Chennai Women Success Story: इस देश के लाखों लोग हज़ारों रातें सिर्फ़ इसलिए जागते हैं कि वो एक दिन अपने घर में चैन से सो पाएंगे. दिन-रात सिर्फ़ इसलिए काम करते हैं ताकि थक कर कभी अपने आशियाने में आराम कर सकेंगे. मगर शायद हर किसी का ये सपना पूरा नहीं होता. मगर जिनका पूरा होता है, उनके चेहरे पर परमेश्वरी (Parameshwari) जैसी मुस्कान खिल उठती है. (Women Works Odd Jobs To Buy A House)

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जी हां, ये कहानी है चेन्नई की परमेश्वरी की, जिनकी सालों की कड़ी मेहनत अब रंग लाई है. उन्होंने आधे से ज़्यादा ज़िन्दगी काम करके, बचत करके और ढेर सारा धैर्य रख कर अपना घर खरीदा. (Women Achievers)

आइए जानते हैं परमेश्वरी की सपनों के हक़ीक़त बनने की कहानी-

एक साथ कीं तीन नौकरियां (Women Works Odd Jobs To Buy A House)

Humans of Madras नाम के पेज ने परमेश्वरी की कहानी शेयर की है. 36 वर्षीय परमेश्वरी के परिवार में पति, दो बच्चे और मां हैं. पति को शराब की लत है इसलिए वो काम नहीं करता. शुरू से ही परमेश्वरी पर ही परिवार की ज़िम्मेदारी रही है.

रमेश्वरी की विधवा बहन और उसका बच्चे है, दोनों की ज़िम्मेदारी भी परमेश्वरी ने उठा रखी है. परिवार को पालने के लिए परमेश्वरी ने एक नहीं, बल्क़ि तीन-तीन नौकरियां कीं. सुबह 4 बजे ही परमेश्वरी का दिन शुरू हो जाता है. (Inspiring Story Of Indian Woman)

परमेश्वरी ने बताया, ‘मेरी मां सड़क किनारे दुकान लगाती हैं. मैं रोज़ सुबह 4 बजे उठकर अपनी मां को सामान देती हूं. फिर मैं एक घर पर जाकर सारे काम करती हूं. अगर वक्त मिलता है तो खाना खाती हूं और फिर एक IT कंपनी जाती हूं. वहां कर्मचारियों के लिए कॉफ़ी बनाती हूं. इसके बाद एक स्ट्रीट फूड शॉप पर जाती हूं. वहां रात के 10-11 बजे तक बर्तन धोती हूं. इसके बाद अपने घर आती हूं, 4 घंटे आराम करती हूं और फिर अगला दिन शुरू हो जाता है.’

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परमेश्वरी को न ही विकेंड ऑफ मिलता है और न ही वो कोई छुट्टी ले सकती है.

घर का सपना हुआ साकार

परमेश्वरी हर रात बच्चों के साथ अपने घऱ में रहने का सपना देखती थी. जहां न किराये की किच-किच हो और न ही कोई दूसरी समस्या. 20 सालों तक मेहनत करने के बाद परमेश्वरी ने आख़िर अपना घर बना लिया है. एक से दूसरे जगह काम पर आसानी से पहुंचने के लिए उसने अपने लिए स्कूटर भी खरीद ली है.

परमेश्वरी कहती हैं कि ऐसा कुछ नहीं है जो औरतें नहीं कर सकतीं.  

‘कर्ज लेकर छोटा सा घर बनवाया है. मैं खूब मेहनत कर इसे भी चुका दूंगी. मुझे नहीं पता कल क्या होगा. लेकिन, जो भी होगा, मैं ख़ुश रहूंगी.’

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