Cap Roof Ventilators In Train: आपने कभी न कभी ध्यान दिया होगा कि ट्रेन की छत पर गोल ढक्कन नज़र आते हैं. मगर कभी सोचा है कि आख़िर ये ढक्कन छत पर क्यों लगे रहते हैं और इनका काम क्या होता है? आपको बता दें, ट्रेन की छतों पर लगे ये ढक्कन यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज़ से लगाए जाते हैं. अगर ये न हों तो काफ़ी परेशानियां हो सकती हैं.
रूफ़ वेंटिलेटर कहलाते हैं ये ढक्कन
इन ढक्कनों को कैप रूफ़ वेंटिलेटर कहते हैं. जैसा नाम है, वैसा ही काम भी. मतलब, ये ट्रेन में वेंटिलेशन का काम करते हैं. इनके ज़रिए गर्म हवा बाहर निकलती है. अगर गर्म हवाओं के निकलने के लिए कोई जगह न हो तो आग लगने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में रूफ़ वेटिलेंटर पूरी ट्रेन के तापमान में संतुलन बनाए रखने का काम करता है.
कैसे काम करता है ये वेंटिलेटर सिस्टम
आपने देखा होगा कि ट्रेन के AC कोच पूरी तरह बंद रहते हैं. खिड़कियां भी एकदम पैक. अब ऐसे में एयर निकलने की जगह तो होती नहीं. जिसके चलिते गर्म हवा बाहर निकलने का कोई रास्ता होता नहीं है. अब अगर गर्म हवा भरती रहेगी तो आग लगने का खतरा बढ़ता है.
ऐसा न हो, इसके लिए कैप रूफ़ वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जाता है. ये ट्रेन के तापमान को मेनटेन रखने में मदद करता है. आपने देखा होगा कि ट्रेन के कम्पार्टमेंट की छत पर छेद वाली प्लेट्स लगी होती हैं. यहीं से गरम हवाएं बाहर निकलती हैं. इसी की वजह से यात्रियों को घुटन महसूस नहीं होती.
Cap Roof Ventilators In Train
बता दें, AC कोच के अलावा ट्रेन के दूसरे कम्पार्टमेंट में भी इसका असर दिखता है, लेकिन AC कम्पार्टमेंट के लिए इनका रोल अहम होता है. साथ ही, इसे इस तरह डिज़ाइन किया जाता है कि बारिश के दौरान भी इसमें से हवा का वेंटिलेशन होता रहे. साथ ही, इसके अंदर पानी भी न पहुंचे.
इसके लिए वेंटीलेटर के ऊपर एक कैप भी लगा होता है. इसका ढक्कन बंद होने की वजह से बारिश का पानी कोचों के अंदर नहीं जाता और कोच के अंदर की गर्मी कोच की छत पर लगी प्लेटो के माध्यम से बाहर निकलती रहती है.
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