हाल ही में NEET UG परीक्षा के परिणाम घोषित किये गए थे. इस दौरान देशभर के हज़ारों बच्चों ने इस कठिन में सफलता हासिल की. इन्हीं बच्चों में कश्मीर की दो जुड़वा बहनें सैयद तबिया और सैयद बिस्मा भी शामिल हैं. कश्मीर के सुदूरवर्ती गांव के इमाम की इन जुड़वा बेटियों ने इतिहास रच दिया है. इन दोनों बच्चियों ने अपने पहले ही प्रयास में NEET UG परीक्षा में सफलता प्राप्त की. ऐसा करने वाली वो अपने ज़िले की पहली लड़कियां हैं.

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दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले के सुदूरवर्ती गांव वट्टो की जुड़वा बहनों सैयद तबिया और सैयद बिस्मा ने NEET परीक्षा में क्रमशः 625 और 570 अंक हासिल किए हैं. बेटियों की इस सफलता से उनके पिता सैयद सज्जाद बेहद ख़ुश हैं. सज्जाद वट्टो गांव की मस्जिद में ‘इमाम’ का काम करते हैं. मस्जिद परिसर के अंदर ही उन्हें एक छोटा सा क्वार्टर मिला हुआ है. इसी में उनका पूरा परिवार रहता है.

कोचिंग ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

कश्मीर के सुदूरवर्ती गांव में रहने की वजह से सैयद तबिया और सैयद बिस्मा के पास NEET की कोचिंग के लिए भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दरअसल, गांव में NEET की कोचिंग के लिए उचित कोचिंग संस्थान भी नहीं थे. गांव में उन्हें इंटरनेट नहीं होने की वजह से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इस वजह से दोनों बहनों को श्रीनगर के एक कोचिंग सेंटर में एडमिशन लेना पड़ा.

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मीडिया से बातचीत में सैयद ताबिया और बिस्मा ने कहा, हमने NEET परीक्षा पास करने के लिए प्लानिंग के साथ पढ़ाई की थी. अगर आप भी NEET परीक्षा देना चाहते हैं तो सबसे पहले अपना लेवल चेक करें, ताकि अपनी कमज़ोरी जान सकें. इसके बाद अपनी कमज़ोरी पर काम करने के लिए शिक्षकों से बात करें.

माता-पिता को दिया क़ामयाबी का श्रेय

सैयद बिस्मा और ताबिया ने कहा, हम अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने पेरेंट्स को देते हैं. बचपन से लेकर आज तक हमें जो कुछ भी चाहिए था माता-पिता ने ख़ुद न खाकर और पहनकर हमारे लिए किया है. ये अपने आप में किसी बड़े बलिदान से काम नहीं है.

कश्मीर की जुड़वां बहनें सैयद बिस्मा और ताबिया ही नहीं श्रीनगर के शेहर-ए-ख़ास की जुड़वां बहने रुतबा बशीर और तूबा बशीर ने भी NEET परीक्षा पास की है.

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