देश की राजधानी दिल्ली में स्थित ‘क़ुतुब मीनार’ आज पूरी दुनिया में मशहूर है. 72.5 मीटर ऊंची ये मीनार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्मारकों की सूची में भी शामिल है. मुग़ल शासक क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने सन 1199 ईसवी में ‘क़ुतुब मीनार’ का काम शुरू करवाया था, लेकिन वो इस मीनार काे पूरा होते देख नहीं पाए. क़ुतुबुद्दीन ऐबक की मौत के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठे उनके दामाद इल्तुतमिश ने इसमें 3 मंज़िलें जुड़वाई थीं.
सन 1369 में ‘क़ुतुब मीनार’ में आग लगने के बाद उसका पुनर्निर्माण फ़िरोज शाह तुगलक के समय में हुआ था. फ़िरोज शाह तुगलक ने इसकी चौथी और पांचवीं मंज़िल का निर्माण किया. इस मीनार में ऐबक से लेकर तुगलक काल तक की वास्तुकला शैली का विकास स्पष्ट झलकता है. क़ुतुब मीनार’ के नीचे के हिस्से में क़ुवत-उल-इस्लाम की मस्जिद बनी है. ये भारत में बनने वाली पहली मस्जिद थी. इस मस्जिद के प्रांगण में एक 7 मीटर ऊंचा लौह-स्तंभ भी है.
‘क़ुतुब मीनार’ अफ़गानिस्तान में स्थित ‘जाम की मीनार’ से प्रेरित है. इस मीनार में कुल 5 मंज़िलें हैं. प्रत्येक मंज़िल पर एक बालकनी बनी हुई है. इसकी पहली 3 मंज़िलें लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और चौथी व पांचवीं मंज़िलें मार्बल और बलुआ पत्थरों से निर्मित है. इसमें कुल 379 सीढियां हैं.
इतिहासकार मानते हैं कि क़ुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर ही इस मीनार का नाम पड़ा, जबकि कुछ बताते हैं कि बगदाद के संत क़ुतुबद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर इस मीनार का नाम ‘क़ुतुब मीनार’ पड़ा.
‘क़ुतुब मीनार’ के बारे में तो जान लिया अब इसकी ये 100 साल पुरानी ऐतिहासिक तस्वीरें भी देख लाजिये-
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‘क़ुतुब मीनार’ अफ़गानिस्तान में स्थित ‘जाम की मीनार’ से प्रेरित है.