आज डिजिटल दुनिया जितनी तेज़ी से फैल रही है, उतनी ही रफ़्तार से हमारी निज़ी ज़िंदगी सिकुड़ती जा रही है. इंटरनेट पर वेबसाइटें हमारी हर गतिविधि को ट्रैक कर रही हैं. हम क्या सर्च कर रहे हैं, देख रहे हैं और यहां तक कि हमारी पहचान की स्क्रीन रिकॉर्डिंग तक की जा रही है.
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ऐसे में एक ज़बरदस्त रिसर्च ‘The MarkUp’ पब्लिश हुई है, जिसे खोजी डेटा पत्रकार Surya Mattu और खोजी रिपोर्टर Aaron Sakin ने अपने नए विकसित एप ‘Blacklight’ के माध्यम से किया है. इस रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा किया गया है कि कैसे लोकप्रिय वेब-ब्राउज़र, वेबसाइटों और विज्ञापनदाताओं के बीच सांठगांठ हमारी निज़ी ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ कर रही है. ऑनलाइन रहते वक़्त होने वाली स्नूपिंग को तो छोड़ ही दीजिए, हमारी प्राइवेट लाइफ़ ऑफ़ लाइन रहने के दौरान भी सेफ़ नहीं है.
यूज़र्स की डिजिटल आदतों का लगा रहीं पता
दोनों पत्रकारों ने 1,00,000 से अधिक वेबसाइटों का एक सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण के अनुसार, 87 प्रतिशत वेबसाइट पूरी तरह से अपने उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर ट्रैक कर रही थीं, जबकि कुछ सर्फ़र्स के माउस मूवमेंट को भी ट्रैक कर रही थीं. दरअसल, एक अजीबोगरीब घटना भी सामने आई, जिसने विज्ञापन कंपनियों के साथ मिलकर ये वेबसाइट अपने यूज़र्स की डिजिटल आदतों के बारे में पता लगा रही थीं.
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स्कैन की गईं 80,000 वेबसाइटों में से लगभग 5,000 यूज़र्स की पहचान के साथ कुकी डेटा भेज रही थीं, भले ही यूज़र थर्ड पार्टी की साइट तक पहुंच को ब्लॉक कर दें. इसके अलावा, 12,000 वेबसाइटों को यूज़र्स की माउस के मोशन के माध्यम से यूज़र्स की स्क्रॉल और क्लिकों को भी मॉनिटर करते हुए पाया गया. इसका मतलब है कि अगर किसी यूज़र ने महज़ टाइप किया हो और एंटर का बटन न भी दबाया हो तो भी की-लॉगिंग नामक प्रक्रिया द्वारा यूज़र की गतिविध कैप्चर हो जाती है.
इसके अलावा, लगभग 200 वेबसाइट्स को यूज़र्स द्वारा एक्सेस मना करने के बावजूद भी उनके नाम, फ़ोन नंबर और पासवर्ड जैसी व्यक्तिगत जानकारी भेजने के लिए दोषी पाया गया. Blacklight का दावा है कि सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश वेबसाइट्स पर एक समय में 13 थर्ड-पार्टी कुकीज़ तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ कम से कम 7 विज्ञापन ट्रैकर पेश किए गए थे.
फ़ेमस वेबसाइट भी यूज़र्स की ऑनलाइन मूवमेंट को कर रही ट्रैक
इन वेबसाइट्स की खोजी ट्रैकिंग का दावा है कि इस तरह से यूज़र्स की पर्सनल इंफ़ॉर्मेशन ट्रैकिंग फ़ेमस ‘Google Chrome’ ब्राउज़र द्वारा आसानी से की जा सकती है, जहां लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए गुप्त रूप से कुकीज़ भेजे जाते हैं. इसके बाद इन्हें थर्ड पार्टी की विज्ञापन साइटों पर भेजा जाता है.
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Facebook, Twitter और Disqus सहित विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइट्स को भी यूज़र्स की ऑनलाइन मूवमेंट को ट्रैक करते पाया गया है. ये वेबसाइट्स यूज़र्स की ऑनलाइन शॉपिंग और स्ट्रीमिंग ऑनलाइन मनोरंजन सामग्री की वरीयता के आधार पर विज्ञापन एल्गोरिदम को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन मूवमेंट को ट्रैक करती हैं.
ये भी पाया गाया कि Google Analytics ट्रैकर विज़िटर्स की जनसांख्यिकी के आधार पर विज्ञापन प्रोफ़ाइल पर डेटा प्राप्त करता है और इसे ग्राहकों के साथ अपने समझौते पर साझा करता है. इस बीच, Google के प्रवक्ता ने दावा किया कि कंपनी विज्ञापन प्रोफ़ाइल बनाने में शामिल नहीं है और ग्राहकों को विज्ञापनों के आधार पर यूज़र्स को टारगेट करने के लिए भी हतोत्साहित करती है.
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इसी तरह फ़ेसबुक पिक्सल ट्रैकर भी ऑनलाइन या ऑफ़लाइन होने के बावजूद विभिन्न वेबसाइटों पर यूज़र्स को फ़ॉलो कर सकता है. जिससे ये विज्ञापन जेनरेशन को टारगेट करने के लिए यूज़र्स की ब्राउज़िंग हिस्टरी को लिंक कर सकता है. दिलचस्प बात ये है कि जांच से पता चला है कि लगभग 69% लोकप्रिय वेबसाइट्स ने Google Analytics ट्रैकर को लोड किया, जबकि 30 प्रतिशत ने फेसबुक पिक्सल ट्रैकर को इसी तरह के प्रयोजनों के लिए लोड किया.