बचपन में आप सभी ने त्रेता युग के श्रवण कुमार की कहानी तो पढ़ी और सुनी ही होगी, जो अपने अंधे मां-बाप को कंधे पर उठाकर सत्य की खोज में निकला था. श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को दुनिया अपने नज़रिए से दिखाई थी. बेटे की आंखों से ही बुज़ुर्ग माता-पिता ये दुनिया देख पाए थे. लेकिन आज हम आपको त्रेता युग के नहीं, बल्कि कलियुग के श्रवण कुमार से मिलाने जा रहे हैं, जो अपनी आलीशान ज़िंदगी को त्याग अपनी मां को लेकर दुनिया की सैर पर निकला है.

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कर्नाटक का ये श्रवण कुमार मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर मातृ सेवा में लगा हुआ है. कृष्ण कुमार नाम का शख़्स स्कूटर से अपनी 75 वर्षीय मां चुडारत्नम को लेकर भारत भ्रमण पर निकला है. पिछले कुछ सालों से कृष्ण कुमार अपनी मां को भारत की तीर्थ यात्रा करा रहे हैं वो अब तक स्कूटर से अपनी मां को देश के लगभग सभी धार्मिक स्थलों की यात्रा करा चुके हैं.

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मां की यात्रा के लिए 2016 में छोड़ी नौकरी

45 वर्षीय कृष्ण कुमार साल 2016 तक एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. लेकिन मां के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी. पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर रहे कृष्ण कुमार ने मातृ सेवा के लिए उन्होंने शादी तक नहीं की. उनकी मां ने अपनी पूरी ज़िंदगी संयुक्त परिवार की सेवा में बिता दी. लेकिन अब 74 साल की उम्र में बेटे की साथ विश्व भ्रमण पर निकली हैं.

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कृष्ण कुमार के पिता दक्षिणामूर्ति वन विभाग में कार्यरत थे, लेकिन साल 2015 में उनका निधन हो गया. कृष्ण तब बंगलौर में कार्यरत थे, इसलिए वो अपनी मां को अपने पास ले आये. दिनभर ऑफ़िस में काम के बाद शाम को मां-बेटे आपस में ढेर सारी बातें करते. कृष्ण ने एक दिन मां से पूछा, क्या आपका घर से बाहर घूमने का मन नहीं करता? इस पर मां ने कहा, करता तो है लेकिन कैसे घूमें? मां की ये बात सुनकर बेटे को अहसास हुआ कि जिस मां ने उन्हें पूरी दुनिया देखने के काबिल बनाया, घर के हर शख़्स को बनाने के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया. अब उस मां को दुनिया दर्शन कराएंगे.

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आख़िरकार साल 2016 में कृष्णा ने अपनी लाखों की नौकरी छोड़ दी और दो साल बाद 5 जनवरी, 2018 को मां के साथ यात्रा शुरू कर दी. कृष्णा पिता के गिफ़्ट किए हुए स्कूटर से मां को भारत के अधिकतर राज्यों समेत नेपाल, भूटान और म्यांमार की यात्रा करा चुके हैं. इन 5 सालों में वो अब तक अपनी मां के साथ स्कूटर से 90 हज़ार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं.

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लॉकडाउन में भी नहीं रुका सफ़र

कृष्ण कुमार और उनकी मां का ये सफ़र लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहा. लॉकडाउन के दौरान जब वो भूटान सीमा पर पहुंचे तो पता चला कि सीमाएं सील हैं. ऐसे में उन्हें क़रीब 2 महीने भारत-भूटान सीमा के जंगलों में गुजारने पड़े. इसके बाद जब उनका पास बना तो 1 सप्ताह में स्कूटर से 2673 किलोमीटर का सफ़र तय कर वापस मैसूर आ गए. सब कुछ सामान्य होने के बाद 15 अगस्त 2022 से उन्होंने दोबारा यात्रा शुरू कर दी जो अब तक जारी है.

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मीडिया से बातचीत में कृष्ण कुमार कहना था कि, ‘इंसान जब दुनिया से अंतिम विदा लेता है तो लोग उनकी फोटो पर माला चढ़ाकर मृतक की इच्छाओं के बारे में बातें करते हैं, उन्हें याद करते हैं. मैं ये मलाल लेकर नहीं जीना चाहता था. इसलिए पिता के गुजर जाने के बाद मां को अकेला छोड़ने की बजाय मैंने उन्हें दुनिया दिखाने का निर्णय किया और हम यात्रा पर निकल पड़े’.

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