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हज़ारों साल पुराने ये 10 मंदिर आपको वक़्त में पीछे ले जाएंगे, तस्वीरों के ज़रिए दर्शन कर लो

हज़ारों साल पहले बनाए गये ये 10 मंदिर, भारतीय वास्तुकला का सर्वोच्च उदाहरण हैं

हज़ारों साल पहले बनाए गए ये 10 मंदिर, भारतीय वास्कुला और संस्कृति का सर्वोच्च उदाहरण हैं

भारत, शिल्पकारों का देश था. यहां की धरती पर ऐसी कई इमारतें, धार्मिक स्थल हैं जो इस बात का सुबूत हैं कि हमारे पूर्वज वास्तुकला, शिल्पकला में संसार में सबसे अव्वल थे. विदेशी शक्तियों ने कला का निरादर करते हुए, सबकुछ ख़त्म करना चाहा लेकिन उस ज़माने की कई निशानियां आज भी सलामत हैं, टूटी-फूटी ही सही अपने आप में कई सदियों की कहानियां समेटे हैं.

  
सनातन धर्म का पालन करने वाले हमारे पूर्वजों ने ऐसे कई मंदिर बनाए जहां आज भी वही सुकून मिलता है तो शायद उन्हें सालों पहले मिलता था. आध्यात्मिक ही नहीं ये मंदिर वास्तुकला और शिल्पकला की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं.  

हज़ारों साल पुराने हैं ये 10 मंदिर, स्क्रीन पर ही दर्शन कर लो- 

1. तट मंदिर, महाबलीपुरम, तमिलनाडु

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दक्षिण भारत के कई पुराने मंदिरों में से एक तट मंदिर (अंग्रेज़ी में Shore Temple) को 7वीं शताब्दी में पल्लव वंश के राजाओं ने बनवाया था. महाबलीपुरम का ये मंदिर बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट के पास स्थित है. एक लेख के अनुसार, 7वीं और 10वीं शताब्दी के बीच महाबलीपुरम एक प्रमुख बंदरगाह था.  

2. लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा

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भुवनेश्वर शहर का सबसे बड़ा मंदिर है, लिंगराज मंदिर. एक लेख के अनुसार, महादेव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में ययाति केशरी ने करवाया था. कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग अपनेआप प्रकट हुआ था. ओडिशा के वास्तुकला का बहुत अच्छा उदाहरण है ये मंदिर. इस मंदिर में सिर्फ़ हिन्दुओं को ही प्रवेश करने की अनुमति है.  

3. बद्रीनाथ मंदिर, बद्रीनाथ, उत्तराखंड

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छोटा चार धाम यात्रा में से एक धाम है बद्रीनाथ मंदिर. भगवान विष्णु को समर्पित ये मंदिर समुद्रतल से 10, 250 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है. एक लेख के अनुसार ये मंदिर, नर और नारायण पर्वतों के बीच है. ये मंदिर साल के सिर्फ़ 6 महीने (अप्रैल से नवंबर) के बीच ही खुला रहता है. इस मंदिर का उल्लेख विष्णु पुराण और स्कंध पुराण में भी मिलता है. मान्यता है कि मंदिर और मंदिर में स्थित विष्णु की मूर्ति की स्थापना स्वयं आदि शंक्राचार्य ने 7वीं शताब्दी में की थी.  

4. द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका, गुजरात

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द्वारकाधीश मंदिर या जगत मंदिर श्रीकृष्ण को समर्पित है. एक लेख के अनुसार, द्वारका शहर का ज़िक्र महाभारत में भी मिलता है. कथाओं की मानें तो द्वापर युग में यहीं पर श्री कृष्ण की राजधानी थी. 5 मंज़िला ये मंदिर, लगभग 2000-2200 साल पहले बनवाया गया था. 15वीं-16वीं शताब्दी के बीच इस मंदिर का विस्तार किया गया. ऐसी भी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने करवाया था. ये मंदिर चार धाम तीर्थ का हिस्सा है.  

