नवाबों के शहर लखनऊ के बारे में जितना भी लिखा जाए कम है. ये एक ज़िंदा शहर है, जो हर रोज़ बदलता है. एक ऐसा शहर जो अपने इतिहास के बारे में गर्व से बात करता है. यहां के ख़ान-पान से लेकर लहज़े तक में नवाबी रसूख झलकता है.
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_e49882d4-b0f4-46e8-b04e-707e82b5270f.jpg)
यहां की ऐतिहासिक इमारतें शाही दौर का इतिहास बयां करती हैं, जिनके बारे में ज़्यादातर लोग जानते भी हैं. हालांकि, इसके बावजूद एक ऐसी इमारत के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं, जो कभी नवाबों का निवास हुआ करती थी. हम बात कर रहे हैं ‘छत्तर मंज़िल’ की, जिसे ‘छत्तर पैलेस’ के नाम से भी जाना जाता है. ये इमारत अपनी भव्यता, सुंदरता और मुगल शासन के इंजीनियरिंग निर्माण का एक शानदार उदाहरण है.
हालांकि, पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बावजूद लोग छत्तर मज़िल से जुड़े रोचक तथ्यों से अनजान हैं. ऐसे में हम आज आपको इस शानदार इमारत के बारे ऐसी बातें बताएंगे, जिन्हें जानकर आपको इस शहर से एक बार फिर मोहब्बत हो जाएगी.
1.नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने शुरू कराया था निर्माण
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_e803fbde-797b-4f60-8d9c-3f3fea914ba6.jpg)
छत्तर मंजिल का निर्माण नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने शुरू कराया था, लेकिन उनकी मौत के बाद नवाब नासिरुद्दीन हैदर ने इसे पूरा कराया. नवाब वाजिद अली शाह के दौर तक ये आवासीय भवन हुआ करती थी, जब तक उन्होंने कैसरबाग़ के ‘कसर-ए-सुल्तान’ महल में रहना शुरू नहीं कर दिया.
2. कैसे पड़ा नाम
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_cd3e0e6c-3624-4727-a2fb-a10127e7a2a4.jpg)
नवाब सआदत अली ख़ान ने अपनी मां छतर कुवंर के नाम पर महल का नाम रखा था. हालांकि, इसकी डिज़ाइन और वास्तुकला के कारण भी कहा जाता है कि इसे ये नाम मिला है. दरअसल, इस इमारत के ऊपर एक विशाल सुनहरी छतरी है जो दूर से ही नज़र आती है. कहा जाता है कि इसी सुनहरी छतरी के कारण ही इस भवन का नाम छतर मंज़िल पड़ा.
3. हाइब्रिड संरचना
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_6c1d8c19-aeba-413d-a09d-5fc18f23ea9b.jpg)
गोमती नदी के किनारे बनी ‘छत्तर मंज़िल’ के आर्किटेक्चर पर इंडो-यूरोपियन और नवाबी स्थापत्य शैली का प्रभाव है, जो इसे और भी ख़ास बनाता है.
4. दो हिस्सों में है विभाजित
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_9509086b-8cd7-4797-9bf0-cbefbc0f1bbb.jpg)
बड़े और छोटे इमामबाड़े की तरह छत्तर मंज़िल भी दो हिस्सों में बंटी है. एक बड़ी छत्तर मंज़िल और दूसरी छोटी छत्तर मंज़िल कहलाती है. हालांकि, अब सिर्फ़ बड़ी मंज़िल ही अस्तित्व में है. छोटी छतर मंज़िल जिसमें राज्य सरकार का दफ़्तर हुआ करता था, वो 1960 के दशक में अचानक ढह गया था.
5. बहु-मंज़िला इमारत है
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_5088534a-b10d-4daa-b630-138f13218930.jpg)
छत्तर पैलेस एक 5 मंज़िला इमारत है, जिसमें दो मंज़िल भूमिगत है, और तीन ज़मीन से ऊपर हैं. भूमिगत कमरे बहुत बड़े हैं और सीधे गोमती नदी के तट पर खुले हैं.
6. गर्मियों में यहां रहना बेहद आरामदायक था
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_9ab82cb8-77c1-45d2-85b9-96d5fe9ead18.jpg)
पैलेस के बाहर स्थित दो अष्टकोणीय टॉवर के कारण भूमिगत कमरों में हवा आसानी से पास होती थी. ये भी कहा जाता है कि गोमती का पानी भूतल की दीवारों से टकराता था, जिसके कारण नीचे की मंज़िल काफ़ी ठंडी रहती थी. ऐसे में गर्मियों के दौरान ये पैलेस रहने के लिए काफ़ी सुविधाजनक होता था.
7. गुलिस्तान-ए-इरम
![](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2021/02/601bccd4c8d111419a98dd57_655ea493-0195-46f2-9e3a-3be916d18f7d.jpg)
नसीर उद दीन हैदर ने यहां एक बेहद ख़ूबसूरत गार्डेन बनवाया था, जिसके किनारे मूर्तियों और फूलों की क्यारियां लगी थीं. इसे गुलिस्तान-ए-इरम (गार्डेन ऑफ पैराडाइज़) के नाम से जाना जाता था.
बता दें, 1857 के विद्रोह के दौरान छत्तर मंज़िल लखनवी विद्रोहियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान था. ‘अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय’ और ‘आईआईटी बीएचयू’ की देखरेख में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस स्थल का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. 2000 के दशक की शुरुआत तक पैलेस का इस्तेमाल केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) द्वारा किया गया था.
Source: knocksense