एक कप कड़क अदरक वाली चाय, कप से निकलती भाप…और उस चाय के कप में आधा डूबा मैं!

अरे वही, जिसे तुम बड़े शौक से अपनी चाय में डुबा कर खाते हो…बिस्कुट!

चाय का सच्चा साथी

Country And Townhouse

सुबह की वो पहली चाय और उसके साथ मैं. शाम को टपरी की वो चाय और उसके साथ भी मैं. उस चाय की हर चुस्की पर उसकी तारीफ़ करते हो…वाह-वाह करते थकते नहीं हो. मगर चाय में मुझे हल्का-सा डिप कर के जब एक बाईट लेते हो, तब मेरी तारीफ़ नहीं करते. तुम्हारी चाय के स्वाद में चार चांद लगाने का काम करूं मैं और तुम प्रशंसा के 2 बोल नहीं बोल सकते? बुरा लगता है, बहुत बुरा!

बस यूं ही चाय में गिर जाना

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अगर मैं कभी ज़रा सा चाय में गिर जाऊं, तो गाली भी मैं ही खाता हूं. अरे भाई, इसमें मेरी क्या गलती? ग़लती तुम्हारी, कि तुमने ज़्यादा डुबो दिया. इस बात पर न कभी-कभी इतना गुस्सा आता है कि मैं कई बार जान बूझ कर भी गिर जाता हूं. और कुछ नहीं, तो कम से कम तुम्हारी चाय का अनुभव तो ख़राब हो ही जाता है…बदला आखिर मीठा होता है!

खाली पेट चाय नहीं पीते

unjabi Dailypost

पता है न कि खाली पेट चाय नहीं पीते? तब याद आती है तुम्हें मेरी! पता है एसिडिटी हो जाएगी तुम्हें, फिर भी चाय पीना कम नहीं करते तुम. बस साथ में मुझे ले लेते हो ताकि बच सको उससे. तब भी वाह-वाह चाय की ही करते हो,मेरी नहीं.

कितना मिलनसार हूं मैं

Eazy Kook

चाय तो बस चाय ही है गुरु. मुझे देखो. मुझसे सीखो. हर जगह घुल-मिल जाता हूं. आइसक्रीम के साथ खा लो, या चीज़, टमाटर, खीरे के साथ रख के खा लो, या चाहे तो जैम लगा के खा लो, मीठा भी हूं, नमकीन भी, अकेले भी खा सकते हो…और चाय के साथ तो मैं परफे़क्ट हूं ही.

कितना कुछ झेलना पड़ता है मुझे

कई बार तो तुम्हें मेरे चाय में गिर जाने से दिक्कत भी नहीं होती, बल्कि तुम खुद मुझे चाय में मिला के…मेरा घोल बना के पी जाते हो. अपनी ख़ुशी के लिए तुम कुछ भी कर लोगे. कभी ये मत सोचना कि इसमें मेरी सहमति है भी या नहीं. भाई नहीं पसंद है मुझे घोल बनना. मगर तुम अपनी ही चलाओगे…मैं फिर भी कुछ नहीं कहता!

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चाय की अहमियत तो सब जानते हैं, बस मुझे कोई नहीं मानता. ऐसा नहीं कि ज़रूरत नहीं है मेरी. है, मैं जानता हूं, लेकिन कभी-कभी कह भी देना चाहिए.

कभी सोचा है मुझे कैसा महसूस होता होगा?

नहीं…क्यों सोचोगे? तुम तो सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हो!