Anna Mani an Indian Physicist and Meteorologist: दुनियाभर में मौसम के बदलते मिजाज़ का पूर्वानुमान लगाने लगाने के लिए मौसम विषेशज्ञ नई नई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. मौसम की सटीक जानकारी मिल सके इसके लिए मौसम विभाग (Meteorological Department) कई तरह की एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है. लेकिन इस एडवांस टेक्नोलॉजी का श्रेय दुनियाभर के वैज्ञानिकों को जाता है. भारत में मौसम का सटीक अंदाज़ा लगाने का श्रेय महिला वैज्ञानिक श्रेय अन्ना मणि (Anna Mani) को जाता है. 

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भारत में जब भी महान महिला वैज्ञानिकों का ज़िक्र होता है अन्ना मणि (Anna Mani) का नाम ज़ुंबान पर आना स्वाभाविक है. उन्होंने मौसम विज्ञान से जुड़ी एक बेहतरीन खोज की थी, जिसकी वजह से आज हम मौसम का इतना सटीक अनुमान लगा पाते हैं. इस खोज ने उन्हें पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया था. अन्ना मणि को आज भी दुनिया के कई मशहूर वैज्ञानिक ‘भारत की मौसम महिला’ के नाम से जानते हैं. 

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दरअसल, अन्ना मणि ने मौसम पर नज़र बनाए रखने और सही अनुमान लगाने वाले उपकरणों को डिज़ाइन करने में अहम भूमिका निभाई थी. आज मौसम का पूर्वानुमान लगाना अगर संभव हो पाया है, तो सिर्फ़ और सिर्फ़ अन्ना मणि की वजह से. वो भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) की पूर्व उप महानिदेशक भी रह चुकी थीं. उन्होंने सोलर रेडिएशन, ओज़ोन और पवन ऊर्जा उपकरण के क्षेत्र में अपने बेहतरीन काम से वैज्ञानिकों का काम आसान बना दिया था. 

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असल ज़िंदगी में कौन थीं अन्ना मणि?

अन्ना मणि (Anna Mani) का जन्म 23 अगस्त, 1918 को केरल के पीरमाडे में हुआ था. उनके पिता सिविल इंजीनियर थे. अन्ना मणि बचपन से ही डांसर बनना चाहती थीं, लेकिन तब डांस को करियर के तौर पर नहीं देखा जाता था. इसलिए उनका परिवार चाहता था कि वो पढ़ाई करके ‘कुछ अच्छा’ काम करे, स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद उन्होंने भौतिकी में करियर बनाने का फ़ैसला किया.

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रिसर्च के बावजूद नहीं मिली PhD की डिग्री

अन्ना मणि (Anna Mani) ने साल 1939 में मद्रास के Pachaiyappas College से भौतिक और रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. सन 1940 में उन्होंने बैंगलोर के Indian Institute of Science से रिचर्स के लिए स्कॉलरशिप हासिल की. इस दौरान उन्होंने देश के महान वैज्ञानिक सी. वी. रमन के अधीन काम करते हुए ‘रूबी और हीरे’ के ऑप्टिकल गुणों पर रिसर्च की. इस विषय पर 5 शोध पत्र लिखकर अपना PhD रिसर्च पेपर तैयार किया, लेकिन उन्हें PhD की डिग्री नहीं मिली, क्योंकि उनके पास भौतिकी में पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री नहीं थी.

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अन्ना मणि (Anna Mani) सन 1945 में भौतिकी में पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए लंदन के ‘इंपीरियल कॉलेज’ चली गईं. लंदन के ‘इंपीरियल कॉलेज’ में उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों की पढ़ाई की. आख़िरकार लंदन से पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद वो भारत की आज़ादी के बाद सन 1948 में भारत लौट आईं और पुणे के मौसम विभाग में काम करने लगीं.

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पुणे मौसम विभाग में काम करते हुए अन्ना मणि (Anna Mani) ने मौसम संबंधी उपकरणों पर कई शोध पत्र प्रकाशित किए. इस दौरान ब्रिटेन से आयातित मौसम संबंधी उपकरणों के अरेंजमेंट की ज़िम्मेदार भी उन्होंने ही निभाई थी. आख़िरकार सन 1953 में वो 121 पुरुषों के एक डिवीजन की प्रमुख बन गयीं. अन्ना मणि भारत को मौसम उपकरणों में स्वतंत्र बनाना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने नौकरी के साथ-साथ बंगलुरु में अपनी एक छोटी सी वर्कशॉप भी बनाई थी, जहां वो हवा की गति और सौर ऊर्जा को मापने का काम करती थीं. 

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बंगलौर में स्थापित इसी वर्कशॉप वो हवा की गति और सौर ऊर्जा को मापने के लिए उपकरणों का निर्माण और ओजोन को मापने के उपकरण विकसित करने पर काम करती थीं. इस दौरान उन्होंने क़रीब 100 मौसम उपकरणों के चित्रों का मानकीकरण किया. तब उन्हें ‘अंतर्राष्ट्रीय ओजोन संघ’ का सदस्य भी बनाया गया था. अन्ना ने ‘थुम्बा रॉकेट प्रक्षेपण सुविधा’ में एक मौसम विज्ञान वेधशाला और एक उपकरण टावर भी स्थापित किया था. इसके बाद सन 1957 और 1958 में उन्होंने सौर विकिरण को मापने के लिए स्टेशनों का एक नेटवर्क स्थापित किया.

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अन्ना मणि (Anna Mani) को सन 1969 में उप महानिदेशक के रूप में दिल्ली स्थानांतरित किया गया था. इसके बाद सन 1975 में उन्होंने मिस्र में WMO सलाहकार के रूप में कार्य किया. आख़िरकार सन 1976 में वो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Meteorological Department) के उप महानिदेशक पद से में सेवानिवृत्त हुईं.

अन्ना मणि (Anna Mani) ‘भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी’, ‘अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी’, ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा सोसायटी’, ‘विश्व मौसम विज्ञान संगठन’ और ‘अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान व वायुमंडलीय भौतिकी संघ’ सहित कई वैज्ञानिक संगठनों से जुड़ी थीं. सन 1987 उन्हें INSA K. R. K. R. Ramanathan Medal से भी सम्मानित किया गया था.

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अन्ना मणि (Anna Mani) को इसलिए भी महान कहा जाता है क्योंकि उन्होंने उस दौर में इतनी पढ़ाई और इतने रिसर्च किए, जब भारत में महिलाओं की साक्षरता दर मात्र 1 प्रतिशत थी. आज उनकी वो बेहतरीन रिसर्च ही आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो रही है. अन्ना मणि गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थीं. वो पूरी जिंदगी गांधीजी के मूल्यों पर ही चलती रहीं. आख़िरकार 16 अगस्त, 2001 को तिरुवनंतपुरम में इस महान वैज्ञानिक का निधन हो गया.

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