जिस E-Rickshaw में बैठकर आराम से मेट्रो स्टेशन से ऑफ़िस जाते हो, जान लो उसकी खोज किसने की थी

J P Gupta

E-Rickshaw: ई-रिक्शा की सवारी हर किसी ने की होगी. इस एक वाहन ने बहुतों को रोज़गार और बहुत सारे लोगों की सफ़र वाली टेंशन ज़्यादा न सही पर थोड़ी कम की है. बोनस में प्रदूषण की कमी वायु और ध्वनि प्रदूषण दोनों को भी कम किया है.

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मगर क्या आप जानते हैं इस ई-रिक्शा की खोज किसने की थी? चलिए आज आपको इसके जन्मदाता के बारे में बता देते हैं जो असल में एक भारतीय ही है.

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लखनऊ के हैं रहने वाले

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ई-रिक्शा (E-Rickshaw) की खोज डॉ. अनिल कुमार राजवंशी (Dr. Anil Kumar Rajvanshi) ने की थी. ये लखनऊ के रहने वाले हैं इन्होंने कानपुर आईआईटी से Masters in Technology (MTech) की डिग्री ली. इसके बाद वो फ़्लोरिडा चले गए, यहां से उन्होंने PhD की. कुछ दिनों तक यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़्लोरिडा में पढ़ाया भी.

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देश और देशवासियों के लिए कुछ करना चाहते थे

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मगर उनका मन यहां नहीं लगा. वो भारत लौट आए. यहां कई बड़ी-बड़ी कंपनियों से इन्हें काम करने का ऑफ़र मिला लेकिन अनिल जी ने सबको मना कर दिया. वो अपने देश और देशवासियों के लिए कुछ करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के फाल्टन में अपना घर बनाया और एक NGO  Nimbkar Agricultural Research Institute (NARI) को जॉइन कर लिया. इसके साथ मिलकर इन्होंने किसानों की ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए कई मशीनें बनाई.

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इस वजह से बनाया ई-रिक्शा

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मगर उन्हें छोटी-सी छोटी चीज़ के लिए पुणे जाना पड़ता था. इसके लिए अनिल जी को 4 घंटे का सफ़र करना होता जो उस समय में काफ़ी मुश्किल था. इस समस्या का हल उन्हें एक ऐसे वाहन में दिखा जो इको-फ़्रेंडली हो और सस्ता भी. 1995 में अनिल जी ने अपने इस आइडिया पर काम करना शुरू किया. इस तरह देश के पहले ई-रिक्शा की खोज मुकम्मल हुई. 2000 में उनकी मेहनत सफ़ल हुई, जिसके लिए टायर भी उन्होंने ख़ुद ही डिज़ाइन किए थे.

बचता है 40 फ़ीसदी इंधन

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इसमें गियर बॉक्स था, बैटरी लगी थीं और ये 3-4 सवारियों को लेकर 35-40 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल सकता था. इसे एक बार चार्ज करने पर 60-70 किलोमीटर तक सफ़र किया जा सकता था. इससे 40 प्रतिशत इंधन की बचत होती है. आज देश के हर कोने में आप ई-रिक्शा की सवारी कर सकते हैं. बहुत से देशों में इससे मिलते जुलते वाहन चलाए जा रहे हैं.

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डॉ. अनिल ने अभी तक कई आविष्कार किए हैं. उनके नाम पर कई पेटेंट भी हैं. इन्हें भारत सरकार पद्मश्री से भी सम्मानित कर चुकी है. उनका कहना है कि हमारे देश में बहुत सारी समस्याएं हैं, बस उसे ठीक से समझ उसे हल करने वाले लोग चाहिए. इन्हें मिलकर हम हल कर सकते हैं. 

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