5. कैलाश मंदिर, औरंगाबाद

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कैलाश या कैलाशनाथ मंदिर एक बड़े पत्थर को काटकर बनाया गया था. 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्णा (प्रथम) ने ये मंदिर बनवाया था. एलोरा की 34 गुफाओं में 16वीं गुफा में है ये सबसे अद्भुत और दिव्य मंदिर. इस मंदिर को बनाने में 150 साल और 7000 मज़दूरों का कौशल लगा. इस मंदिर में पूजा करने का प्रमाण नहीं मिला और आज भी यहां कोई पुजारी नहीं है.  

6. केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित महादेव का केदारनाथ मंदिर. महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और चार धाम यात्रा का एक धाम है केदारनाथ. ये मंदिर साल के 6 महीने, अप्रैल से नवंबर के बीच ही खुला रहता है. सर्दियों में केदारनाथ भगवान को उखीमठ में रखा जाता है और वहीं उनकी पूजा होती है. कहते हैं केदारनाथ तक की यात्रा करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो जाता है. केदारनाथ मंदिर को पांडवों ने हज़ारों साल पहले बनवाया था और अभी जो केदारनाथ मंदिर हम देखते हैं इसको आदि शंक्राचार्य ने दोबारा बनवाया था. लेखक राहुल सांकृत्यायन इस मंदिर का निर्माणकाल 10वीं और 12वीं शताब्दी के बीच का बताते हैं.

7. ब्रह्म मंदिर, पुष्कर, राजस्थान

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ये मंदिर ब्रह्म देव को समर्पित है. मंदिर का जो आकार हम अभी देखते हैं वो 14वीं शताब्दी में बनाया गया लेकिन कहा जाता है कि ये मंदिर 2000 साल से भी ज़्यादा पुराना है. इस मंदिर को विश्वामित्र ने बनाया था और आदि शंक्राचार्य ने इसका पुनर्निर्माण करवाया. 

8. बादामी गुफा मंदिर, बागलकोट, कर्नाटक

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बादामी स्थित गुफाओं में चार अलग-अलग मंदिर हैं. हर मंदिर की नक्काशी, शिल्पकला अद्भुत है. इन मंदिरों में शिव और विष्णु के अलग-अलग अवतारों की नक्काशियां हैं. चौथा मंदिर जैन तीर्थांकरों को समर्पित है. एक लेख के अनुसार, बादामी किले के विपरीत स्थित पहाड़ी के पत्थरों को काटकर ये मंदिर बनाया गया. हर मंदिर तक पहुंचने के लिए 2000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. चालुक्य राजा, मंगलेश ने 5वीं-6ठीं शताब्दी में इन मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा करवाया. 

9. आदि कुंभेश्वर मंदिर, कुंभकोणम, तमिलनाडु

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एक लेख के अनुसार, कुंभकोणम को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यहां 188 मंदिर हैं. इन मंदिरों में सबसे प्रसिद्ध है महादेव को समर्पित आदि कुंभेश्वर मंदिर. इस मंदिर को 7वीं शताब्दी में चोल वंश के राजाओं ने बनवाया था. 

10. अंबरनाथ मंदिर, माथेरान, महाराष्ट्र

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महादेव को समर्पित इस मंदिर की स्थापना 1060 में राजा मांबाणि द्वारा की गई थी. माउंट आबू स्थित दिलवारा मंदिर से इस मंदिर की नक्काशी काफ़ी मिलती-जुलती है. एक लेख के अनुसार, मंदिर के गर्भगृह के पास गर्म पानी का कुंड है. मंदिर पर शिव के रूपों की चर्चा की गई है. गणेश, कार्तिकेय, चंडिका, महिषासुरमर्दिनी जैसे कई देवी-देवताओं की मूर्तियों से मंदिर की दीवारें सुसज्जित हैं. इस मंदिर में ब्रह्मदेव की भी मूर्तियां हैं.