दक्षिण कोरिया (South Korea) और अयोध्या, भारत (Ayodhya, India) के बीच सदियों पुराना रिश्ता है. सदियों पहले ही दोनों क्षेत्रों में राजनैतिक संबंध बन गये थे. अयोध्या को श्री राम जन्मभूमि (Shree Ram Janmabhoomi) के लिये ही जाना जाता है लेकिन दक्षिण कोरिया (South Korea) के लोगों के लिये भी इस स्थान का काफ़ी महत्त्व है.
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ये है कहानी
BBC के लेख की मानें तो दक्षिण कोरिया के इतिहास के अनुसार, लगभग 2000 साल पहले राजकुमारी सुरीरत्ना या Heo Hwang-ok ने दक्षिण कोरिया के एक राजा से विवाह किया और Karak वंश की शुरुआत की. चीन की भाषा में लिखीं कुछ कहानियों के अनुसार, अयोध्या के राजा के सपने में ईश्वर आये और आदेश दिया कि वो अपनी 16 वर्षीय राजकुमारी को दक्षिण कोरिया भेजें ताकि वो राजा King Kim Suro से विवाह कर सकें.
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दक्षिण कोरिया में संतान अपने पिता का नाम ही रखती है. राजा Kim Suro को Kim वंश का जनक माना जाता है. कहा जाता है कि रानी इस बात से दुखी थी तो राजा ने 2 बेटों को रानी का नाम Heo लगाने की अनुमति दी. राजा-रानी के आज कोरिया में 6 मिलियन से ज़्यादा वंशज हैं.
इतिहास और किंवदंती में फ़र्क करना कठिन
Live History India के लेख के अनुसार, सही इतिहास और किंवदंती के बीच फ़र्क करना मुश्किल है. Samguk Yusa को 1280 CE के आस-पास लिखा गया. लोगों का मानना है कि Ayuta भारत स्थित अयोध्या को ही कहा गया है लेकिन इतिहासकारों के बीच इस बात को लेकर मतांतर है. अयोध्या को पुराने समय में ‘साकेत’ कहा जाता था.
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भारत के बौद्ध भिक्षु पहुंचे कोरिया
इतिहास को टटोलने पर पता चलता है कि बौद्ध भिक्षु और मिशनरी भारत से कोरिया गये थे. कोरिया को बौद्ध धर्म 372 CE में मिला जब एक बौद्ध पुजारी बुद्ध की तस्वीर और शास्त्र लेकर कोरिया पहुंचा. कोरिया में एक और किंवदंती प्रचलित है. कोरियाई लोगों का कहना है कि भारत से राजा ‘Ayuk’ ने बुद्ध की प्रतिमा बनाने के लिये लोहा और सोना भेजा था. कुछ लोगों का दावा है कि ये Ayuk और कोई नहीं मौर्य सम्रात अशोक था.
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कोरियाई भी पहुंचे भारत
कई कोरियाई भी बौद्ध ग्रंथ और शास्त्रों का अध्ययन करने के लिये भारत पहुंचे. सबसे पहले भारत पहुंचने वाले कोरियाई में से एक थे भिक्षु Kyomik जो 526 CE में संस्कृत और बौद्ध धर्म पढ़ने के लिये संकिसा (Sankisa), आगरा के पास स्थित ‘विहार’ पहुंचे. कोरियन टेक्स्ट Da-Tang-Xi-Yuji के अनुसार 646 CE में 56 कोरियन भिक्षु नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने पहुंचे.
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2001 में अयोध्या में रानी Heo का स्मारक बनाया गया.