Success Story of Zulekha Daud: इंसान की परिस्थितियां चाहें कैसे भी हों, लेकिन वो अपनी ज़िंदगी को किस तरीक़े से जीना चाहता है, ये वो ख़ुद तय करता है. अपना दृढ़ संकल्प अडिग होना चाहिए और मेहनत करने से कभी मत पीछे हटो, इससे आप हर कठिन से कठिन मंज़िल को भी प्राप्त कर सकते हो. कुछ ऐसा ही सोचती हैं दुबई में रहने वाली भारतीय मूल की महिला डॉक्टर जुलेखा दाउद.
भले ही इनका बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता, लेकिन इन्होंने ठान ली कि वो अपनी तक़दीर ख़ुद बदलेंगी. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
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गरीब परिवार में हुआ जन्म
डॉक्टर जुलेखा दाउद (Dr Zulekha Daud) महाराष्ट्र के नागपुर में एक गरीब परिवार में जन्मी थीं. हलांकि, आज वो किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं और उनकी गिनती दुबई की सबसे अमीर भारतीय महिलाओं में होती है. उनके पिता दिहाड़ी मज़दूर थे. परिवार का पेट भरने के लिए वो दिन-रात मेहनत करते थे. लेकिन जुलेखा ने ठान ली थी कि वो इस गरीबी को सिर्फ़ और सिर्फ़ शिक्षा से ही मिटा सकती हैं. इसी वजह से आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई करना कभी नहीं छोड़ा.
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मेडिकल कॉलेज में मिला एडमिशन
वो शुरुआत से ही पढ़ाई में तेज़ थीं और इसी मेहनत के चलते उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेज मिल गया. यहां से डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो UAE चली गईं. इसी के साथ वो पहली भारतीय डॉक्टर बन गईं, जिन्होंने UAE में मेडिसिन की प्रैक्टिस शुरू की. डॉ जुलेखा दाऊद ने दुबई में 10,000 बच्चों की डिलीवरी कराई. 60 साल पहले दुबई में मेडिकल सेक्टर में ज़्यादा सुविधाएं मौजूद नहीं थी. इसी दौरान उन्होंने अपनी मेडिकल प्रैक्टिस शुरू की थी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 1992 में जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की शुरुआत की ताकि लोगों को बेहतर हेल्थकेयर सुविधाएं मुहैया कराई जा सके.
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पुरस्कार से भी किया जा चुका है सम्मानित
मौजूदा समय में 84 साल की उम्र में डॉक्टर जुलेखा दाउद, जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की चेयरमैन हैं. साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला. इसके अलावा फ़ोर्ब्स ने उन्हें मिडिल ईस्ट की टॉप 100 की लिस्ट में शामिल किया है. जुलेखा ग्रुप हॉस्पिटल के सालाना रेवेन्यू की बात करें, तो वो $440 मिलियन यानी 3662 करोड़ रुपये है. उन्होंने भारत में भी ज़रूरी और सस्ती हेल्थकेयर सुविधाएं मुहैया कराई हैं. उन्हें नागपुर में एक टॉप मेडिकल सेंटर खोलने के लिए वर्ल्ड बैंक से 198 करोड़ रुपये मिले हैं.
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