Shark Tank India 2 Ekatra Handmade Business: उम्र कभी भी कुछ पाने के बीच रोड़ा नहीं बनना चाहिए क्योंकि सपने देखने के लिए उम्र की नहीं बल्कि हिम्मत की ज़रूरत होती है. ऐसी ही कहानी है राजस्थान के कोटा की रहने वाली मीनाक्षी झावर की, जो हाल ही में अपनी बेटी के साथ शार्क टैंक इंडिया 2 (Shark Tank India 2) में दिखीं. मीनाक्षी यहां अपनी बेटी ऐश्वर्या के साथ गई थीं.

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दोनों मां-बेटी Womanpreneur हैं और EKatra की संस्थापक हैं. Ekatra हैंडमेड बिज़नेस है, जिसमें कपड़ों को रिसाइकिल करके बैग्स वगैराह बनाए जाते हैं. मां-बेटी की इस जोड़ी ने शार्क्स से 20 लाख रुपये पर 20% की डील फ़ाइनल की.

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आइए, जानते हैं Ekatra की शुरुआत करने की प्रेरणा कहां से मिली, जो अब तक 32 गृहणियों को ट्रेनिंग दे चुका है और 75 हज़ार मीटर कपड़े को रिसाइकल कर उन्हें हैंडमेड चीज़ों में बदल चुका है.

Ekatra का आइडिया ऐश्वर्या के दिमाग़ में तब आया जब वो सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन में डिज़ाइनिंग की स्टूडेंट थीं. इन्होंने The Better India को बताया,

मेरी Thesis के लिए मैं कर्नाटक के बीदर में काम कर रही थी और मुझे पता चला कि यहां बहुत सारी गृहिणियां हैं, जिनके पास प्रतिभा है, लेकिन कोई आउटलेट नहीं है. मैंने उत्तराखंड और लद्दाख में भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है और वहां पर भी यही देखा. जब भी मैंने लोकल लोगों से बात की तो मैंने पाया कि महिलाएं बहुत प्रतिभाशाली थीं, लेकिन अपने घरों तक ही सीमित थीं.

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आगे कहा,

अपने घर पर भी मैंने देखा कि मेरी मां और दादी के पास इतनी क्षमता और कौशल है लेकिन वो भी बर्बाद हो रहा है. इस तरह से मैंने Ekatra को बनाने की सोची. मैं गृहिणियों में मौजूद टैलेंट का इस्तेमाल करके कुछ बनाना चाहती थी.

ऐश्वर्या ने कॉलेज के दिनों में एक रफ़ आइडिये को बिज़नेस मॉडल बनाने के लिए अपने दिमाग़ में काम करना शुरू कर दिया. कॉलेज में इन्होंने मैगज़ीन और Pamphlet बनाना शुरू किया. फिर जब ऐश्वर्या का कॉलेज पूरा हुआ तो उन्होंने पुणे में Urban Planner की नौकरी कर ली. उन्होंने बताया,

साल 2019 में Ekatra ने अपना पैर जमाया, तब FabIndia ने हमें देखा और हमें एक बड़ा Bulk ऑर्डर दिया. मेरी मां ने फिर हमारी मदद के लिए कोटा के आसपास के गृहणियों से संपर्क किया.

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Ekatra में अपना पूरा समय देने के लिए ऐश्वर्या ने 2021 में अपनी नौकरी छोड़ दी और कोटा वापस चली गईं और ऑफ़िस से वापस आने पर जो समय मिलता वो अपने प्रोडक्ट पर लगातीं क्योंकि इनका ब्रांड तीन आदर्शों पर बना था, महिला सश्क्तिकरण, स्थिरता और उच्च गुणवत्ता. इसलिए सभी Handmade Products अच्छी क्वालिटी के होते हैं. प्रोडक्ट्स में दस्तकारी की जाती और पुनर्नवीनीकरण कपड़े का उपयोग करके बनाया जाता है.

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ऐश्वर्या ने बताया कि इनके ब्रांड्स में क्या-क्या और किन चीज़ों से बनता है,

हम अपने कचरे के उत्पादन को कम करना चाहते हैं और जो भी कचरा बचा है हम उसे अलग-अलग प्रोडक्ट्स जैसे कटलरी होल्डर, बुकमार्क, पोस्टकार्ड आदि में बदलने की कोशिश करते हैं. हम प्रोडक्ट्स में बांस और केले के पत्ते से बने कागज़ का इस्तेमाल करते हैं, जो जयपुर और बेंगलुरु से मंगाया जाता है.

