पाकिस्तान में आज भी मौजूद है राज कपूर की आलीशान हवेली, अब ‘कपूर हवेली’ बनेगी राष्ट्रीय धरोहर

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Kapoor Haveli in Pakistan: बॉलीवुड में कपूर खानदान (Kapoor Family) काफ़ी मशहूर है. पिछले क़रीब 96 सालों से इस परिवार के लोग बॉलीवुड फ़िल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा रहे हैं. कपूर फ़ैमिली से हिंदी सिनेमा में कदम रखने वाले पहले एक्टर पृथ्वीराज कपूर थे. उन्होंने सन 1927 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उनके तीन बेटों राज कपूर, शम्मी कपूर और शशी कपूर ने भी भारतीय सिनेमा में ख़ूब नाम कमाया. इस विरासत को आगे बढ़ाने का काम राज कपूर के तीन बेटों रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर ने किया. आज रणधीर कपूर की बेटियों करिश्मा कपूर और करीना कपूर के अलावा ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर बॉलीवुड पर राज कर रहे हैं. कपूर हवेली.

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बॉलीवुड में मशहूर ‘कपूर खानदान’ की जड़ें पाकिस्तान (Pakistan) से जुड़ी हैं. बंटवारे के बाद ये परिवार मुंबई शिफ़्ट हो गया था, लेकिन पाकिस्तान के पेशावर शहर में स्थित कपूर खानदान की आख़िरी निशानी कपूर हवेली (Kapoor Haveli) आज भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.आज हम 100 साल से भी अधिक पुरानी इसी ‘कपूर हवेली’ की बात करने जा रहे हैं.

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राज कपूर से है ख़ास कनेक्शन

इस हवेली को सन 1918 से 1922 के बीच पृथ्वीराज कपूर के पिता और राज कपूर के दादा बशेश्वरनाथ कपूर ने बनवाया था. वो पेशावर पुलिस में अफ़सर थे. इसी हवेली में राज कपूर और उनके अंकल त्रिलोक कपूर का जन्म हुआ था. 14 दिसंबर 1924 को राज कपूर का जन्म इसी हवेली में हुआ था. इसलिए भी ये हवेली राज कपूर के लिए बेहद ख़ास थी. आज़ादी के बाद भी वो कई बार अपनी हवेली देखने पाकिस्तान के पेशावर शहर गए थे. 90 के दशक में ऋषि कपूर और रणधीर कपूर भी हवेली देखने गए थे.

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आज़ादी से पहले हिंदी सिनेमा के शोमैन पृथ्वीराज कपूर का परिवार इसी हवेली में रहता था. पृथ्वीराज कपूर की हवेली के बारे में कहा जाता है कि पार्टीशन से पहले शादी की पार्टी देने के लिए ये हवेली लोगों की पहली पसंद हुआ करती थी. हवेली में बुकिंग नहीं मिलने के चलते लोगों को शादियों की डेट्स 6-6 महीने आगे बढ़ानी पड़ती थीं. लेकिन आज ये हवेली वीरान और ख़स्ता हालत में है.

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पेशवर के क़िस्सा ख़्वानी बाज़ार में स्थित इस 5 मंज़िला हवेली में 40 से 50 कमरे हैं, लेकिन आज इसका चौथा और पांचवा फ़्लोर ढह चुका है. वर्तमान में इसके मालिक सईद मुहम्मद हैं जिसे उनके पिता ने सन 1969 में एक नीलामी में ख़रीदा था. सईद मुहम्मद इस हवेली को ढहाकर यहां पर एक कॉमर्शियल प्लाज़ा बनाना चाहते हैं.

मई 2023 में पाकिस्तान के आर्कियोलॉजी विभाग की याचिका पर सुनवाई करते हुए पेशावर हाईकोर्ट ने इसके ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाया. कोर्ट हवेली के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इस धरोहर को सहेजकर रखना चाहती है.

बता दें कि साल 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ सरकार ने 100 साल से भी अधिक पुराने घरों को ‘राष्ट्रीय धरोहर’ घोषित किया था. इस दौरान पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनख्वा प्रान्त की सरकार ने राज कपूर की इस हवेली को ‘राष्ट्रीय धरोहर’ घोषित किया था.

साल 2018 में इमरान ख़ान की सरकार ने सत्ता में आते ही इसे म्यूज़ियम बनाने की बात कही थी, लेकिन इस आइकॉनिक हवेली को संरक्षित करने की ज़िम्मेदारी किसी ने भी नहीं उठाई.

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