‘श्राप’
ये शब्द हम रील वर्ल्ड से लेकर रियल वर्ल्ड तक कई बार सुन चुके हैं. पर फिर भी ऐसे शब्दों पर दिल यकीन करने को तैयार नहीं रहता. हम में से आधे से ज़्यादा लोग इन सब चीज़ों को दकियानूसी बातें बताते हैं. पर असल में ये दकियानूसी बातें नहीं हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि मैसूर में आज भी एक ऐसा शाही परिवार है, जो श्रापित ज़िंदगी जी रहा है.
ये कहानी है मैसूर के वडियार राजवंश की. कहते हैं कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन आम जनता के लिये असली सरकार वडियार राजवंश की है. मैसूर के इस शापित राज परिवार के राजा यदुवीर कृष्णदत्त वडियार हैं. ये परिवार 400 सालों से श्राप की वजह से ऐसी ज़िंदगी जी रहा है, जिसकी हम और आप कल्पना नहीं कर सकते.
क्या है कहानी?
इसके बाद शाही फ़ौज़ ने उनके साथ ज़बरदस्ती की और खजाने पर हमला बोल दिया. अलमेलम्मा के लिए उनके गहने बहुत मायने रखते थे. आंखों के सामने अपने गहनों का बुरा हश्र देख वो इतनी दुखी हुई कि वाडियार राजवंश को श्राप दे डाला. अलमेलम्मा ने शाही परिवार को श्राप देते हुए कहा कि जिस तरह तुम लोगों ने मेरा सब कुछ छीना है, उसी तरह तुम्हारा राजवंश संतानविहीन हो जाये और तुम्हारे वंश की गोद हमेशा सूनी रहे. इतना कहकर अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में कूद कर अपनी जान दे दी. कहा जाता है कि अलमेलम्मा की मौत के कुछ दिन बाद ही राजा वडियार का इकलौता बेटा भी नहीं रहा था. इसके बाद से ही राजवंश में दत्तक पुत्र लेने की प्रथा चली आ रही है.
इस घटना को 400 साल हो गये और आज तक वाडियार राजवंश को कोई औलाद नहीं है. यही कारण है कि गद्दी संभालने के लिये हर दफ़ा राजवंश को एक पुत्र गोद लेना पड़ता है. जैसे श्रीकांतदत्त नरसिंहराज वडियार की जगह यदुवीर को शाही सत्ता की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. कहते हैं कि श्रीकांतदत्त भी निसंतान थे और 2013 में उनकी मौत के बाद काफ़ी समय तक उनके उत्ताधिकारी को लेकर बहस चलती रही. इसके बाद श्रीकांतदत्त की पत्नी प्रमोदा देवी वडियार ने 23 वर्षीय यदुवीर को गोद लिया और 2017 में उसे वाडियार राजवंश की गद्दी सौंपी गई.
मैसूर के शाही परिवार को लेकर कही जाने वाली बातें सच हैं या झूठी, ये तो हम नहीं बता सकते हैं. पर हां, अगर परिवार श्रापित है, तो हम जल्द ही उनके श्राप मुक्त होने की कामना करते हैं.