(Inspirational Story Of Indian Bowler Radha Yadav)-  कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (CWG 2022) में 7 अगस्त को भारतीय महिला क्रिकेट टीम की राधा यादव की चौकस फ़ील्डिंग ने कमाल कर दिया. ये फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच एजबेस्टन (Edgbaston) बर्मिंघम में हुआ. जहां 22 वर्षीय रधा यादव की ज़बरदस्त फ़ील्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. दरअसल, उन्होंने 11वें ओवर के पहले बॉल पर ऑस्ट्रेलिया की कप्तान मेग लैनिंग (Meg Lanning) को ज़बरदस्त तरीक़े से आउट कर दिया.

22 वर्षीय राधा ने शानदार फ़ील्डिंग से लोगों का दिल जीत लिया है. इसी बहाने हम उनके क्रिकेट करियर यानी कि इस मुक़ाम पर पहुंचने की कहानी बताते हैं. कैसे उत्तर प्रदेश के एक गांव की लड़की कॉमनवेल्थ गेम्स तक पहुंची है.

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चलिए पढ़ते हैं राधा यादव की ज़िंदगी के बारे में (Inspirational Story Of Indian Bowler Radha Yadav)- 

राधा यादव जौनपुर ज़िले अजोशी गांव की रहने वाली हैं. 

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राधा का जन्म 21 अप्रैल 2000 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के अजोशी गांव में हुआ था. राधा की ज़िंदगी काफ़ी मुफ़लिसी में गुज़री थी. जन्म के दौरान से ही उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. पैसों की किल्लत की वजह से उनकी पढ़ाई पर भी काफ़ी असर पड़ रहा था. तब उनके पिता परिवार के पालन-पोषण के लिए डेरी उद्योग से जुड़ गए थे. साथ ही उनके पिता की छोटी सी दुकान भी है, जिसमें रोज़मर्रा की ज़रूरत का सामान मिलता है. उन्होंने अपनी आधी पढ़ाई गांव से की और इंटरमीडिएट की पढ़ाई केएन इंटर कॉलेज बांकी से पूरी की थी. (Inspirational Story Of Indian Bowler Radha Yadav)

12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. 

राधा के पिता की दुकान मुंबई में थी. साथ ही इतने बड़े शहर के अंदर छोटी सी दुकान से घर चला पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता था और उस दौरान राधा की उम्र महज़ 12 साल थी जैसा कि मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है. उन्हें बचपन से क्रिक्रेट खलेने का काफ़ी शौक़ था. इसीलिए वो क्रिकेट अपने गली के लड़कों के साथ खेलती थी. अब इतनी मुफ़लिसी में राधा के पास बैट ख़रीदने के भी पैसे नहीं थे. इसलिए वो ख़ुद ही लकड़ी का बैट बना कर खेलना आरंभ कर दी.

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तभी उनपर क्रिकेट कोच प्रफुल नाइक की नज़र पड़ी. कोच ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, “तब राधा महज़ 11 साल की थी और मैंने राधा को मुंबई के कांदिवली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते देखा था. मेरी नज़र उसपर पड़ी जब उसने टेनिल बॉल से विकेट लिया था. लेकिन सामने बैटिंग कर रहा लड़का बैट छोड़ ही नहीं रहा था. लेकिन अड़ियल राधा भी अपनी बात पर डट गयी. ये जज़्बा देखते हुए मैंने सोचा कि, मैं इसे क्रिकेट सिखाऊंगा.” 


ये बात करने के लिए कोच प्रफुल जब राधा के पिता के पास गए, तो उन्होंने क्रिकेट खेलने के लिए मना कर दिया. उन्होंने कहा, ” मेरे पास पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो मैं इसे क्रिकेट कैसे सिखा पाऊंगा”. लेकिन प्रफुल ने हार नहीं मानी और कहा की “प्रतिभा पैसों की मोहताज़ नहीं होती “. उन्होंने राधा के पिता को समझाते हुए कहा कि, अगर राधा क्रिकेट टीम में आ जाती है उसे रेलवे में भी नौकरी मिल सकती है. जिसके बाद राधा के पिता मान गए. (Inspirational Story Of Indian Bowler Radha Yadav)

राधा ने 2018 में डेब्यू किया था.

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राधा ने क्रिकेट करियर में अपना डेब्यू 2018 में किया था. वो एक स्लो लेफ्ट आर्म बॉलर हैं. जिन्होंने 2018 में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ T20 मैच खेला था. उन्होंने 11 नवंबर 2018 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भी मैच खेला था. राधा गुजरात की पहली महिला थीं, जिन्होंने इंटरनेशनल स्टेज पर भारत की तरफ़ से खेला था.


शुरुआती दिनों में, राधा ने मुंबई से खलेना शुरू किया था. लेकिन फिर उन्हें 2014-15 में वड़ोदरा में शिफ़्ट कर दिया गया था. जहां उन्होंने वडोदरा में U-19 वेस्ट ज़ोन टूर्नामेंट, वुमन वन-डे टूर्नामेंट, सीनियर वुमन T-20 टूर्नांमेंट और U-23 वेस्ट-ज़ोन वन-डे टूर्नामेंट खेला था. उन्होंने अंडर-19 टूर्नामेंट के 8 मैचों में 138 रन और 35 विकेट लिए थे. उनकी इस ज़बरदस्त क्रिकेट के जज़्बे ने उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम तक भी पंहुचा दिया था.

राधा भारत की अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं.