आज भारतीय मीडिया (Indian Media) के शोरगुल में कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जो न केवल अपने पेशे के प्रति सच्चे रहे बल्कि लगातार महत्वपूर्ण  समाचार भी देते रहे. इन पत्रकारों में वे महिलाएं भी हैं, जो महत्वाकांक्षी पत्रकारों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं और अपनी ड्यूटी से आगे जाकर काम कर रही हैं.

आइए आपको कुछ भारत की महिला पत्रकारों के बारे में बता देते हैं, जिनसे आपको ज़रूर इंस्पिरेशन लेनी चाहिए.

1-फ़े डिसूज़ा

निस्संदेह भारतीय पत्रकारिता के सबसे अधिक पहचाने जाने वाले चेहरों में से एक, फ़े डिसूज़ा ने ऑल इंडिया रेडियो के साथ पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया. डिसूज़ा ने ‘जर्नलिस्ट ऑफ़ द ईयर’ कैटेगरी में साल 2018 में रेडइंक अवार्ड जीता था. उनको अपने करियर में उड़ान मिरर नाउ पर ‘द अर्बन डिबेट’ के एंकर के रूप में मिली थी. साल 2019 में उन्होंने अपना ख़ुद का चैनल शुरू करने के लिए मिरर नाउ छोड़ दिया था. उन्होंने भ्रष्टाचार, धार्मिक असहिष्णुता और असक्षम शासन के सरकारी आंकड़ों के ख़िलाफ़ लगातार रिपोर्टिंग की है.

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2-राणा अय्यूब

राणा अय्यूब ने तहलका के साथ एक इन्वेस्टिगेटिव पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था तहलका के अंडर, उनके सबसे प्रसिद्ध कार्यों में से एक 2002 के गुजरात दंगों के राजनीतिक कवर-अप को उजागर करना था. हालांकि तहलका ने अपने निष्कर्षों को प्रकाशित नहीं किया था, लेकिन उन्होंने अपने निष्कर्षों के आधार पर गुजरात फ़ाइल्स: एनाटॉमी ऑफ़ ए कवर अप ऑफ़ गोधरा ट्रेन बर्निंग’ नामक पुस्तक लिखी थी. उन्हें 2018 में हेग में पीस पैलेस में Most Resilient Global journalist के अवार्ड से पुरस्कृत किया गया था और 2020 मैकगिल पुरस्कार भी मिला था. उन्होंने एक साथी पत्रकार द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप से निपटने के लिए संगठन के विरोध में तहलका से इस्तीफ़ा दे दिया था. वर्तमान में, वो ग्लोबल ओपिनियन राइटर के रूप में द वाशिंगटन पोस्ट से जुड़ी हुई हैं.

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3-निधि राज़दान

लेफ़्ट, राइट एंड सेंटर: द आइडिया ऑफ़ इंडिया’ की लेखक निधि राज़दान ने अपना करियर NDTV के साथ शुरू किया था. उन्होंने वहां बतौर एग्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में काम किया, लेकिन 31 जनवरी 2023 को उन्होंने NDTV से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्हें पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय प्रेस संस्थान पुरस्कार और संचार के लिए टीचर्स अचीवमेंट अवार्ड (टीएए) से सम्मानित किया जा चुका है.

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4-शैली चोपड़ा

महिलाओं पर कहानियों के लिए भारत के पहले मंच SheThePeople.TV की संस्थापक शैली चोपड़ा ने NDTV-प्रॉफिट और ETNOW के साथ काम किया है और चार किताबें लिखी हैं. उन्होंने G-20, WEF@Davos जैसी घटनाओं को कवर किया है, और 26/11 के हमलों के दौरान ताज होटल के बाहर लाइव रिपोर्टिंग करने वाली पत्रकारों में से एक थीं. 2012 में, उन्होंने बिज़नेस जर्नलिज्म में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार जीता था.

