भारतीय इतिहास में एक से बढ़कर एक योद्धा हुए हैं. महाराणा प्रताप से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज तक न जाने कितने शासकों ने मुगलों व अंग्रेज़ों के अत्याचार से भारत की रक्षा की थी. लेकिन केवल पुरुष शासक ही नहीं महिला शासकों ने भी अपने साहस और जज़्बे से इस देश की रक्षा की थी. भारतीय इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई से लेकर रानी चेन्नम्मा तक ऐसी कई योद्धा रही हैं जिन्होंने देश की ख़ातिर अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.

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आज हम आपको देश की ऐसी ही 10 महिला शासकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने शौर्य और साहस के लिए मशहूर थीं-  

1- प्रभावती गुप्त 

प्रभावती गुप्त को भारतीय इतिहास की पहली महिला शासिका के नाम से भी जाना जाता है. प्रभावती ने चौथी शताब्दी के दौरान शासन किया था. वो सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री थीं. प्रभावती का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय से हुआ था, लेकिन कम उम्र में ही रूद्रसेन की मृत्यु के बाद प्रभावती ने वाकाटक की संरक्षिका बनकर शासन किया.  

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2- रानी दिद्दा  

रानी दिद्दा कश्मीर की पहली महिला शासिका हुआ करती थीं, जिन्होंने 10वीं शताब्दी के क़रीब कश्मीर में शासन किया था. वो काबुल के शाही परिवार से ताल्लुक रखती थीं. रानी दिद्दा ‘लोहार वंश’ की राजकुमारी और ‘उत्पल वंश’ की शासिका (रानी) थीं. उन्हें ‘वीर रानी’ के नाम से भी जाना जाता है.

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3- रुद्रमा देवी  

रुद्रमा देवी 13वीं शताब्दी में ‘काकतीय वंश’ की महिला शासिका थीं. रुद्रमा देवी की सबसे ख़ास बात ये थी कि उन्होंने अपने शासनकाल में समाज के निचले तबके के लोगों को अपनी सेना में भर्ती किया और उन्हें सम्मान दिया. रुद्रमा देवी ने पूर्वी गंग व यादव राजाओं से युद्ध लड़ा था और विजय प्राप्त की थी.

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4- रजिया सुल्ताना  

रजिया सुल्ताना तुर्क इतिहास की पहली महिला शासिका थीं. वो मुग़ल सम्राट इलतुतमिस की बेटी थीं. इल्तुतमिश की मौत के बाद रजिया को राजगद्दी सौंपी गई क्योंकि वो ज़्यादा काबिल थीं. रजिया ने 1236 ई० से 1240 ई० तक ‘दिल्ली सल्तनत’ पर शासन किया था. रजिया सुल्ताना दरबार में पुरुषों की भांति जाती थीं.

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5- रानी दुर्गावती 

रानी दुर्गावती ‘कालिंजर’ के चंदेल राजाओं की बेटी व गोंडवाना के आदिवासी राज्य की रानी थी. विवाह के कुछ ही साल में पति की मृत्यु के बाद रानी ने स्वयं शासन की बागडोर सभाली. इस दौरान मालवा के मुस्लिम राजा बाजबहादुर ने गोंडवाना पर कई हमले किये लेकिन हर बार उन्हें रानी दुर्गावती के हाथों पराजित होना पड़ा. इसके बाद रानी ने मुग़ल सम्राट अकबर से भी युद्ध लड़ा था.

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6- अहिल्याबाई होल्कर 

अहिल्याबाई होल्कर ‘मराठा साम्राज्य’ की प्रसिद्ध महारानी और मराठा सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं. वो केवल 19 वर्ष की आयु के विधवा हो गयी थीं. अहिल्याबाई के नेतृत्व में ‘होल्कर वंश’ ने अंग्रेज़ों के आगे झुकने से साफ़ इंकार कर दिया था. अहिल्याबाई ने काशीविश्वनाथ, सोमनाथ, महाकाल और अन्य शिवमंदिर का पुनः निर्माण कराया था. इंदौर में आज भी अहिल्याबाई होल्कर को ‘मां अहिल्या’ के नाम से जाना जाता है.

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7- रानी लक्ष्मीबाई  

रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित ‘झांसी की रानी’ और ‘1857 की क्रान्ति’ की द्वितीय शहीद वीरांगना थीं. रानी लक्ष्मीबाई ने केवल 29 वर्ष की आयु में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आज़ादी का बिगुल बजाया था. लेकिन देश की आज़ादी की ख़ातिर रणभूमि में वो वीरगति को प्राप्त हो गयीं. हिंदुस्तान आज भी रानी लक्ष्मीबाई को ‘खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी’ के तौर पर जानती है.

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रानी चेन्नम्मा मैसूर के कित्तूर राज्य राज की रानी थीं. इन्होंने अंग्रेज़ों की ‘राज्य हड़प नीति’ के विरोध में सशक्त विद्रोह किया था. रानी चेन्नम्मा पति की मृत्यु के बाद बेटे की मृत्यु को गम भूल पाती उससे पहले उन्हें अंग्रेज़ों से युद्ध लड़ना पड़ा. इस दौरान रानी ने अंग्रेज़ों का जमकर मुक़ाबला किया, लेकिन बाद अंग्रेज़ों द्वारा उन्हें बंदी बना लिया गया और जेल में ही उनकी मृत्यु हुई.

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9- बेगम हजरत महल

बेगम हजरत महल अवध (लखनऊ) के नवाब वाजिदअली शाह की पत्नी थीं. इनके माता-पिता ने इन्हें एक तवायफ़खाने में बेच दिया था. जब नवाब वाजिदअली ने हजरत महल को देख तो उनकी ख़ूबसूरती देख उनसे शादी कर बेगम बना लिया. जब अंग्रेज़ों ने ‘अवध’ को हथियाने का प्रयास किया तो नवाब ने हथियार दाल दिए, लेकिन बेगम हजरतमहल ने अपने लोगों को एकजुट कर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ युद्ध का ऐलान कर दिया था.

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10- रानी अवंतीबाई 

रामगढ़ की रानी अवंतीबाई ‘1857 की क्रांति’ के दौरान रेवांचल में ‘मुक्ति आंदोलन’ की मुख्य सूत्रधार थीं. इनका विवाह बचपन में ही मनकेहणी राजकुमार विक्रमाजीत सिंह के साथ हो गया था. राजा विक्रमाजीत सिंह पूजा-पाठ व धार्मिक अनुष्ठानों में लगे रहते थे. इसलिए राज्य संचालन का काम पत्नी रानी अवंतीबाई ही करती रहीं. रानी अवंतीबाई ने अपने राज्य को बचाने के लिए अंग्रेज़ों से जंग लड़ी थी.

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भारतीय इतिहास में पहली सदी से पूर्व भी यकीनन महिला शासिका रहीं होंगी.