गुजरात के सूरत की रहने वाली 19 साल की मैत्री पटेल (Maitri Patel) ने इतिहास रच दिया है. सूरत के शेरडी गांव निवासी मैत्री ने महज 19 साल की उम्र में ‘कमर्शियल पायलट’ का लाइसेंस हासिल कर वो कारनामा कर दिखाया है जिसे अब तक कोई भी नहीं कर पाया था. अपने इस कारनामे की वजह से मैत्री देश की सबसे कम उम्र की ‘कमर्शियल पायलट’ भी बन गई हैं.

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किसी मुकाम को हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है. गुजरात की रहने वाली 19 साल की मैत्री पटेल के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. उनके लिए ये सफ़लता कई मायनों में ख़ास है, क्योंकि उन्होंने ये मुकाम तमाम मुश्किल परिस्थितियों को पार करते हुए हासिल किया है.

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कौन हैं मैत्री पटेल? 

सूरत के शेरडी गांव निवासी मैत्री पटेल के पिता कांतिलाल पटेल किसान हैं, जबकि मां ‘सूरत मुनिसिपल कार्पोरेशन’ की कर्मचारी हैं. 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद जब मैत्री ने पिता के समक्ष पायलट बनने बात रखी तो सबसे बड़ी समस्या थी कोर्स की फ़ीस भरने के लिए पैसा कहां से आएगा. इसके बाद मैत्री के पिता ने कोर्स की महंगी फ़ीस भरने के लिए अपनी पुश्तैनी ज़मीन बेच दी.  

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बैंक से नहीं मिला लोन 

मैत्री के सपने को पूरा करने के मकसद से जब पिता कांतिलाल पटेल लोन के लिए बैंक गये तो उन्हें वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा. कांतिलाल पटेल किसी भी तरह से अपनी बेटी का सपना को पूरा करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने पैसों का इंतजाम करने के लिए अपनी पुस्तैनी ज़मीन बेचने का फैसला किया. 

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रिकॉर्ड समय में पूरी की ट्रेनिंग 

पिता की कोशिश के चलते मैत्री ‘पायलट ट्रेनिंग’ के लिए अमेरिका चली गईं. इस दौरान मैत्री की मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपनी 18 महीनों की ट्रेनिंग को रिकॉर्ड 11 महीनों में ही पूरा कर दिखाया. इसके बाद अमेरिका में ही उनके नाम लाइसेंस भी जारी किया गया. बेटी को पायलट बनाने में मैत्री के पिता कांतिलाल पटेल का बहुत बड़ा योगदान रहा है.  

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पिता के साथ भी भरी उड़ान 

पायलट ट्रेनिंग ख़त्म होने के बाद मैत्री ने अपने पिता को अमेरिका बुलाया था. इस दौरान उन्होंने पिता के साथ 3500 फ़ीट की ऊंचाई पर एक उड़ान भी भरी. मैत्री के लिए ये लम्हा उनके लिए सपने के सच होने जैसा था. वो आगे चलकर बतौर कैप्टन बोइंग जहाज उड़ाना चाहती हैं और वो जल्द ही इसके लिए भी अपनी ट्रेनिंग शुरू करने जा रही हैं.  

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Yourstory से बातचीत में मैत्री ने कहा कि-

मैं जब महज 8 साल की थीं तब ही उन्होंने तय किया था कि वे आगे चलकर पायलट ही बनेंगी और अब 19 साल की उम्र में मेरा ये सपना पूरा हो गया है. आमतौर पर इस कोर्स को पूरा करने में 18 महीने लगते हैं, लेकिन मैं ख़ुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मैंने ये कोर्स केवल 11 महीनों में ही पूरा कर लिया
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मैत्री की इस कामयाबी के बाद से उनके परिवार की ख़ुशियों का माहौल है. दिलचस्प बात ये है कि मैत्री को उनके माता-पिता ‘श्रवण’ कहकर पुकारते हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रवण कुमार को एक आदर्श पुत्र के रूप में देखा जाता है.

बता दें कि मैत्री को भारत में बतौर ‘कमर्शियल पायलट’ उड़ान भरने के लिए अलग से लाइसेंस की आवश्यकता होगी लेकिन उनका कहना है कि वे जल्द ही उसके लिए भी ट्रेनिंग भी शुरू कर देंगी.

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