मिकी जगतियानी: वो बिज़नेसमैन जिसकी 42000 करोड़ है नेट वर्थ, लेकिन आज भी ज़मीन पर सोता है

Vidushi

Mukesh Micky Jagtiani Profile : तमाम कोशिश करने के बावजूद जब सफ़लता नहीं मिलती, तब कभी-कभी चारों ओर निराशा के बादल मंडराने लगते हैं. ऐसे में काफ़ी लोगों के सब्र का बांध टूट जाता है. लेकिन इसी परीक्षा को जो पार कर लेते हैं, उनका सफ़लता बाहें फैला कर इंतज़ार कर रही होती है.

आपको पढ़ने में ये सब किताबी बातें लग रही हैं, तो हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी ज़िंदगी बेहद संघर्ष पूर्ण रही. अगर वो इस संघर्ष के सामने हार मान जाता, तो शायद उसका नाम कभी 10 भारतीय अमीरों की सूची में नहीं आता. हम जिसकी बात कर रहे हैं, उस शख्स का नाम मुकेश मिकी जगतियानी (Mukesh Micky Jagtiani) है. उनकी नेट वर्थ 42 हज़ार करोड़ रुपए है. आइए आपको उनके बारे में डीटेल में बताते हैं.

कौन हैं मुकेश मिकी जगतियानी?

मुकेश मिकी जगतियानी साल 2015 में फ़ोर्ब्स की भारतीय अमीरों की सूची में 10वें स्थान पर थे. उस दौरान उनकी 6.6 बिलियन डॉलर की संपत्ति थी और इस के साथ उन्होंने आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम को पीछे छोड़ दिया था. वो दुबई बेस्ड रिटेल चेन लैंडमार्क ग्रुप के मालिक हैं. लैंडमार्क ग्रुप गल्फ में नॉन फूड आइटम्स की बहुत बड़ी निर्यात फर्म है.

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भारत में बीता बचपन

मिकी जगतियानी का जन्म 1951 में कुवैत में हुआ था. उनका परिवार भारतीय मूल का था, लेकिन वो कुवैत में रहता था. हालांकि, इसके बाद वो भारत लौट आए और मिकी का बचपन भारत में बीता. मिकी ने बचपन और अपनी शुरुआती शिक्षा चेन्नई, मुंबई और बेरुत में पूरी की. इसके बाद 17 साल की उम्र में वो अकाउंट्स की पढ़ाई करने के लिए लन्दन आ गए. इस दौरान अपना ख़र्चा उठाने के लिए मिकी टैक्सी चलाते थे.

पैसे कम होने के चलते उनकी कॉलेज में पढ़ाई पूरी ना हो सकी. वो नौकरी के चलते कुछ परीक्षाएं नहीं दे पाए, इसकी वजह से उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया. कॉलेज ड्रॉपआउट होने के चलते मिकी को कोई नौकरी देने को भी तैयार नहीं था. इसके बाद वो वहां से बहरीन आ गए और होटल में रूम सर्विस का काम करने लगे. वो नौकरी तो कर रहे थे, लेकिन उनके मन में संतुष्टि नहीं थी. इसके बाद अंत में मिकी अपने परिवार के साथ कुवैत लौट आए.

क़िस्मत ने खेला खेल

मिकी ने सोचा था कुवैत आकर वो कुछ बेहतर करेंगे. लेकिन इस दौरान उनके भाई को ल्यूकीमिया हो गया, जिसके चलते उसकी मौत हो गई. इसके बाद डायबिटिज़ के चलते पहले पिता और फिर कैंसर से उनकी मां भी दुनिया को छोड़ कर चली गईं, जिसके बाद अचानक से ही मिकी की ज़िन्दगी पलट गई. उनके पिता के अंतिम शब्द यही थे कि “मैं नहीं जानता मिकी मेरे मरने के बाद अपना पेट कैसे भरेगा वह पेट भरने के लिए क्या करेगा, यह भी मैं नहीं जानता.” इस हालात में भी मिकी ने हिम्मत बनाए रखी.

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शुरू की बेबी प्रोडक्ट्स की दुकान

20 साल के मिकी को समझ नहीं आ रहा था कि वो कहां से शुरुआत करें. बीमार होने से पहले मिकी के भाई ने बहरीन में एक किराए की दुकान ली थी. यहां वो बेबी प्रोडक्ट्स का काम शुरू करना चाहते थे. मिकी ने इसी से शुरुआत की और घर वालों द्वारा छोड़े गये 6000 डॉलर यानी लगभग 4 लाख रुपयों से उन्होंने बेबी प्रॉडक्ट्स की दुकान शुरू की.

धीरे-धीरे चल पड़ी दुकान

धीरे-धीरे मिकी की दुकान चल पड़ी, जिसके बाद उन्होंने एक हेल्पर रख लिया. वो ख़ुद सामान की पैकिंग करते थे और डिलीवरी भी खुद ही करते थे. उन्होंने लगभग 10 साल तक इस दुकान को चलाकर आगे बढ़ाया और 6 ऐसी दुकानें और खोली. अब धीरे-धीरे उनकी बेबी शॉप का नाम हो गया था और पैसे भी अच्छा कमाने लगाने थे. उनकी 6 बेबी शॉप पर 100 से ज़्यादा लोग काम कर रहे थे. इसके बाद बीच में 1992 में खाड़ी के देशों के बीच जंग छिड़ गई, जिसके बाद मिकी ने अपने बिज़नेस को दुबई लाने की सोची. तब तक उनकी रेणुका से शादी हो चुकी थी.

दुबई से शुरू हुआ बुलंदी का सफ़र

अपने परिवार के साथ दुबई शिफ्ट होने के बाद मिकी ने यहां लैंडमार्क ग्रुप की शुरुआत की. ये ग्रुप आगे चल कर अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और इंडिया तक फ़ैल गया. मिकी ने बच्चों के कपड़े और खिलौने निर्यात करने से शुरुआत की और बाद में उनकी फर्म फैशन, इलेक्ट्रॉनिक, फर्नीचर और होटल इंडस्ट्री में भी पैर जमाने लगी. आज के समय में उनकी कंपनी में 55 हज़ार से भी ज़्यादा लोग काम कर रहे हैं. उनके एशिया से अफ्रीका में करीब 2300 स्टोर हैं. उनकी पत्नी रेणुका लैंडमार्क ग्रुप की चेयरवुमन तथा सीईओ हैं. 20 सालों से वह अपनी कंपनी का काम देख रही हैं.

ग़रीबों के लिए मसीहा से कम नहीं हैं मिकी

करोड़ों में कमाने वाले मिकी आज भी ज़मीन पर सोते हैं. सन 2000 में मिकी ने LIFE (Landmark International Foundation for Empowerment) नाम से एक चरिटेबल ट्रस्ट बनाया. ये संस्था भारत में एक लाख बेसहारा बच्चों की शिक्षा और दवाईयों का खर्चा उठती है. इसी के साथ लाइफ नाम की यह संस्था झोपड़पट्टियों में कम्युनिटी क्लिनिक चलाने के साथ साथ चेन्नई में एक वृद्धाश्रम भी चलाती है. मौजूदा समय में मिकी की नेटवर्थ 42000 करोड़ रुपए है.

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