Jyothi Raj Spiderman : अगर आप ‘स्पाइडरमैन‘ के फै़न हैं, तो आपने उसे फ़िल्मों में दीवार पर चढ़ते हुए, एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग में छलांग लगाते हुए और कई तरह की कलाबाज़ियों को करते हुए देखा होगा. हालांकि, आज हम आपको विदेशी नहीं बल्कि रियल लाइफ़ भारतीय बोले तो एकदम देसी स्पाइडरमैन से मिलवाएंगे. ये एक ऐसे शख्स हैं, जिनके लिए दीवारों पर चढ़ना तो जैसे सांप-सीढ़ी का खेल है.
हालांकि, कई बार ऐसा करते हुए इनकी जान पर भी बात बन आई है. लेकिन इसके बावजूद वो पिछले 15 सालों से फुर्ती से ऐसी कलाबाज़ी करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि वो लोगों के मनोरंजन और मदद के लिए ऐसा करते हैं. तो चलिए अपने देसी स्पाइडरमैन के बारे में आपको थोड़ा डीटेल में परिचय दे देते हैं.
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कौन है ये व्यक्ति?
हम जिस भारतीय स्पाइडरमैन की बात कर रहे हैं, उनका नाम ‘कोठी राजू‘ है. लोग उन्हें मंकी किंग और इंडियन स्पाइडरमैन के नाम से भी जानते हैं. उनका जन्म 17 मई 1988 को तमिलनाडु के थेनी में हुआ था. लेकिन बाद में वो कर्नाटक में रहने लगे. वो बिना किसी सहारे के 100 फ़ीट से ऊंची दीवार पर आसानी से चढ़ सकते हैं. वो इकलौते ऐसे शख्स हैं, जो कर्नाटक के सबसे ऊंचे जॉग वॉटरफॉल पर प्रवाह के विपरीत चढ़े हैं.
कैसे सीखी ये कला?
ज्योति ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने दीवारों पर चढ़ना फ़िल्मों में दिखाए जाने वाले स्टंट और बंदरों से सीखा है. साथ ही विदेशी स्पाइडरमैन ऐलन रॉबर्ट भी उनके लिए इंस्पिरेशन हैं. ताकि उनकी ऐसा करने की क्षमता बनी रहे, इसलिए वो हर रोज़ ख़ूब व्यायाम करते हैं. वो मानते हैं कि ये कला उन्हें ईश्वर ने दी है. वो ‘60 सेकेंड में कुछ भी कर दिखाएगा’ में भी हिस्सा ले चुके हैं.
कई लोगों को कर चुके हैं रेस्क्यू
ज्योति राज पिछले 15 सालों से चित्रदुर्ग की दीवारों पर बिना सेफ्टी रोप या हारनेस के चढ़ते रहे हैं. उन्होंने ये भी बताया था कि जब भीड़ उन्हें सांसें थाम कर ऊपर चढ़ते हुए देखती है, तो उन्हें बहुत मज़ा आता है. ऊंचाई पर होने के बाद वो उलटे लटके जाते हैं, मानों ‘डर’ शब्द का उनकी डिक्शनरी में कोई वजूद ही ना हो. वो युवा बच्चों को भी रॉक क्लाइम्बिंग सिखाते हैं. उन्होंने जॉग फॉल में गिरे कई व्यक्तियों को रेस्क्यू भी कराया है. एक बार साल 2018 में वो एक शव को निकालने के चक्कर में ख़ुद फंस गए थे, फिर रेस्क्यू टीम ने अगले दिन उन्हें बाहर निकाला था. वो अब तक 11 अलग-अलग रास्तों से चढ़कर क़रीब 35 शव निकाल चुके हैं.
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कभी चित्रदुर्ग किले में सुसाइड करने पहुंचे थे ज्योति राज
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि जिस किले में वो प्रैक्टिस करते हैं, उस किले में वो कभी अपनी ज़िन्दगी ख़त्म करने पहुंचे थे. लेकिन न जाने उन्हें किस चीज़ से प्रेरणा मिली कि वो आत्महत्या करने के बजाय यहां की दीवारों पर चढ़ने-उतरने लगे. उनका ये भी कहना है कि इसको करने के लिए शारीरिक और मेडिकल तरीक़े से फ़िट रहना बहुत ही ज़रूरी है.