भारतीय सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी रेलवे स्टेशनों का संचालन व देख-रेख भारतीय रेलवे करता है. लेकिन, जानकर हैरानी होगी कि देश में एक ऐसा भी अनोखा रेलवे स्टेशन है जिसका संचालन भारतीय रेलवे नहीं बल्कि एक गांव के लोग करते हैं. गांव वालों के हाथों ही इस रेलवे स्टेशन की पूरी ज़िम्मेदारी है. क्यों इस रेलवे स्टेशन को गांव वाले चलाते हैं (Railway station which is run by villagers), इसके पीछे एक दिलचस्प वजह है, जिसे हम इस लेख में आपको बताएंगे. आइये, जानते हैं इस अनोखे भारतीय रेलवे स्टेशन के बारे में.
आइये, अब लेख में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं विस्तार से भारत के इस अनोखे रेलवे स्टेशन (Railway station which is run by villagers) के बारे में.
भारत का अनोखा रेलवे स्टेशन
भारत के इस अनोखे रेलवे स्टेशन का का नाम है Jalsu Nanak Halt railway station. ये अनोखा रेलवे स्टेशन राजस्थान में हैं और नागौर ज़िले से क़रीब 82 किमी की दूरी पर स्थित है. जानकारी के अनुसार, इस रेलवे स्टेशन का पूरा संचालन यहां के गांव वाले करते हैं.
टिकट बेचने से लेकर रख रखाव
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— NEWJ (@NEWJplus) January 19, 2020
जानकर आश्चर्य होगा कि गांववाले ट्रेन का टिकट काटने से लेकर इस स्टेशन (Railway station which is run by villagers) की पूरा ध्यान रखते हैं. जानकारी के अनुसार, इस स्टेशन पर 10 से ज्यादा ट्रेनें रुकती हैं. माना जाता है कि इस स्टेशन से अब 30 हज़ार से ज़्यादा आय हो रही है. यहां हर महीने 1500 टिकट बेचे जाते हैं यानी 50 टिकट रोज़ाना.
इस वजह से गांववालों ने ली स्टेशन की ज़िम्मेदारी
इस रेलवे स्टेशन को पहले भारतीय रेलवे ही चलाता था. इसे 1976 में चालू किया गया था. लेकिन, एक पॉलिसी के तहत उन सभी स्टेशनों को बंद करने का आदेश दिया गया जो कम रेवेन्यू वाले थे. इसमें जालसू नानक हाल्ट रेलवे स्टेशन भी शामिल था, जिसे 2005 में बंद करने का आदेश दिया गया था.
चंदा जुटाया गया था
गांव वालों ने शर्त मान ली थी. वहीं, कहते हैं कि इस काम के लिए उन्होंने आपस में चंदा इकट्ठा किया था. लगभग डेढ़ लाख रुपए चंदे से इकट्ठे किए गए थे. इन पैसों से 1500 टिकट ख़रीदे गए और बाकी पैसे निवेश में लगा दिए गए. साथ ही गांव वालों ने 5 हज़ार की सैलरी पर एक ग्रामीण को टिकट बेचने के काम पर लगाया.
फ़ौजियों का गांव
जानकारी के लिए बता दें कि ये गांव फ़ौजियों का गांव कहा जाता है. यहां से लगभग 200 जवान भारतीय सेना में हैं और 250 से ज़्यादा रिटायर्ड पर्सन हैं. फ़ौजियों के आवागमन के लिए ही इस रेलवे स्टेशन की शुरुआत की गई थी. हालांकि, अब गांव वाले चाहते हैं कि इस स्टेशन को भारतीय रेलवे फिर से अपने हाथों में ले ले.