Story About Shazia Kaiser: लगन और कुछ करने के जज़्बा हो तो इंसान कहीं भी, कभी किसी और किसी भी हालात में पैसा कमा सकता है. सबसे मुश्किल होता है किसी के सामने हाथ फैलाना और सबसे आसान होता है मेहनत करके पैसा कमाना. बस ये पता होना चाहिए कि मेहनत करनी किस दिशा में है. कभी-कभी कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कीचड़ में कमल खिला देते हैं ऐसी ही कुछ कहानी है बिहार की शाज़िया कैसर की, जिन्होंने मैले जूते धोकर अपना ऊंचा मुक़ाम बनाया.
Story About Shazia Kaiser
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आइए, जानते हैं कि शाज़िया कैसर के दिमाग़ में ये बात कैसे आई और उन्हें इस काम को करने में क्या-क्या दिक्कतें आईं.
शाज़िया कैसर, बिहार के भागलपुर की रहने वाली हैं और Shoe Laundry चलाती हैं. सही सुना आपने Shoe Laundry, जहां पिछले साढ़े सात सालों से जूतों की मरम्मत, साफ़-सफ़ाई और पॉलिश की जाती है. ठीक वैसे ही जैसे मोची अपनी छोटी सी दुकान में करता है. शाज़िया ने अपने इस काम को जो नाम दिया, वो किसी की भी सोच से परे है.
शाजिया अपना ये बिज़नेस Revival Services नाम के स्टोर से चलाती हैं उनका कहना है कि,
मेरी शादी बहुत ही जल्दी हो गई थी तो मेरे बच्चे बहुत छोटे थे. मैंने जॉब किया था, लेकिन जॉब करते हुए मैं अपने बच्चों को टाइम नहीं दे पा रही थी. इसलिए मैंने बिज़नेस शुरू करने की सोची ताकि मैं समय को अपने हिसाब से Manipulate कर सकूं. जब मैंने अपने परिवार के सामने शू लॉन्ड्री के बिज़नेस की बात रखी तो सब मेरे ख़िलाफ़ थे क्योंकि पढ़े-लिखे परिवार में इस बिज़नेस को समझ पाना मुश्किल था, लेकिन मैं अपने फ़ैसले पर अड़ी रही. मैंने सबको बोल दिया कि मेरे बिज़नेस के बारे में कुछ मत बोलना, जो बोलना है मुझे बोलना. यही है वो मोहब्बत जिसको मैं तलाश रही थीं.
शाज़िया ने अपने घरवालों और सुसराल वालों के बारे में भी बताया कि,
जब मेरे पैरेंट्स ने सुना तो उन्हें लगा कि अजीब लड़की है जब इसको यही करना था तो फ़िज़ियोथैरेपी में इतना पैसा क्यों बर्बाद किया. तो वहीं ससुरालवालों को लगा कि, हमने तो डॉक्टर से शादी की थी, ये Cobbler कहां से आ गई. मेरे स्टोर की ओपनिंग के दिन मेरे ही फ़्रेंड में से किसी ने कहा कि, तुम ऊपर से नीचे की ओर जा रही हो लोग नीचे से ऊपर जाते हैं मतलब डॉक्टर का पेशा छोड़कर जूतों का काम करने जा रही हो.
शाज़िया अपने परिवार की पहली सदस्य हैं, जो एक बिज़नेसवूमन हैं. इसे उन्होंने ट्रायल बेस पर शुरू किया ता, लेकिन जब ये चल निकला तो शाज़िया ने इसे आगे बढ़ाने का फ़ैसला लिया. शाज़िया ने 3 लाख रुपये में इस बिज़नेस की शुरुआत की, जिसमें 1 लाख रुपये सिक्योरिटी के तौर पर दे दिए. बिज़नेस के मामले शाज़िया को ज़्यादा नॉलेज नहीं थी, जिसमें उनकी मदद साल 2015 में आई सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी ने की.
शाज़िया बताती हैं,
जब मैंने शू लॉन्ड्री का बिज़नेस शुरू किया तो ऐसा नहीं ता कि ये भारत में नहीं होता था, लेकिन बिहार में नहीं था, पटना में नहीं था इसलिए मैंने इस बिज़नेस को करने के बारे में सोचा. मुझे लोगों का फ़ीडबैक भी मिलने लगा तब मैंने इसे और बढ़ाया लॉन्ड्री के साथ-साथ रिपेयरिंग का काम भी शुरू किया. आज मेरे इस फ़ैसले का नतीज़ा ये है कि आज पूरे पटना में मैंने अपने पांच ब्रांच खोल लिए हैं.
भले ही आज शाज़िया के पास 12 से 15 लोगों की टीम है, लेकिन जब उन्होंने शू लॉन्ड्री का काम शुरू किया था तब उनके पास कोी भी जॉब करने नहीं आता था. तब 50 लोगों में से केवल 3 लोगों ने उनके साथ काम करने की हामी भरी थी. इसके अलावा, आज शाज़िया की रिवाइवल सर्विस आसमान छू रही है एक समय वो भी था जब उनको बिज़नेस में बड़ा नुकसान हुआ था.
शाज़िया ने बताया कि,
शाज़िया के ये आइडिया मैगज़ीन में एक आर्टिकल पढ़कर मिला. बिहार में शू लॉन्ड्री खोलने से पहले उन्होंने जॉब करते हुए भूटान, पुणे, मुंबई और चेन्नई की शू लॉन्ड्री में ट्रेनिंग ली और रिसर्च वर्क किया.
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अब शाज़िया अपने वर्कशॉप में महिलाओं को इस बिज़नेसे के गुर सिखा रही हैं और उन्हें कमाई का ज़रिया दे रही हैं.
आपको बता दें, शाज़िया के बिज़नेस को साल 2016 में बिहार में बेस्ट स्टार्टअप के लिए भी चुना गया था. शाज़िया ने फ़िज़ियोथेरेपी में ग्रेजुएशन और हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट में मास्टर्स किया है. इसके अलावा, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्ग्नाइजेशन (WHO) और UNICEF में भी काम कर चुकी हैं.