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ऐश्वर्या की मां मीनाक्षी ने बताया,

इतने लंबे समय तक अपने परिवार के लिए सबकुछ करने के बाद अपनी बेटी के साथ बिज़नेस शुरू करना एक बड़ा कदम था. हालांकि, मेरे परिवार ने हमेशा मेरी महत्वाकांक्षाओं का समर्थन किया, लेकिन घर चलाने की ज़िम्मेदारियों ने किसी और चीज़ के लिए ज़्यादा समय नहीं दिया, लेकिन Ekatra की स्थापना से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है, इसने मुझे सशक्त बनाया है, और मैं ये आत्मविश्वास और सशक्तिकरण अन्य गृहिणियों को भी देना चाहती हूं.

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बिज़नेस शुरू करने के बाद ख़ुद में बदलाव के बारे में बात करते हुए, मीनाक्षी ने कहा,

मैंने अपने आप में एक बड़ा बदलाव देखा है. मैं काफ़ी शर्मीली और अंतर्मुखी थी, लेकिन जैसे ही मैंने ऐश्वर्या के साथ Ekatra में काम करना शुरू किया, चीज़ें बदल गईं. मैं अधिक आश्वस्त हूं और अब मेरे पास भी एक लक्ष्य है. हमारे साथ काम करने वाली सभी गृहिणियों को न केवल अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी स्वतंत्र होने का मौका मिलता है.

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Ekatra में कोटा और उसके आस-पास इलाक़ों जैसे बूंदी और झालावाड़ की महिलाएं काम करती हैं. कंपनी ने कई गृहणियों की ज़िंदगी में प्रभावशाली परिवर्तन किए हैं. गृहणियों के बारे में ऐश्वर्या कहती हैं,

जब आप गृहिणियों के साथ काम करते हैं तो वे बहुत ज़िम्मेदार और समर्पित होती हैं. इन्हें पता है कि काम को कैसे करना है क्योंकि कई सालों से ये महिलाएं इस काम को दैनिक जीवन में करती आ रही हैं. इसके अलावा, वो ये भी दावा करती हैं कि उन्हें जो मौक़ा मिलेगा वो उसको अच्छे से भुनाएंगी. ये महिलाएं जानती हैं कि ये काम उन्हें न सिर्फ़ आत्मविश्वास देता है बल्कि आर्थिक आज़ादी भी देता है.

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ऐश्वर्या कहती हैं,

पारिवारिक विवाद में अपनी ज़मीन खो देने के बाद फ़रज़ाना के पास आय का कोई सोर्स नहीं बचा था, उसके लड़कों को स्कूल छोड़ना पड़ा. ये वो समय था जब परिवार के लिए कदम बढ़ाया और Ekatra में शामिल हो गई. परिवार अब आर्थिक रूप से स्थिर है और उसके बेटों ने फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया है. हमारे पास ऐसी कई कहानियां हैं, जहां महिलाओं ने अपने परिवारों की मदद के लिए कदम बढ़ाया है. इन महिलाओं को देखना बहुत प्रेरणादायक है और ये मेरी प्रेरणा के स्रोतों में से एक है.

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अपने Shark Tank India 2 के अनुभव के बारे में बात करते हुए, ऐश्वर्या कहती हैं,

ये अद्भुत था! जो कोई भी उद्यमी बनना चाहता है उसे एक बार ये परीक्षा देनी चाहिए. ये सिविल सर्विस परीक्षा पास करने जैसा है. वे नंबर, बिज़नेस मॉडल की बात करते हैं और सब कुछ डिज़ाइन करते हैं. यह एक ही समय में उत्साहित और नर्वस करने वाले एहसास जैसा है. पहले 5 मिनट डर लगता है, लेकिन जब शार्क्स बोलना शुरू करते हैं तो सब आसान हो जाता है. वे आपको सहज बनाने की कोशिश करते हैं.

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शार्क टैंक के बाद कंपनी को सामान्य से 15 गुना अधिक ऑर्डर मिले हैं और हमारा रेवन्यू मूल्यांकन 7-8 लाख रुपये महीने से बढ़कर 15 लाख रुपये महीना हो गया. भविष्य की योजना पर बात करते हुए कहा कि,

हम अपने उत्पादों की मांग को पूरा करने पर ध्यान देना चाहते हैं. इसलिए हम और अधिक गृहणियों को प्रेरित करने और उन्हें ट्रेनिंग देने की योजना बना रहे हैं. जून तक हमारी गृहणियों की संख्या 50 तक पहुंचने वाली है.

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आपको बता दें, Ekatra ब्रांड अपनी वेबसाइट, Amazon, Etsy और पूरे भारत में 26 स्टोर के ज़रिए जर्नल, पाउच, बैग, की-चेन और गिफ़्ट हैम्पर जैसे प्रोडक्ट बेचता है.