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5-मधु त्रेहान

समाचार पत्रिका इंडिया टुडे की संस्थापक संपादक मधु त्रेहन ने अपने करियर की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के प्रेस विभाग में काम करके की थी. 1977 में, उन्होंने कंपनी का प्रबंधन अपने भाई को सौंप दिया और 1986 में, उन्होंने भारत की पहली वीडियो पत्रिका, न्यूज़ट्रैक का निर्माण किया. वो न्यूज़ लॉन्ड्री की संस्थापकों में से एक हैं.

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6-शिरीन भान

शिरीन भान भारत में कॉर्पोरेट और आर्थिक समाचारों का पर्याय है. इंफोटेनमेंट टेलीविज़न के साथ एक न्यूज़ रिसर्चर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाली भान वर्तमान में CNBC-TV18 की मैनेजिंग एडिटर हैं. 18 साल के लंबे करियर में, शिरीन ने यंग टर्क्स, इंडिया बिज़नेस आवर, द नेशन्स बिज़नेस आदि जैसे प्रमुख शो का निर्माण और एंकरिंग की है. उन्होंने 2005 के ‘FICCI वुमन ऑफ़ द ईयर‘ अवार्ड जीता था और वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम ने उन्हें 2009 के यंग ग्लोबल लीडर्स में से एक के रूप में नामित किया था.

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7-शारदा उग्रा

अभी तक, खेल पत्रकारिता काफ़ी हद तक पुरुष प्रधान क्षेत्र बनी हुई है. लेकिन शारदा उग्रा इस विशेष कांच की छत को तोड़ने वाले पहले पत्रकारों में से एक थीं. अपने करियर की शुरुआत में संघर्षों का सामना करने के बावजूद उन्होंने आगे बढ़ना जारी रखा. आज, 26 साल बाद, वो ESPNcricinfo की वरिष्ठ संपादक हैं और खेल पत्रकारिता का एक प्रमुख चेहरा हैं. उन्होंने भारतीय खेलों में प्रचलित यौन उत्पीड़न का भी जिक्र किया था.

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8-पेट्रीसिया मुखिम

पद्म श्री प्राप्तकर्ता, पेट्रीसिया मुखिम द शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक हैं, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने काम के लिए भी जानी जाती हैं. उनका काम मुख्य रूप से मेघालय के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश पर केंद्रित है. उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें चमेली देवी जैन अवार्ड, फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री एफएलओ अवार्ड, उपेंद्र नाथ ब्रह्म सोल्जर ऑफ़ ह्यूमैनिटी अवार्ड, शिव प्रसाद बरूआ नेशनल अवार्ड और नॉर्थ ईस्ट एक्सीलेंस अवार्ड शामिल हैं.

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9. गौरी लंकेश

स्वर्गीय गौरी लंकेश ने अपनी साप्ताहिक पत्रिका गौरी लंकेश पत्रिके शुरू की थी. एक पत्रकार से कार्यकर्ता बनीं लंकेश अक्सर जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ़ बोलती थीं, महिलाओं के अधिकारों के लिए अभियान चलाती थीं, और हिंदू अतिवाद की कड़ी आलोचना करती थीं. 5 सितंबर, 2017 को उनकी हत्या कर दी गई थी और उनकी हत्या की जनता और सरकार ने निंदा की थी.

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10. होमई व्यारावाला

भारत की पहली महिला फ़ोटो जर्नलिस्ट, होमई व्यारावाला को 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. उनकी तस्वीरें शुरू में उनके पति के नाम से और बाद में ‘डालडा 13‘ के छद्म नाम से प्रकाशित हुईं. उन्होंने शुरुआत में द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया पत्रिका के लिए काम किया. बाद में, उन्होंने ब्रिटिश सूचना सेवा के साथ काम किया. हालांकि, 1970 में, उन्होंने फ़ोटोग्राफ़रों की नई पीढ़ी में अव्यवसायिकता का हवाला देते हुए फ़ोटोग्राफ़ी छोड़ दी. उन्हें चमेली देवी जैन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

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