Ancient India Cities: भारत (India) काफ़ी प्राचीन देश है, जैसा कि इतिहास हमें बताता है, भारत ने उपमहाद्वीप की विशाल भूमि को पानी देने वाली कई नदियों के तट पर कई प्रागैतिहासिक बस्तियों और समाजों को देखा है. क्या ये कल्पना करना बहुत कठिन नहीं है कि समय के साथ एक पूरा शहर पूरी तरह से कैसे ग़ायब हो सकता है? ये शहर कभी भारत में ही बसे हुए थे लेकिन युद्धों, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण, कई साल पहले ये खो गए थे, जिनकी बाद में ख़ोज की गई.
हालांकि, सारे शहरों की ख़ोज नहीं की गई है. लेकिन ऐसे कई शहर (Ancient India Cities) हैं, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खोजे गए हैं. आइए हम आपको उन्हीं शहरों की लिस्ट बताते हैं.
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Ancient India Cities
1. राखीगढ़ी
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2. लोथल
लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक था, जो आधुनिक गुजरात राज्य के भाल क्षेत्र में स्थित है. हालांकि, उस समय बाढ़ ने इस शहर को मिटा दिया था, फिर भी कुएं, बौनी दीवारें, स्नानागार, नालियां और पक्की फर्श जैसी संरचनाएं अभी भी वहां देखी जा सकती हैं. माना जाता है कि शहर का निर्माण 2200 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था. ASI ने इस जगह को 1954 में खोजा था.
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3. कालीबंगा
कालीबंगा क़स्बा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में सूरतगढ़ और हनुमानगढ़ के बीच में स्थित है. इसे दृषद्वती और सरस्वती नदियों के संगम पर भूमि के त्रिकोण में स्थापित होने के रूप में भी पहचाना जाता है. सिंधु घाटी सभ्यता के प्रागैतिहासिक और पूर्व-मौर्य चरित्र की पहचान सबसे पहले लुइगी टेसीटोरी ने इस स्थल पर की थी. कालीबंगा की उत्खनन रिपोर्ट पूरी तरह से 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खुदाई के पूरा होने के 34 साल बाद प्रकाशित हुई थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि कालीबंगा सिंधु घाटी सभ्यता की एक प्रमुख प्रांतीय राजधानी थी. (Ancient India Cities)
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4. सुरकोटदा
सिंधु घाटी सभ्यता का एक और खोया हुआ शहर, सुरकोटदा 1964 में खोजा गया था. यहां के प्राचीन टीले और खंडहर लाल लेटराइट मिट्टी से ढके बलुआ पत्थर की पहाड़ियों से छिपे हुए हैं, जो पूरे क्षेत्र को एक लाल भूरा रंग देता है. ये 2100 ईसा पूर्व में स्थापित हुआ था और 1700 ईसा पूर्व में छोड़ दिया गया था.
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5. धोलावीरा
‘धोलावीरा’ गुजरात के कच्छ ज़िले के भचाऊ तालुका में खादिरबेट में एक पुरातात्विक स्थल है. उत्खनन स्थल में रिजर्वायर, सीढ़ीदार कुआं और कई अन्य प्राचीन वस्तुएँ जैसे मुहरें, मनके, जानवरों की हड्डियां, सोना, चांदी, टेराकोटा के गहने और बर्तन शामिल हैं. स्थानीय रूप से कोटडा टिम्बा के रूप में भी जानी जाने वाली इस साइट में प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के एक शहर के खंडहर हैं. भूकंप ने धोलावीरा को बार-बार प्रभावित किया है, जिसमें 2600 ईसा पूर्व के आसपास विशेष रूप से गंभीर भूकंप शामिल हैं. (Ancient India Cities)
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6. सांची
इस जगह को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है. भारत में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थानों में से एक ‘सांची’ अपने अशोक स्तंभ और ग्रीको-बौद्ध शैली के स्तूपों के लिए जाना जाता है, जो जातक कथाओं और बुद्ध के जीवन की कहानियों के विभिन्न दृश्यों को दर्शाते हैं. भारत के एक बार खोए हुए इस शहर में बुद्ध के अवशेषों को कांच की तरह चमकाने के लिए मौर्य पॉलिश के साथ चित्रित किया गया था. ये भारत के सबसे पुराने खंडहरों में से एक है.
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7. द्वारका
कहा जाता है कि, भगवान कृष्ण की पवित्र नगरी द्वारका कुल 6 बार जलमग्न हो चुकी है. समुद्र के नीचे विशाल स्तंभ, प्राचीन वस्तुएं और विशाल पत्थर की दीवारें देखी जा चुकी हैं. हालांकि, ये पुष्टि होना बाकी है कि क्या वे भगवान कृष्ण के समय के हैं. कार्बन डेटिंग इन बरामद खंडहरों का पता केवल 15वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक लगा सकती थी. (Ancient India Cities)
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8. नागार्जुनकोंडा
‘नागार्जुनकोंडा’ आंध्र प्रदेश के पलनाडु ज़िले में नागार्जुन सागर के पास स्थित एक द्वीप है. यहां हुए उत्खनन से बौद्ध खंडहर, स्तूप, विहार (मठ परिसर), चैत्य (मंदिर), और मंडपम (खंभे वाले मंडप), और बुद्ध के जीवन के कई सफेद संगमरमर के चित्रण का पता चला था. ये स्थल कभी कई बौद्ध विश्वविद्यालयों और मठों का स्थान था, जो चीन, गांधार, बंगाल और श्रीलंका के छात्रों को आकर्षित करते थे.
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9. मुज़िरिस
केरल में पेरियार नदी के तट पर स्थित बंदरगाह शहर ‘मुज़िरिस’ उन खोए हुए प्राचीन भारतीय शहरों में से एक है, जिनकी खोज और उत्खनन किया गया है. यहां पुरातत्वविदों ने मिस्र, यमन, रोमन और पश्चिम एशिया जैसे देशों से संबंधित कलाकृतियों को सफ़लतापूर्वक पाया है.
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10. विजयनगर
विजयनगर शहर उत्तरी कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में तुंगभद्रा नदी के दक्षिण तट पर स्थित है. ये शहर प्रसिद्ध यूनेस्को के सूचीबद्ध विश्व धरोहर स्थल ‘हम्पी’ में विरुपाक्ष मंदिर के धार्मिक केंद्र के आसपास बनाया गया था. ये भारतीय शहर विजयनगर साम्राज्य का घर था, जो कृष्णदेवराय के शासन के दौरान काफ़ी चर्चा में रहा था. हालांकि, यहां पाए गए कुछ अवशेष लगभग 300 ईसा पूर्व के हैं. शहर का उल्लेख रामायण की कथा में किष्किंधा के रूप में भी मिलता है, जिसे वानर देवताओं का क्षेत्र कहा गया था.
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