हमारा देश पुरुष प्रधान देश है. इसलिये यहां हर छोटी-छोटी चीज़ में पुरुषों को आगे रखा जाता है. चूंकि हिंदुस्तान पुरुष प्रधान है, तो इसलिये हम महिलाओं से कई उम्मीदें भी की जाती हैं. ये उम्मीदें आज की पाली हुई नहीं हैं, बल्कि महिलाओं से इन उम्मीदों की रीत-सदियों से चली आ रही है. मैं भी एक लड़की हूं, इसलिये नहीं चाहती कि ये समाज मुझसे कुछ चीज़ों की उम्मीद रखे. वही उम्मीद जो घर की बाकि महिलाओं से की जाती है.
कृपया मुझसे इन चीज़ों को लेकर कोई उम्मीद न करें:
1. शादी के बाद सभी लोगों के खाना खाने के बाद ही मैं खाना खाऊंगी.
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2. घर के हर फ़ंक्शन में मेरा पहले पहुंचना ज़रूरी नहीं होना चाहिये.
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3. शादी के बाद सुबह सबसे पहले उठना.
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4. काम दोनों करते हैं, फिर ऑफ़िस से घर आने पर लड़की से खाना बनाने की उम्मीद क्यों?
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5. हर चीज़ के लिये मैं ही धैर्य क्यों रखूं?
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6. सारे रीति-रिवाज़ मुझे पता होंगे, ऐसा क्यों सोचना?
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7. सब्ज़ी में नमक का सही अंदाज़ा मुझे ही क्यों होना चाहिये?
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8. बिना बोले हमसे ही क्यों उम्मीद की जाती है कि हमें सब समझ आना चाहिये.
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9. ग़लत बात पर मुझे ही चुप रहने की सलाह क्यों?
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10. सेविंग के नाम पर मैं ही अपनी इच्छाएं क्यों मारूं?
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11. बच्चों के ग़लत करने पर ताने खाने का हक़ सिर्फ़ मुझे ही नहीं देना चाहिये.
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12. हर बार हर चीज़ के लिये मैं Adjust नहीं कर सकती.
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ये बात सिर्फ़ मेरी ही नहीं है, किसी भी महिला या लड़की से इस तरह की दकियानूसी बातों की उम्मीद पालना ग़लत है. लड़की या महिला होने से पहले हम एक इंसान हैं.
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