पंजाब की धरती ने हिंदुस्तान को कई वीर सपूत दिए, जो दिलों में आज़ाद मुल्क का सपना लिए जंगे आज़ादी की लड़ाई में घर बार सब छोड़ कर कूद पड़े. आज़ादी के उसी दौर में अमृतसर के घर में पैदा हुआ था भगत सिंह. चौंक गए न! या सोच रहे होंगे कि शायद इसका दिमाग ख़राब हो गया है. भगत सिंह तो लाहौर में पैदा हुआ थे. फिर ये क्यों पागलों वाली बात कर रहा है. पर हां दोस्त अमृतसर में भी एक भगत सिंह पैदा हुआ था, वही पगड़ी, वही चौड़ा माथा. पर यह भगत सिंह कई मायनों में शहीदे आज़म से अलग था.

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उच्च शिक्षा के लिए 1913 में अमेरिका गए भगत सिंह ने US Army में सिलेक्शन के 5 साल बाद 1918 में US नागरिकता के लिए आवेदन किया. उन दिनों अमेरिका में `Free White Persons’ का दौर चल रहा था, जिसके तहत गोरे लोग वहां की नागरिकता ले रहे थे. जो सांवले थे वो भी स्किन ट्रीटमेंट करवा कर इस बहती गंगा में अपने हाथ धो रहे थे. पर भगत सिंह को यह सब नागवारा था. उन्होंने नागरिकता के लिए 2 बार और आवेदन किया पर हर बार उनके हाथ नाकामी लगी. आख़िरकार 1923 में उन्हें कोर्ट की शरण लेनी पड़ी.

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अमेरिका में Mayank Keshaviah ने भगत सिंह के जीवन संघर्ष पर एक नाटक लिखा है, जिसमें ऐसे ही कई रहस्यों से पर्दा उठाया गया है. उनके इस नाटक को Asian American Theatre Group का भी साथ मिला है, जिसने भगत सिंह की याद में एक मार्च निकालने की तैयारी में है.

शहीद भगत सिंह के बारे में बच्चा-बच्चा जानता है, पर इतिहास तभी सार्थक होता है जब हम उसके बारे में पूर्ण रूप से जाने. आशा है कि आप भी इसे शेयर करके अपने दोस्तों को भगत सिंह के जीवन के बारे में बताएंगे.

Source: TOI