भारत पूरी दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जिसमें इतने धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति हैं. हम अपनी संस्कृति को सर्वोच्च स्थान देते हैं और दूसरी तरफ़ अपनी सहूलियतों के हिसाब से उसका मज़ाक भी बना देते हैं. हिन्दू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदि का दर्जा मिला है, वहीं दूसरी तरफ़ इसमें पूरे शहर का मल और गंदगी ऐसे प्रवाह किया जाता है जैसे ये कोई गंदा नाला हो. मान्यता अनुसार, हिन्दू व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी अस्थियां गंगा में विसर्जित होती हैं, लेकिन कई लोग पूरी लाश इस नदी में प्रवाहित कर देते हैं.
हमें ये देखना है कि हम जिन तरीकों को आम मान रहे हैं, उन्हें दूसरे देश कैसे देख रहे हैं. उनके दिमाग में भारत की क्या छवि बन रही है.
साल 2008 में एक पर्यटक ने भारत की कुछ तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की थीं. ये तस्वीरें भारत की वो छवि दिखा रही थीं, जो हम अपनी संस्कृति की आड़ में नज़रअंदाज़ करते आ रहे हैं. गंगा और उसके पास के इलाकों की करीब 50 तस्वीरें चीन के मीडिया में खूब वायरल हो रही हैं.
इन तस्वीरों में भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा की गंदगी कैद है, कैसे हर तरह की गंदगी इसमें घुलती है. सीवेज की गंदगी, तैरती लाश, फ़्रैक्ट्री केमिकल, इंसानी मल-मूत्र, गाय का गोबर, जानवरों की हड्डियां सब इसमें पाई जाती हैं. साल 2008 के बाद भी ये चीज़ें बदली नहीं हैं. जनवरी 2015 में 100 से ज़्यादा लाशें, गंगा की उपनदी में पाई गई थीं.
इन लाशों को जानवर चीर रहे थे, पंक्षी चुग रहे थे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के परियार गांव के पास करीब 102 लाशें नदी में तैरती पाई गई थीं. सरकार की नज़र शायद इन तैरती लाशों पर नहीं पड़ती, इसलिए इन्हें दिखाना ज़रूरी है.
दूसरे देश की मीडिया में भारत की ऐसी छवि बनना हम सब के लिए विचार करने की बात है. प्रधानमंत्री ने गंगा को साफ़ करने और भारत में 90 लाख सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने का दावा तो किया है, पर इन सब से हट कर कुछ सार्थक कदम हमें खुद उठाने पड़ेंगे अपने देश के लिए.