दिल्ली के मशहूर लाल क़िले (Red Fort) का निर्माण सन 1648 में मुग़ल शासक शाहजहां ने करवाया था. इसे बनने में 10 साल लगे थे. लाल बलुआ पत्थर से निर्मित ये ऐतिहासिक क़िला पुरानी दिल्ली में स्थित है. शाहजहां ने इसे अपनी राजधानी शाहजहांनाबाद के रूप में चुना था. इस क़िले को इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण ‘लाल क़िला’ कहा जाता है. यमुना नदी के किनारे पर स्थित इस क़िले के दो प्रवेश द्वार हैं ‘लाहौर गेट’ और ‘दिल्ली गेट’.
ये भी पढ़ें- 100 साल पहले दिल्ली का फ़ेमस ‘हुमायूं का मक़बरा’ कैसा दिखता था, देखिये ये 15 पुरानी तस्वीरें
मुगल काल में ‘लाल क़िले’ को ‘क़िला-ए-मुबारक’ के नाम से जाना जाता था. ये मुगल बादशाह शाहजहां की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (पुरानी दिल्ली) का प्रमुख महल भी था. लाल क़िला आज देश का प्रमुख पर्यटन स्थल भी बन चुका है. इस ऐतिहासिक क़िले को साल 2007 में युनेस्को द्वारा ‘विश्व धरोहर’ स्थल चयनित किया गया था.
लाल क़िले के इतिहास के बारे बारे में आप जान ही गए होंगे चलिए अब इस क़िले की 100 साल पुरानी तस्वीरें भी देख लीजिये-
1- सन 1905, ‘लाल क़िले’ के दिल्ली गेट से बैल गाड़ी गुजरती हुई
2- सन 1890, लाल क़िले व लाहौर गेट का अद्भुत दृश्य
3- सन 1905, लाल क़िले की एक और शानदार तस्वीर
4- सन 1920, लाल क़िले से बाहर आते पर्यटक
5- सन 1900, ‘लाल क़िले’ के ऐतिहासिक दिल्ली गेट
ये भी पढ़ें- 100 साल पहले कैसा दिखाई देता था दिल्ली शहर, इन 21 अनदेखी तस्वीरों में देख लीजिये
6- सन 1905, ‘लाल क़िले’ के पास आराम करते लोग
7- सन 1907, ‘लाल क़िले’ के पीछे का मैदान
8- सन 1907, लालक़िले के पास से दिल्ली दरबार की परेड निकलते हुए
9- सन 1910, लाल क़िले के अंदर मौजूद ‘दीवान-ए-ख़ास’
10- सन 1890, दीवान-ए-ख़ास के अंदर की ख़ूबसूरत चित्रकारी
11-सन 1909, लाल क़िले की एक और अद्भुत तस्वीर
12- सन 1915, लाल क़िला परिसर में रिक्शे खड़े होते थे
13- सन 1885, लाहौर गेट के पास घोड़ा गाड़ी का आनंद लेते लोग
14- सन 1899, लाल क़िले की चारदीवारी का दृश्य
15- सन 1900, लाल क़िले की टूटी हुई दीवारें
16- सन 1905, ‘लाल क़िले’ में बने तालाब के किनारे बैठे लोग
17- सन 1910, ‘लाल क़िले’ में परेड करते सैनिक
18- सन 1890, ‘लाल क़िले’ के पीछे की वीरान जगह
19- सन 1910, सड़क निर्माण का कार्य होते हुए
20- सन 1915, लाल क़िले की एक और शानदार तस्वीर
आपको ‘लाल क़िले’ की ये पुरानी तस्वीरें कैसी लगी?