’ से भी नियंत्रित किया जा सकता है. यानी अगर एस्ट्रोनॉट्स धरती का चक्कर लगाते समय कहीं किसी काम में व्यस्त हो तो उन्हें सिर्फ खाने का पाउच इसमें रखकर कंट्रोल सेंटर को बता देना है. धरती से ही खाने को गर्म कर दिया जाएगा. इसके बाद एस्ट्रोनॉट्स उस पाउच को खोलकर खाना निकाल कर खा सकते हैं
10- ये ‘फ़ूड हीटर’ मुख्यतः एल्यूमिनियम बना है. इसके अलावा कुछ और धातुओं का भी उपयोग किया गया है. इसमें अभी कई तरह की इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स लगाए जाएंगे. अभी इसका वजन करीब 4.3 किलोग्राम है. जो पूरी तरह तैयार होने के बाद में करीब 6 किलोग्राम हो जाएगा. इस हीटर में खाने के 5 पाउच गर्म किए जा सकते हैं.
11- इसरो (ISRO) ने गगनयान (Gaganyaan) के लिए जो टॉयलेट बनाया है, वो नासा (NASA) के स्पेस स्टेशन में मौजूद टॉयलेट से कम नहीं है. इसरो ने इसे वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम (Waste Management System) नाम दिया है. इसी एक टॉयलेट में हमारे गगननॉट्स सुसु और पॉटी कर सकेंगे.
12- अंतरिक्ष में सुसू और पॉटी करना आसान नहीं होता. इस दौरान शरीर से अगर फ़ोर्स के साथ मल निकला तो आप वैक्यूम में ऊपर की ओर उड़ सकते हैं. इसलिए इस टॉयलेट में सीट के अगल-बगल रीस्ट्रेन्स (Restrains) लगे हैं. जो गगननॉट्स पकड़कर या फिर अपनी जांघों में फंसाकर रख सकते हैं. साथ ही पैरों को फंसाने के लिए नीचे की तरफ फुट रीस्ट्रेन (Foot Restrain) लगा है ताकि आप पैर फंसाकर बैठ सकें. नहीं तो इधर मल निकला और उधर एस्ट्रोनॉट जीरो ग्रैविटी में तैरने लगेगा.
कैसी लगी हमारी ये जानकारी.?