Inspiring Story Of Kamal Kumbhar: ग़रीब परिवार, आर्थिक तंगी और नाक़ाम शादी अगर ये पहचान बना दी जाए तो औरत हो या मर्द दोनों की बुरा लगेगा. क्योंकि ये तीन चीज़ें कभी उस इंसान की पहचान नहीं बन सकते, जिन्हें परिस्थितियों को अपने हक़ में मोड़ना आता हो. ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक, संघर्षभरी और सफलता की कहानी है महाराष्ट्र की रहने वाली कमल कुंभार (Kamal Kumbhar) की. कमल ने अपनी ज़िंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनका डटकर सामना किया और समाज में एक Entrepreneur बनकर उभरीं.

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Inspiring Story Of Kamal Kumbhar

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आइए कमल कुंभार की ज़िंदगी के बारे में जानते हैं कि वो कैसे एक सफल Entrepreneur बनीं?

The Better India के अनुसार, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद के एक मज़दूर परिवार में जन्मीं कमल कुंभार ने बचपन से ग़रीबी देखी. आर्थिक तंगी के चलते उन्हें वो शिक्षा नहीं मिली, जिससे वो आगे कुछ कर पातीं. ग़रीब परिवार में खाने वाले पेट ज़्यादा हों तो मां-बाप न चाहते हुए भी लड़कियों की शादी जल्दी कर देते हैं ताकि उनका कुछ भार कम होगा. ऐसा ही कुछ कमल के साथ भी हुआ वो थोड़ी बड़ी हुईं तो उनकी शादी कर दी गई, लेकिन शादी भी विफल रही, जिसके बाद वो अपने घर वापस आ गईं.

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घर तो अपना ही था, लेकिन समाज की छोटी सोच शादी के बाद लड़की पराई हो जाती है तो बस कमल को पराई मानकर समाज के लोगों ने ताने देना शुरू कर दिया. मगर कमल इन तानों को अपनी जिंदगी नहीं बनाना चाहती थीं उन्हें कुच करना था, लेकिन कैसे ये वो भी नहीं जानती थीं? क्योंकि उनके पास न तो डिग्री थी, न ही पैसे, फिर 500 रुपये से उन्होंने गांव में चूड़ियां बेचना शुरू की, जब उनके पास औरतें चूड़ियां लेने आतीं तो वो समझ गईं कि वो अकेली नहीं हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं, बल्कि उनके जैसी कई और औरतें भी हैं.

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बस उन्हीं औरतों के लिए कुछ करने की चाह लेकर कमल ने चूड़ियां बेचकर जो पैसे कमाए उसमें कुछ उधार लेकर पैसे जोड़े, जो 2000 रुपये तक हो गए, फिर उन्हीं रुपयों से 1998 में कमल ने कमल पॉल्ट्री ऐंड एकता प्रोड्यूसर्स कंपनी की शुरुआत की और धीरे-धीरे औरतों को उसमें रोज़गार देना शुरू किया. जब इनकी कंपनी तरक्की करने लगी तो, कमल ने महिलाओं के लिए एक स्वयं सहायता समूह खोला.

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कमल ने रुकना नहीं सीखा. अपने अनुभवों में एक और अनुभव जोड़ते हुए उनके इलाक़े में जब रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी योजना परियोजना आई तो उन्होंने ‘ऊर्जा विशेषज्ञ’ की ट्रेनिंग ली, जिससे उन्होंने गांव में महिलाओं में जागरुक किया और इसका परिणाम ये रहा कि 3,000 घरों में सोलर लैंप लग गए.

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इसके बाद, साल 2012 से 2015 के बीच जब ज़िले में भयंकर सूखा पड़ा तो कमल ने उस आपदा में अवसर देखा और उस सूखी ज़मीन पर बकरी पालन का काम शुरू किया, जिससे ग़रीबी, भुखमरी और सूखे से परेशान किसानों ने आत्महत्या करने की बजाय कमल का हाथ बंटाना शुरू किया.

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कमल को पॉल्ट्री फ़ार्म में सफल होते देख गांव के अन्. लोगों ने भी इस काम को शुरू किया. गांव में जागरूकता फैलाने के लिए साल 2017 में UNDP, नीति आयोग ने Serial Entrepreneur कमल कुंभार से जुड़ना चाहा और FICCI ने भी उन्हें सम्मानित किया.

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आपको बता दें, कमल के संगठन से आज लगभग 5000 महिलाएं जुड़ी हुई हैं और वो उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं. कमल को पशुपालन के क्षेत्र में कुशल उद्यमिता के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 8 मार्च 2022 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में 2020 और 2021 के लिए ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ दिया गया.

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कमल आज कई ऐसी महिलाओं के लिए मिसाल बनकर उभरी हैं, जो पढ़ाई न होने के चलते कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती हैं.