राजस्थान (Rajasthan) यानि ‘राजाओं का स्थान’. कहते हैं कि ये राजपूत राजाओं से रक्षित भूमि थी. इसलिये इस राज्य का नाम राजस्थान पड़ गया. ये राज्य राजपूताना शान-ओ-शौक़त और सभ्यता के लिये जाना जाता है. हांलाकि, अगर इसके इतिहास पर नज़र डालें, तो राज्य को पहचान दिलाने में यहां की महिलाओं का भी अहम रोल रहा है.

अतीत में कुछ साहसी महिलाओं के कारण दुनियाभर में राजस्थान की माटी को पहचान मिली. इन महिलाओं ने अपने साहस और बलिदान से सब पर ऐसी छाप छोड़ी, जिसे लोग आज तक भुला नहीं पाये. चलिये जानते हैं, कौन थीं वो बहादुर महिलाएं जिन्होंने राजस्थान को राजस्थान बनाया.

1. महारानी गायत्री देवी  

23 मई 1919 को लंदन में जन्मी गायत्री देवी (Gayatri Devi) दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में से एक थी. Vogue मैगनीज़ द्वारा उन्हें दुनिया की टॉप 10 सुंदर महिलाओं में शामिल किया गया था. वो सिर्फ़ जयपुर की महारानी ही नहीं, बल्कि पॉलिटिशियन भी थीं. गायत्री देवी ने अपनी शाही लाइफ़स्टाइल और दबंग अंदाज़ से सबका ध्यान खींचा और आज उन्हें पूरी दुनिया जानती है.  

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2. हाड़ी रानी  

मेवाड़ की हाड़ीरानी ने अपनी मातृभूमि के लिये जो किया, उसे तक भुलाया नहीं जा सका है. 16वीं शताब्दी के दौरान हाड़ीरानी का विवाह सलूंबर के राव रतन सिंह के साथ हुआ था. दोनों के विवाह को एक ही दिन हुआ था कि युद्ध ने उनके द्वार पर दस्तक दे दी. मातृभूमि की रक्षा और मान-सम्मान के लिये हाड़ी रानी ने अपना सिर काट कर सैनिक को दे दिया, ताकि उनके पति का ध्यान प्रेम पर नहीं, बल्कि मातृभूमि की रक्षा पर हो. 

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3. रानी पद्मनी 

चित्तौड़ की रानी पद्मिनी जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही वीर और बुद्धिमान भी. अलाउद्दीन खिलज़ी ने जब रानी की सुंदरता और वीरता के बारे में सुना, तो उन्हें पाने के लिये चित्तौड़ पर हमला कर दिया. युद्ध के दौरान रानी को खिलज़ी के आगे आत्मसमर्पण करना नामंज़ूर था. इसलिये रानी ने लगभग 13,000 महिला साथी के जौहर कुंड में जाने का फ़ैसला लिया और आत्मदाह कर लिया. रानी पद्मिनी के इस क़दम की वजह से आज दुनिया चित्तौड़ किले और पद्मिनी पैलेस के बारे में जानती है.  

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4. मीरा बाई 

जानकारी के मुताबिक, मीरा बाई (Mirabai) का जन्म 1498 में राजस्थान के कुड़की गांव में हुआ था, जो कि पाली में है. मीरा बाई कृष्ण भक्त और कवियात्री थीं. मीरा बाई कृष्ण प्रेम में पागल थीं और उन्हें अपना पति मानती थीं. मीरा बाई की इच्छा के विरुध के उनका विवाह उदयपुर के महाराजा भोजराज के साथ कर दिया गया था. शादी के कुछ वक़्त बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई. पति की मृत्यु के बाद लोगों ने उन्हें सति होने के लिये कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

मीरा बाई ने समाज की रुढ़िवादी विचारधारा को तोड़ते हुए सति होने से इंकार कर दिया. यहां तक उन्होंने अपना श्रृंगार तक नहीं उतारा था, क्योंकि वो दिल से मुरली मनोहर को अपना पति मानता थीं. घरवालों से परेशान होकर मीरा बाई ने द्वारिका जाने का निर्णय लिया और वहीं कृष्ण भक्ति करने लगी. कहा जाता है कि 1557 में उन्होंने कृष्ण भक्ति करते हुए जीवन की अंतिम सांसे लीं.  

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5. पन्ना धाय 

पन्ना धाय, राणा सांगा के बेटे उदयसिंह की दाई मां थी, जिन्हें पन्ना धाय के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि उदयसिंह की रक्षा करने के लिये उन्होंने अपने पुत्र की बलि दे दी थी. जानकारी के अनुसार, पन्ना धाय का जन्म 1490 राजस्थान के पंडोली गांव में हुआ था.

माना जाता है कि उन्होंने उदयसिंह को बनवीर के हमले से बचाने के लिये उन्होंने उदयसिंह की जगह अपने पुत्र को सुला दिया था. जिसके बाद बनवीर ने उदयसिंह समझ उनके पुत्र की हत्या कर दी थी. यही नहीं, वो उदयसिंह को लेकर काफ़ी दिनों तक कुंभलगढ़ के जंगलों में भी भटकी थीं.   

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